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स्वाति मालिवाल पर BJP का हमला, कहा-दिल्ली महिला आयोग को भंग करें उपराज्यपाल

दिल्ली महिला आयोग में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का मामला गरम होता जा रहा है. चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल पर कोर्ट की टिप्पणी और आदेश से विपक्षी दल हमलावर हैं. BJP ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को ही भंग करने की मांग की है.

दिल्ली महिला आयोग
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Published : Dec 9, 2022, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल की परेशानी बढ़ सकती है. आयोग की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप तय करने के कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में राजनीति गर्म हो गई है. भाजपा से लेकर कांग्रेस तक हमलावर है. दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने शुक्रवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को भंग करने की मांग की है.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल बीते 7 साल से अधिक से दिल्ली महिला आयोग के पद का राजनीतिक दुरुपयोग कर रही हैं. वह दिल्ली ही नही देश भर के महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी करती हैं, पर यदि किसी आम आदमी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता से जुड़ा मामला आता है तो चुप्पी साध लेती हैं. मालिवाल ने दिल्ली महिला आयोग में ना सिर्फ सभी पदों पर आम आदमी पार्टी महिला वॉलेंटियरस की भर्ती की है बल्कि स्वीकृत पदों से अधिक कर्मियों की नियुक्ति की हुई है.

BJP ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को ही भंग करने की मांग की है.
BJP ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को ही भंग करने की मांग की है.

यह भी पढ़ेंः बरखा सिंह ने कोर्ट के आदेश पर जताई खुशी, स्वाति मालीवाल से मांगा इस्तीफा

ये है मामलाः डीसीडब्ल्यू की पूर्व अध्यक्ष और भाजपा विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियुक्तों ने मिलीभगत कर साजिशन अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया और आप कार्यकर्ताओं को आर्थिक लाभ दिलाया, जिन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना डीसीडब्ल्यू के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था.

यह भी पढ़ेंः महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अपने पद से दें इस्तीफा: अलका लांबा

उक्त एफआईआर का संज्ञान लेते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों के दौरान नियम और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाते हुए अपने सगे संबंधियों को मौका दिया गया. जनता के पैसे से उनकी तनख्वाह का भुगतान हुआ. अदालत ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है.

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल की परेशानी बढ़ सकती है. आयोग की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप तय करने के कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में राजनीति गर्म हो गई है. भाजपा से लेकर कांग्रेस तक हमलावर है. दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने शुक्रवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को भंग करने की मांग की है.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल बीते 7 साल से अधिक से दिल्ली महिला आयोग के पद का राजनीतिक दुरुपयोग कर रही हैं. वह दिल्ली ही नही देश भर के महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी करती हैं, पर यदि किसी आम आदमी पार्टी के नेता या कार्यकर्ता से जुड़ा मामला आता है तो चुप्पी साध लेती हैं. मालिवाल ने दिल्ली महिला आयोग में ना सिर्फ सभी पदों पर आम आदमी पार्टी महिला वॉलेंटियरस की भर्ती की है बल्कि स्वीकृत पदों से अधिक कर्मियों की नियुक्ति की हुई है.

BJP ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को ही भंग करने की मांग की है.
BJP ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर आयोग को ही भंग करने की मांग की है.

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ये है मामलाः डीसीडब्ल्यू की पूर्व अध्यक्ष और भाजपा विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियुक्तों ने मिलीभगत कर साजिशन अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया और आप कार्यकर्ताओं को आर्थिक लाभ दिलाया, जिन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना डीसीडब्ल्यू के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था.

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उक्त एफआईआर का संज्ञान लेते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों के दौरान नियम और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाते हुए अपने सगे संबंधियों को मौका दिया गया. जनता के पैसे से उनकी तनख्वाह का भुगतान हुआ. अदालत ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) (एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है.

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