नई दिल्ली : देश की राजधानी में हर माह राशन वितरण का काम केंद्र सरकार के तहत हो. दिल्ली के बीजेपी के नेताओं ने यह मांग की है. दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि ‘वन नेशन वन कार्ड’ के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी किया गया अतिरिक्त राशन भी दिल्ली के उन गरीबों तक नहीं पहुंचा जो दूसरे राज्यों से आकर दिल्ली में रह रहे हैं. दिल्ली के राशन विक्रेताओं का कमीशन पिछली छमाही से नहीं दिया गया जबकि इन्हें कमीशन एडवांस में मिलना चाहिए था.
ट्रांसपोर्टेशन खर्च और कमीशन का भुगतान भी करता है केंद्र : सरकार ने पहले ही यह राशि दिल्ली को दे दी है. दोनों नेताओं ने इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि या तो वह राशन व्यवस्था को अपने हाथों में ले ले या फिर केंद्र से जारी सब्सिडी का उपभोक्ताओं को बैंक खातों में भुगतान किया जाए, क्योंकि दिल्ली सरकार गरीबों तक राशन पहुंचाने का काम करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है. बीजेपी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और ‘वन नेशन वन कार्ड योजना’ के तहत दिल्ली के उपभोक्ताओं को राशन उपलब्ध कराती है. राशन उपलब्ध कराने के साथ-साथ केंद्र सरकार गोदामों से राशन विक्रेताओं तक राशन पहुंचाने का ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और राशन विक्रेताओं के कमीशन का भुगतान भी करती है.
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अप्रैल से सितंबर तक का नहीं बंटा गेहूं-चावल : दिल्ली सरकार को केवल गोदामों से राशन विक्रेताओं तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था करनी होती है लेकिन दिल्ली सरकार इतना काम भी नहीं कर पा रही. गरीबों को अभी तक नवंबर और दिसंबर का राशन नहीं मिल पाया है. इसकी वजह यह है कि मायापुरी, ओखला और पूसा के गोदामों से नवंबर महीने के लिए ही भेजे गए चावल का 34 हजार क्विंटल से ज्यादा और मायापुरी के गोदाम से गेहूं का 10 हजार क्विंटल से ज्यादा का स्टॉक उठाया ही नहीं गया. केंद्र सरकार ने इनके लिए इस साल अप्रैल से सितंबर तक की छमाही का 8 हजार टन चावल और 11900 टन गेहूं जारी किया था लेकिन दिल्ली सरकार इसका भी वितरण नहीं कर सकी.
दिल्ली सरकार दबाए बैठी है विक्रेताओं के कमीशन : बीजेपी नेताओं का आरोप है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया था कि राशन विक्रेताओं के कमीशन का भुगतान एडवांस में किया जाए. केंद्र सरकार ने पिछली छमाही में इनके कमीशन के रूप में 24 करोड़ 89 लाख रुपए का भुगतान कर दिया था लेकिन दिल्ली सरकार उस राशि को भी दबाकर बैठ गई और उसमें से भी सिर्फ 14 करोड़ 55 हजार रुपए ही जारी किए गए. इस तरह राशन विक्रेताओं को उनका कमीशन भी नहीं दिया जा रहा.
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