नई दिल्ली: देश के स्वतंत्रता सेनानी सरदार उधम सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के आरोपी जनरल डायर को लंदन में जाकर गोली मारी थी. जिसके चलते 31 जुलाई 1940 को 40 साल की उम्र में उन्हें पेंटनविले जेल(यू.के) में फांसी दे दी गई थी. आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके बलिदान को पूरा देश याद कर रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पंजाबी में ट्वीट कर उधम सिंह को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने पंजाबी में ट्वीट करते हुए लिखा
शहीद उधम सिंह जी का बलिदान देश की जनता को सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा, देश के वीर सपूत को प्रणाम.
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी, योगी आदित्यनाथ सहित देश की तमाम बड़ी हस्तियों ने उधम सिंह के बलिदान को याद किया. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी शहीद उधम सिंह मेमोरियल पहुंचकर उधम सिंह को श्रद्धांजलि दी.
उधम सिंह का जन्म पंजाब में संगरूर जिले के सुनाम गांव में 26 दिसंबर 1899 को हुआ था. उनके बचपन का नाम शेर सिंह था. उधम सिंह कम उम्र में अनाथ हो गए थे. जिसकी वजह से उन्हें बचपन में ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. माता-पिता के गुजर जाने के बाद उनका ज्यादातर जीवन अनाथालय में गुजरा. लेकिन इसके बाद भी देश के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें गर्म दल के स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बड़ी पहचान दिलवाई.
13 अप्रैल 1919 को वह दिन था, जिसने उधम सिंह को झकझोर कर रख दिया. बैसाखी के दिन के अमृतसर स्थित जलियावाला बाग में एक जनसभा आयोजित की गई थी. अंग्रेजों के कड़े विरोध के बाद भी इस जनसभा में सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हुए. इस सभा को नेता संबोधित ही कर रहे थे कि क्रूर जनरल डायर ने चारो तरफ से घेर कर फायरिंग करवा दी. जिससे सैकड़ों निहत्थे भारतीय शहीद हो गए. इस घटना को उधम सिंह ने अपने आंखों से देखा, जिसके चलते उनके अंदर जनरल डायर से बदला लेने की ज्वाला जल उठी.
जनरल डायर से बदला लेने के लिए सरदार उधम सिंह को लगभग 21 साल इंतजार करना पड़ा. इसके लिए उन्होंने अपना नाम शेर सिंह से बदलकर उधम सिंह कर लिया. इसके बाद वो इंग्लैंड पहुंच गए. जहां लंदन में उन्होंने जनरल डायर को गोलियों भून दिया. जिस समय उन्होंने गोली चलाई, उस समय लंदन के हाल में बैठक चल रही थी. इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. फलस्वरूप 31 जुलाई 1940 को देश का वीर सपूत हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गया.