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बैकुंठ चतुर्दशी शनिवार या रविवार को ? यहां देखें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 24, 2023, 7:22 PM IST

Vaikunth Chaturdashi 2023: हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. कब है बैकुंठ चतुर्दशी ? जाने इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. शनिवार, 25 नवंबर 2023 को बैकुंठ चतुर्दशी पड़ रही है. बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है साथ ही सभी प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है. आईए जानते हैं कि बैकुंठ चतुर्दशी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां-

० बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: शनिवार, 25 नवंबर 2023 शाम 5:22 बजे से शुरू

चतुर्दशी तिथि समाप्त: रविवार, 26 नवंबर 2023 दोपहर 3:53 बजे पर समाप्त

अभिजीत मुहूर्त: रविवार, 26 नवंबर 2023 सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक

० बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु, शिव कुमार शर्मा ने कहा, देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु निद्रा योग से जागते हैं. ऐसी मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को ब्रह्मांड संभालने का कार्यभार सौंपा था. ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है.

० पूजा विधि

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ सुथरे कपड़े पहने. भगवान विष्णु और भगवान शिव के समक्ष बैकुंठ चतुर्दशी व्रत का संकल्प लें. मंदिर में घी का दिया जलाएं. भगवान विष्णु को बेलपत्र और कमल का फूल अर्पित करें. भगवान विष्णु और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद शुभ और फलदायी बताया गया है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है.

० ना करें ये काम

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्थी का दिन बेहद पवित्र माना गया है. इस दिन तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें. किसी भी तरह के नशे तंबाकू आदि से पूरी तरह दूर रहें. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चतुर्दशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप बताया गया है.

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ये भी पढ़ें: कार्तिक पूर्णिमा पर लगा चंद्रग्रहण, हरकी पैड़ी पर 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. शनिवार, 25 नवंबर 2023 को बैकुंठ चतुर्दशी पड़ रही है. बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है साथ ही सभी प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है. आईए जानते हैं कि बैकुंठ चतुर्दशी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां-

० बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: शनिवार, 25 नवंबर 2023 शाम 5:22 बजे से शुरू

चतुर्दशी तिथि समाप्त: रविवार, 26 नवंबर 2023 दोपहर 3:53 बजे पर समाप्त

अभिजीत मुहूर्त: रविवार, 26 नवंबर 2023 सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक

० बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु, शिव कुमार शर्मा ने कहा, देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु निद्रा योग से जागते हैं. ऐसी मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को ब्रह्मांड संभालने का कार्यभार सौंपा था. ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है.

० पूजा विधि

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ सुथरे कपड़े पहने. भगवान विष्णु और भगवान शिव के समक्ष बैकुंठ चतुर्दशी व्रत का संकल्प लें. मंदिर में घी का दिया जलाएं. भगवान विष्णु को बेलपत्र और कमल का फूल अर्पित करें. भगवान विष्णु और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद शुभ और फलदायी बताया गया है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है.

० ना करें ये काम

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्थी का दिन बेहद पवित्र माना गया है. इस दिन तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें. किसी भी तरह के नशे तंबाकू आदि से पूरी तरह दूर रहें. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चतुर्दशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप बताया गया है.

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