नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की मुश्किलें बढ़ गई है. दिल्ली दंगा मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने शुक्रवार को उनके खिलाफ आरोप तय कर दिए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने धन शोधन अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत आरोप तय किए.
कोर्ट ने ईडी द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि ताहिर ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे कराने के प्रयोजन से न केवल धन जुटाया, बल्कि अज्ञात स्रोतों से बड़ी मात्रा में रकम भी वसूली. कोर्ट ने आरोप तय करने के साथ ही ताहिर हुसैन की सेंचुरट्री बेल एप्लीकेशन को भी खारिज कर दिया.
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इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने ताहिर हुसैन समेत पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ दिल्ली दंगा मामले में आरोप तय किए थे. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला की कोर्ट ने ताहिर हुसैन, शाह आलम, गुलफाम, तनवीर मलिक, नाजिम और कासिम के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 153ए, 302, 307, 120बी, 153ए और 149 के तहत आरोप तय किए. आरोपी गुलफाम और तनवीर मलिक के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत अतिरिक्त आरोप तय किए गए हैं.
यह था मामला
फरवरी 2020 में चांद बाग इलाके में अजय झा को गोली लगने के संबंध में शुश्रुत ट्रॉमा सेंटर से सूचना मिलने के बाद दयालपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी. झा ने पुलिस को बताया कि 25 फरवरी, 2020 को वह ताहिर हुसैन के घर के पास पहुंचे, उन्होंने छत पर मौजूद कई लोगों को देखा, जो पास के घरों पर गोलियां चला रहे थे और पेट्रोल बम और पथराव कर रहे थे. इसके बाद ताहिर हुसैन और उनके भाई शाह आलम के खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी थी.
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