नई दिल्ली/गाजियाबाद: 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसीलिए उनको अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. मां कूष्मांडा के सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है. जबकि, आठवें हाथ में मां कूष्मांडा माला धारण किए हुए हैं. मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है. मां की आराधना करने से यश, बल और धन में वृद्धि होती है साथ ही रोग- शोक नष्ट होते हैं.
० मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
Chaitra Navratri Puja Tips : चैत्र नवरात्रि की पूजा में रखिए इन 12 बातों का विशेष ध्यान, जरूर होगा आपका कल्याण
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)