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दिल्ली में चक्रव्यूह नाटक का किया गया मंचन, भावविभोर दर्शकों ने दी स्टैंडिंग ओवेशन - Nitish Bhardwaj

दिल्ली में रविवार को चक्रव्यूह नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक के निर्देशक ने बताया कि यह इसका 106वां मंचन था. इस दौरान लोगों को यह नाटक इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे स्टैंडिंग ओवेशन दी.

Chakravyuh drama staged in Delhi
Chakravyuh drama staged in Delhi
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 22, 2023, 10:57 PM IST

कलाकारों ने बताया अनुभव

नई दिल्ली: दिल्ली के कमानी सभागार में रविवार को अभिमन्यु के जीवन पर आधारित 'चक्रव्यूह' नाटक का मंचन किया गया. इसमें श्रीकृष्ण का किरदार नीतीश भारद्वाज ने निभाया, जो बीआर चोपड़ा के महाभारत में भी श्रीकृष्ण का पात्र निभा चुके हैं. अपने अभिनय के दौरान उन्होंने कहा कि 'अभिमन्यु' महाभारत का एक ऐसा किरदार है, जिसके साथ कौरवों ने छल किया. युद्ध नीतियों के विरुद्ध एक योद्धा पर सात आक्रमणकारियों ने वार किया और उसको मार गिराया और मात्र 16 वर्ष की आयु में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुआ.

उन्होंने कहा, वह अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी उत्तरा की कोख में अपना अंश छोड़ गया. युद्ध पर जाने से पहले उत्तरा ने उससे एक वचन लिया था कि वह सब सहन कर लेगी, लेकिन प्रतीक्षा शब्द को अपने जीवन के करीब नहीं आने देगी. लेकिन अंत में उसे अभिमन्यु की प्रतिक्षा ही करनी पड़ी. वहीं अभिमन्यु की मां सुभद्रा का मानना था कि क्षत्रिय माताएं पुत्रों को इसलिए जन्म देती हैं कि वह युद्ध पर जाएं. युद्ध का मतलब ही यह होता है कि शूरवीर विजय प्राप्त करे या वीरगति.

गाय भी चराई और रथ भी चलाया: श्रीकृष्ण के पात्र को निभाते हुए नीतीश भारद्वाज ने कहा कि अभिमन्यु ने अपनी मां की कोख में ही चक्रव्यूह में प्रवेश करना सीखा था और वह उसी विश्वास के साथ महाभारत के युद्ध में गया लेकिन, जब अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा दे रहे थे, तो वह सो गईं, जिससे अभिमन्यु का ज्ञान अधूरा रह गया. केवल अभिमन्यु ही नहीं, बल्कि संसार में हर मनुष्य किसी न किसी चक्रव्यूह में फंसा है. यही वजह है कि मैंने धरती पर अवतार लिया. मैंने गाय भी चराई और रथ भी चलाया.

समय के साथ किए गए बदलाव: नाटक के लेखक और निर्देशक अतुल सत्य कौशिक ने ईटीवी भारत को बताया कि आज प्ले का 106वां मंचन किया गया. बीते नौ वर्षों में इस नाटक का देशभर में 100 से अधिक मंचन किया गया है और सभी जगह दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया. उन्होंने बताया कि इस दौरान दर्शकों की डिमांड के आधार पर नाटक में कई बदलाव भी किए गए. एक निर्देशक होने के नाते उन्हें हर बार लगता है कि इसमें और सफल बदलाव किए जा सकते हैं.

किरदार में उतरने के लिए लगती है मेहनत: इस नाटक का मंचन इतना भावपूर्ण था कि दर्शकों ने महाभारत के युद्ध और उसकी पीड़ा को महसूस किया. इसमें अभिमन्यु का किरदार निभाने वाले साहिल ने बताया कि वह इस नाटक में बीते 50 मंचनों में अभिमन्यु का किरदार निभा चुके हैं, लेकिन आज भी अभिमन्यु के रोल में उतरने के लिए मेहनत लगती है. एक सफल कलाकार वही होता है जो निरंतर अपने अभिनय को निखारने की कोशिश करता रहे.

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कलाकारों ने बताया अनुभव

नई दिल्ली: दिल्ली के कमानी सभागार में रविवार को अभिमन्यु के जीवन पर आधारित 'चक्रव्यूह' नाटक का मंचन किया गया. इसमें श्रीकृष्ण का किरदार नीतीश भारद्वाज ने निभाया, जो बीआर चोपड़ा के महाभारत में भी श्रीकृष्ण का पात्र निभा चुके हैं. अपने अभिनय के दौरान उन्होंने कहा कि 'अभिमन्यु' महाभारत का एक ऐसा किरदार है, जिसके साथ कौरवों ने छल किया. युद्ध नीतियों के विरुद्ध एक योद्धा पर सात आक्रमणकारियों ने वार किया और उसको मार गिराया और मात्र 16 वर्ष की आयु में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुआ.

उन्होंने कहा, वह अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी उत्तरा की कोख में अपना अंश छोड़ गया. युद्ध पर जाने से पहले उत्तरा ने उससे एक वचन लिया था कि वह सब सहन कर लेगी, लेकिन प्रतीक्षा शब्द को अपने जीवन के करीब नहीं आने देगी. लेकिन अंत में उसे अभिमन्यु की प्रतिक्षा ही करनी पड़ी. वहीं अभिमन्यु की मां सुभद्रा का मानना था कि क्षत्रिय माताएं पुत्रों को इसलिए जन्म देती हैं कि वह युद्ध पर जाएं. युद्ध का मतलब ही यह होता है कि शूरवीर विजय प्राप्त करे या वीरगति.

गाय भी चराई और रथ भी चलाया: श्रीकृष्ण के पात्र को निभाते हुए नीतीश भारद्वाज ने कहा कि अभिमन्यु ने अपनी मां की कोख में ही चक्रव्यूह में प्रवेश करना सीखा था और वह उसी विश्वास के साथ महाभारत के युद्ध में गया लेकिन, जब अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा दे रहे थे, तो वह सो गईं, जिससे अभिमन्यु का ज्ञान अधूरा रह गया. केवल अभिमन्यु ही नहीं, बल्कि संसार में हर मनुष्य किसी न किसी चक्रव्यूह में फंसा है. यही वजह है कि मैंने धरती पर अवतार लिया. मैंने गाय भी चराई और रथ भी चलाया.

समय के साथ किए गए बदलाव: नाटक के लेखक और निर्देशक अतुल सत्य कौशिक ने ईटीवी भारत को बताया कि आज प्ले का 106वां मंचन किया गया. बीते नौ वर्षों में इस नाटक का देशभर में 100 से अधिक मंचन किया गया है और सभी जगह दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया. उन्होंने बताया कि इस दौरान दर्शकों की डिमांड के आधार पर नाटक में कई बदलाव भी किए गए. एक निर्देशक होने के नाते उन्हें हर बार लगता है कि इसमें और सफल बदलाव किए जा सकते हैं.

किरदार में उतरने के लिए लगती है मेहनत: इस नाटक का मंचन इतना भावपूर्ण था कि दर्शकों ने महाभारत के युद्ध और उसकी पीड़ा को महसूस किया. इसमें अभिमन्यु का किरदार निभाने वाले साहिल ने बताया कि वह इस नाटक में बीते 50 मंचनों में अभिमन्यु का किरदार निभा चुके हैं, लेकिन आज भी अभिमन्यु के रोल में उतरने के लिए मेहनत लगती है. एक सफल कलाकार वही होता है जो निरंतर अपने अभिनय को निखारने की कोशिश करता रहे.

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