नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से 15 फरवरी से दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. सीबीएसई ने इस संबंध में डेटशीट जारी कर दी है. कुछ दिन पहले एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के निर्देश जारी किए गए थे. निर्देश में कहा गया था कि स्कूल छात्रों को एडमिट कार्ड मुहैया कराएं. जहां एक तरफ सरकारी स्कूलों में दसवीं और बारहवीं के छात्रों को उनका एडमिट कार्ड मिल गया है वहीं निजी स्कूलों की मनमानी के चलते छात्र परेशान हैं.
दिल्ली अभिभावक संघ ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीबीएसई की चेयरपर्सन निधि छिब्बर सहित एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि बोर्ड एग्जाम नजदीक है और कई स्कूलों द्वारा छात्रों का एडमिट कार्ड रोका जा रहा है. ऐसे स्कूलों पर कानूनी कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द छात्रों को एडमिट कार्ड जारी किया जाए.
दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन (DPA) की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि बोर्ड एग्जाम देने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूलों द्वारा एग्जाम में न बैठने देने की धमकी और बच्चों को एडमिट कार्ड जारी न करने के विषय में हमने एलजी समेत मुख्यमंत्री और सीबीएसई की चेयरमैन को पत्र लिखा है. हम जानते हैं कि ये समय स्कूलों में बच्चों के फाइनल एग्जाम का है और इसी को आधार बनाकर प्राइवेट स्कूलों द्वारा बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कोविड के दौरान की एनुअल और डेवलपमेंट फीस से संबंधित एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें 460 स्कूलों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था. आदेश में कुल फीस पर 15% छूट के साथ फीस लेने की अनुमति थी.
एक जुलाई 2021 को दिल्ली शिक्षा विभाग द्वारा भी 460 याचिकाकर्ता स्कूलों की लिस्ट के साथ कोर्ट आदेश के अनुसार फीस की कैलकुलेशन को स्पष्ट किया गया था. लेकिन जिन 460 स्कूलों को अनुमति मिली वे कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर अपने हिसाब से फीस कैलकुलेट कर रहे हैं.
अन्य स्कूल भी कर रहे हैं मनमानी
अपराजिता गौतम ने बताया कि 460 स्कूलों के अतिरिक्त जो स्कूल इस केस में पार्टी नहीं थे, वे भी इस आदेश का नाम लेकर पेरेंट्स से गैरकानूनी ढ़ंग से फीस की मांग कर रहे हैं. संक्षेप में कहें तो अधिकांश प्राइवेट स्कूल नियम व आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. जिसके विरोध में पैरेंट्स द्वारा विभागों में शिकायतें भी दर्ज़ कराई जा रही हैं. परन्तु आज तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, नतीजन आज स्कूल उसी गैर कानूनी फीस की उगाही के चलते या तो बोर्ड के बच्चों का एडमिट कार्ड रोक रहे हैं या फिर अन्य बच्चों को फाइनल एग्जाम में न बैठने देने की धमकी दे रहे हैं.
जबकि यहां गलती न तो बच्चों की है और न ही पैरेंट्स की क्योंकि शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. स्कूलों की तरफ से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को तुरंत रोका जाए. क्योंकि उनके गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं, जिसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. हमें यह याद रखना जरूरी है कि बच्चे पूरे वर्ष मेहनत करते हैं और अपने फाइनल एग्जाम को लेकर पहले से ही भयभीत रहते हैं. गौतम ने मांग की है कि जो स्कूलों कानूनी आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, उन पर JJ act के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए और बच्चों को एडमिट कार्ड सौंपना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही हमें इससे सम्बंधित ATR भी उपलब्ध करवाई जाए.
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