नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के खाली पदों पर नियुक्ति के मामले पर केंद्र सरकार के रुख पर फटकार लगाई है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते के अंदर नियुक्तियों से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
नियुक्तियों को लेकर कोई टाइमलाइन नहीं
कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में चेयरपर्सन के अलावा बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख और जैन समुदाय से जुड़े लोगों की समयबद्ध तरीके से नियुक्ति में तेजी लानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के जवाब में नियुक्तियों को लेकर कोई टाइमलाइन नहीं है. तब केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि वो इसे लेकर हलफनामा दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट के समय ये पद खाली हुए थे. उन्होंने कहा कि एक सदस्यीय आयोग ने 1297 शिकायतों में से 815 शिकायतों का निपटारा किया. तब याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनन अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का काम एक सदस्य कैसे कर सकता है.
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7 में से 6 पद खाली
पिछले 23 फरवरी को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि फिलहाल अल्पसंख्यक आयोग में केवल उपाध्यक्ष हैं, जबकि बाकी छह पद खाली पड़े हुए हैं. याचिका में कहा गया है कि कोरम के अभाव में आयोग अपना काम नहीं कर पाता और वह अल्पसंख्यक समुदाय की शिकायतों का समाधान नहीं कर पाता है. याचिका में कहा गया है कि अल्पसंख्यक आयोग में खाली पदों पर नियुक्ति जानबूझकर नहीं की जा रही है. ऐसा करना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून का उल्लंघन है. सुनवाई के दौरान चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि आयोग के उपाध्यक्ष कई राज्यों का दौरा कर रहे हैं, लेकिन उनकी इस दलील को कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि इतने पद खाली कैसे रह सकते हैं.