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एक नवंबर से बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों को दिल्ली में नहीं मिलेगा प्रवेश, प्रदूषण को लेकर अहम फैसला

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के मद्देनजर विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. इसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ने वाला है. Commission for Air Quality Management, Entry of BS3 and BS4 buses prohibited, Pollution in delhi ncr

Commission for Air Quality Management
Commission for Air Quality Management
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 22, 2023, 4:16 PM IST

यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक केसरी नंद चौधरी

नई दिल्ली: राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने आदेश जारी किया है कि एक नवंबर से बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों को दिल्ली में प्रवेश नहीं मिलेगा. केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और डीजल की बीएस-6 बसों के संचालन की ही अनुमति होगी. यह नियम निजी बसों पर भी लागू होगा. इस नियम के लागू होने से 60 प्रतिशत से अधिक बसों का संचालन बंद हो जाएगा, जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ेगा.

दिल्ली आती हैं पांच हजार बसें: दिल्ली के आनंद विहार, सराय काले खां, कश्मीरी गेट व अन्य बस अड्डों पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों से 5000 से अधिक बसें आती हैं. इसमें यूपीएसआरटीसी की करीब एक हजार और उत्तराखंड परिवहन विभाग की 300 से अधिक बसें दिल्ली आती हैं. परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली करीब 60 फीसदी बसें बीएस-3 और बीएस-4 की हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न टूर एंड ट्रेवेल्स की एक हजार से अधिक बसें दिल्ली से चलती हैं.

अगले कुछ सालों की भी रूपरेखा तैयार: सीएक्यूएम ने उत्तर प्रदेश व राजस्थान के गैर एनसीआर क्षेत्रों से एनसीआर के शहरों और दिल्ली में प्रवेश करने वाली पुरानी डीजल बसों को हटाने का समय भी तय कर दिया है. अगले वर्ष जुलाई से पूरे एनसीआर में इलेक्ट्रिक और सीएनजी के अलावा केवल बीएस-6 बसों का ही संचालन होगा. इससे प्रदूषण काफी कम होगा. सीएक्यूएम ने अंतरिम व्यवस्था के तहत सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल बसों के परिचालन की अनुमति दी है. अगले तीन साल में एनसीआर के शहरों से सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें ही चलेंगी. उधर, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बीएस-6 बसें खरीदी जा रही हैं.

यात्रियों की सुविधा के लिए छूट देने की मांग: यूपीएसआरटीसी की ओर से सीएक्यूएम को पत्र लिखकर त्योहार के मद्देनजर यात्रियों को राहत देने के लिए एक नवंबर के बाद भी बीएस-3 और बीएस-4 बसों के संचालन पर छूट देने की मांग की है. यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक केसरी नंद चौधरी ने कहा कि दिल्ली जाने वाली अधिकतर बसों को बीएस-6 बसों से रिप्लेस किया जाएगा. इसके लिए नई बीएस-6 बसें खरीदी जा रही हैं. हालांकि, त्योहार पर भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त बसों का भी संचालन किया जाता है. दिल्ली एनसीआर में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बड़ी संख्या में दीपावली और छठ पर्व पर अपने घर जाते हैं.

प्रदूषण के मद्देनजर ग्रैप-2 की पाबंदियां लागू: वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की आशंका देखते हुए ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं. आलम यह है कि दक्षिणी दिल्ली के बीआरटी रोड पर अक्टूबर में ही धुंध नजर आने लगी है. फिलहाल यहां विजिबिलिटी 400 मीटर की रह गई है, जिसके आने वाले दिनों में और कम होने के आसार हैं.

यह भी पढ़ें-दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए ग्रैप का दूसरा चरण लागू, लोगों से की गई ये अपील

यह भी पढ़ें-दिल्ली में अब औद्योगिक प्रदूषण पर वार, एक महीने तक चलेगा अभियान: पर्यावरण मंत्री गोपाल राय

यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक केसरी नंद चौधरी

नई दिल्ली: राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने आदेश जारी किया है कि एक नवंबर से बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों को दिल्ली में प्रवेश नहीं मिलेगा. केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और डीजल की बीएस-6 बसों के संचालन की ही अनुमति होगी. यह नियम निजी बसों पर भी लागू होगा. इस नियम के लागू होने से 60 प्रतिशत से अधिक बसों का संचालन बंद हो जाएगा, जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ेगा.

दिल्ली आती हैं पांच हजार बसें: दिल्ली के आनंद विहार, सराय काले खां, कश्मीरी गेट व अन्य बस अड्डों पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों से 5000 से अधिक बसें आती हैं. इसमें यूपीएसआरटीसी की करीब एक हजार और उत्तराखंड परिवहन विभाग की 300 से अधिक बसें दिल्ली आती हैं. परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली करीब 60 फीसदी बसें बीएस-3 और बीएस-4 की हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न टूर एंड ट्रेवेल्स की एक हजार से अधिक बसें दिल्ली से चलती हैं.

अगले कुछ सालों की भी रूपरेखा तैयार: सीएक्यूएम ने उत्तर प्रदेश व राजस्थान के गैर एनसीआर क्षेत्रों से एनसीआर के शहरों और दिल्ली में प्रवेश करने वाली पुरानी डीजल बसों को हटाने का समय भी तय कर दिया है. अगले वर्ष जुलाई से पूरे एनसीआर में इलेक्ट्रिक और सीएनजी के अलावा केवल बीएस-6 बसों का ही संचालन होगा. इससे प्रदूषण काफी कम होगा. सीएक्यूएम ने अंतरिम व्यवस्था के तहत सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल बसों के परिचालन की अनुमति दी है. अगले तीन साल में एनसीआर के शहरों से सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें ही चलेंगी. उधर, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बीएस-6 बसें खरीदी जा रही हैं.

यात्रियों की सुविधा के लिए छूट देने की मांग: यूपीएसआरटीसी की ओर से सीएक्यूएम को पत्र लिखकर त्योहार के मद्देनजर यात्रियों को राहत देने के लिए एक नवंबर के बाद भी बीएस-3 और बीएस-4 बसों के संचालन पर छूट देने की मांग की है. यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक केसरी नंद चौधरी ने कहा कि दिल्ली जाने वाली अधिकतर बसों को बीएस-6 बसों से रिप्लेस किया जाएगा. इसके लिए नई बीएस-6 बसें खरीदी जा रही हैं. हालांकि, त्योहार पर भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त बसों का भी संचालन किया जाता है. दिल्ली एनसीआर में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बड़ी संख्या में दीपावली और छठ पर्व पर अपने घर जाते हैं.

प्रदूषण के मद्देनजर ग्रैप-2 की पाबंदियां लागू: वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की आशंका देखते हुए ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं. आलम यह है कि दक्षिणी दिल्ली के बीआरटी रोड पर अक्टूबर में ही धुंध नजर आने लगी है. फिलहाल यहां विजिबिलिटी 400 मीटर की रह गई है, जिसके आने वाले दिनों में और कम होने के आसार हैं.

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