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कोरोना के चलते घरेलू उद्योगों के हालात खस्ता... घटी कमाई... बढ़ी परेशानी

कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक के तहत रियायतें देने के बाद भी हालात पूरी तरीके से ठीक नहीं हुए हैं. विशेष तौर पर दिल्ली के अंदर चल रहे जगह-जगह घरेलू उद्योग के क्षेत्र पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है. करीब 50 फीसदी घरेलू उद्योग वर्तमान में बंद हो चुके हैं या फिर मजबूरन उन्हें अस्थाई तौर पर उनके मालिकों ने पैसा ना होने के चलते बंद कर दिया है.

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Published : Jul 25, 2021, 9:10 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 2:11 PM IST

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दिल्ली में घरेलू उद्योगों के खस्ता हालात

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक के तहत रियायतें देने के बाद भी हालात पूरी तरीके से ठीक नहीं हुए हैं. दिल्ली के बाजारों को लगातार कोविड-19 नियमों के उल्लंघन को लेकर बंद किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कोरोना कि दूसरी लहर के चलते आई आर्थिक मंदी की वजह से दिल्ली में व्यापार की कमर पूरी तरीके से टूट गई है. विशेष तौर पर दिल्ली के अंदर चल रहे जगह-जगह घरेलू उद्योग के क्षेत्र पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है.

घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो लगभग 50 फीसदी घरेलू उद्योग वर्तमान में बंद हो चुके हैं या फिर मजबूरन उन्हें अस्थाई तौर पर उनके मालिकों ने पैसा ना होने के चलते बंद कर दिया है. इसकी वजह से बड़े स्तर पर ना सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है, बल्कि गरीब आदमी की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. पहले जहां घरेलू उद्योग से जुड़े हुए लोगों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए ठीक-ठाक आमदनी हो जाती थी. वहीं, अब आमदनी 50 फीसदी से भी कम हो गई है. इसके चलते घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

दिल्ली में घरेलू उद्योगों के खस्ता हालात

एक सरकारी सर्वे की मानें तो राजधानी दिल्ली में गरीब तबके से लगभग 60 फीसदी लोग आते हैं और घरेलू उद्योगों में कामकाज कर अपना जीवन गुजर-बसर करते हैं. लेकिन, अब घरेलू उद्योगों पर कोरोना की दूसरी लहर का काफी असर पड़ा और इसकी वजह से भयंकर आर्थिक मंदी हुई. इससे हालात काफी ज्यादा खराब हो गए हैं. ना सिर्फ बेरोजगारी बढ़ रही है, बल्कि घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की नौकरियां जाने के साथ-साथ परेशानियां ओर खर्चे भी बढ़ रहे हैं.

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दिल्ली में इंडस्ट्रियल एरिया (पार्ट-1)

वहीं, अगर राजधानी दिल्ली के अंदर इंडस्ट्रियल एरिया के क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर भी हालात को ठीक नहीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बाद यहां पर भी आर्थिक मंदी की जबरदस्त मार पड़ी है. बड़े स्तर पर ना सिर्फ रोजगार गया है, बल्कि इंडस्ट्रियां भी अभी तक अपने पैरों पर भली-भांति तरीके से नहीं खड़ी हो पाई है. पहले के मुकाबले काम अभी भी धीमी रफ्तार से चल रहा है.

पढ़ें: बच्चों की जिद पर पिता ने किया ये काम, तो मुरीद हुए PM Modi, 'मन की बात' में सराहा

इंडस्ट्रियल एरिया के अंदर स्थित उद्योगों कि ना सिर्फ आमदनी कम हुई है, बल्कि खर्चे बढ़ने से परेशानियां भी बड़ी है. राजधानी दिल्ली की इकोनॉमी पूरे देश में 13वें स्थान पर है. अर्थव्यवस्था के मामले में दिल्ली की नॉमिनल जीएसडीपी साल 2017-18 में 14.86 लाख रुपये आंकी गई थी, लेकिन कोराना के बाद दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा है और आर्थिक दर भी गिरी है. दिल्ली में आर्थिक दर गिरने से प्रमुख बाजार राजधानी दिल्ली में चलने वाले छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों के ऊपर पूरे तरीके से आर्थिक मंदी की मार पड़ना भी एक बड़ा कारण है.

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दिल्ली में इंडस्ट्रियल एरिया (पार्ट-2)

जखीरा क्षेत्र में हवाई चप्पलों की स्टेप कटिंग और फिनिशिंग के घरेलू उद्योग से जुड़ी एक महिला ने ईटीवी भारत संवाददाता अनूप शर्मा से बातचीत के दौरान बताया कि वर्तमान में हालात काफी ज्यादा खराब हो चुके हैं. जहां पहले एक व्यक्ति को 200 रुपये तक की आमदनी एक दिन में प्राप्त हो जाती थी, वहीं अब पूरे दिन काम करने के बाद बड़ी मुश्किल से 50 रुपये मिल पाते हैं. इसका बड़ा कारण यह है कि बाजार में अब काम नहीं रहा. मंदी के चलते सब कुछ बिखर सा गया है. घर में रहने वाले बाकी लोगों की भी नौकरियां नहीं है.

प्राइवेट क्षेत्र पूरे तरीके से खराब हो गया है. अपना कामकाज करने वाले लोग भी परेशान है, क्योंकि कोरोना की वजह से काफी लंबे समय तक दुकानों को बंद रखना पड़ा. परिवार में 15-16 लोग होने के बावजूद भी महज तीन लोगों के हिसाब से राशन मिलता है, क्योंकि राशन कार्ड में 3 लोगों का नाम दर्ज है. राशन कार्ड में परिवार के अन्य सदस्यों का नाम नहीं चढ़ाया जा रहा है. ज्यादातर घरों में यही हालात है. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के पास राशन कार्ड भी नहीं है और सरकार पीने का साफ पानी भी मुहैया नहीं करा रही है.

पढ़ें: दिल्ली में एनकाउंटर का दौर जारी, स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के साथ ही जिलों की पुलिस भी जुटी

घरेलू उद्योग के क्षेत्र से जुड़े एक और व्यक्ति ने ईटीवी से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि पहले बाजार में लोहे, स्टील और एलुमिनियम की शीट कटिंग का काम काफी ज्यादा था. लेकिन, बीते 2 साल से यह काम पूरी तरीके से खत्म होता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि कोरोना के चलते माल की सप्लाई में काफी ज्यादा कमी आई है और लोग खरीददारी भी कम कर रहे हैं. इसकी वजह से बाजार में काम नहीं है. पहले जहां 7 लोगों की जरूरत होती थी और उन्हें रोजगार मिलता था, वहीं अब बड़ी मुश्किल से थोड़ा बहुत काम निकलता है और उसके हिसाब से दो ही लोगों की जरूरत पड़ती है. इसके चलते मजबूरन 5 लोगों को काम से हटाना पड़ा.

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगाए गए लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक के तहत रियायतें देने के बाद भी हालात पूरी तरीके से ठीक नहीं हुए हैं. दिल्ली के बाजारों को लगातार कोविड-19 नियमों के उल्लंघन को लेकर बंद किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कोरोना कि दूसरी लहर के चलते आई आर्थिक मंदी की वजह से दिल्ली में व्यापार की कमर पूरी तरीके से टूट गई है. विशेष तौर पर दिल्ली के अंदर चल रहे जगह-जगह घरेलू उद्योग के क्षेत्र पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है.

घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो लगभग 50 फीसदी घरेलू उद्योग वर्तमान में बंद हो चुके हैं या फिर मजबूरन उन्हें अस्थाई तौर पर उनके मालिकों ने पैसा ना होने के चलते बंद कर दिया है. इसकी वजह से बड़े स्तर पर ना सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है, बल्कि गरीब आदमी की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. पहले जहां घरेलू उद्योग से जुड़े हुए लोगों को अपने परिवार का पेट भरने के लिए ठीक-ठाक आमदनी हो जाती थी. वहीं, अब आमदनी 50 फीसदी से भी कम हो गई है. इसके चलते घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

दिल्ली में घरेलू उद्योगों के खस्ता हालात

एक सरकारी सर्वे की मानें तो राजधानी दिल्ली में गरीब तबके से लगभग 60 फीसदी लोग आते हैं और घरेलू उद्योगों में कामकाज कर अपना जीवन गुजर-बसर करते हैं. लेकिन, अब घरेलू उद्योगों पर कोरोना की दूसरी लहर का काफी असर पड़ा और इसकी वजह से भयंकर आर्थिक मंदी हुई. इससे हालात काफी ज्यादा खराब हो गए हैं. ना सिर्फ बेरोजगारी बढ़ रही है, बल्कि घरेलू उद्योग से जुड़े लोगों की नौकरियां जाने के साथ-साथ परेशानियां ओर खर्चे भी बढ़ रहे हैं.

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दिल्ली में इंडस्ट्रियल एरिया (पार्ट-1)

वहीं, अगर राजधानी दिल्ली के अंदर इंडस्ट्रियल एरिया के क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर भी हालात को ठीक नहीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बाद यहां पर भी आर्थिक मंदी की जबरदस्त मार पड़ी है. बड़े स्तर पर ना सिर्फ रोजगार गया है, बल्कि इंडस्ट्रियां भी अभी तक अपने पैरों पर भली-भांति तरीके से नहीं खड़ी हो पाई है. पहले के मुकाबले काम अभी भी धीमी रफ्तार से चल रहा है.

पढ़ें: बच्चों की जिद पर पिता ने किया ये काम, तो मुरीद हुए PM Modi, 'मन की बात' में सराहा

इंडस्ट्रियल एरिया के अंदर स्थित उद्योगों कि ना सिर्फ आमदनी कम हुई है, बल्कि खर्चे बढ़ने से परेशानियां भी बड़ी है. राजधानी दिल्ली की इकोनॉमी पूरे देश में 13वें स्थान पर है. अर्थव्यवस्था के मामले में दिल्ली की नॉमिनल जीएसडीपी साल 2017-18 में 14.86 लाख रुपये आंकी गई थी, लेकिन कोराना के बाद दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा है और आर्थिक दर भी गिरी है. दिल्ली में आर्थिक दर गिरने से प्रमुख बाजार राजधानी दिल्ली में चलने वाले छोटे-छोटे घरेलू उद्योगों के ऊपर पूरे तरीके से आर्थिक मंदी की मार पड़ना भी एक बड़ा कारण है.

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दिल्ली में इंडस्ट्रियल एरिया (पार्ट-2)

जखीरा क्षेत्र में हवाई चप्पलों की स्टेप कटिंग और फिनिशिंग के घरेलू उद्योग से जुड़ी एक महिला ने ईटीवी भारत संवाददाता अनूप शर्मा से बातचीत के दौरान बताया कि वर्तमान में हालात काफी ज्यादा खराब हो चुके हैं. जहां पहले एक व्यक्ति को 200 रुपये तक की आमदनी एक दिन में प्राप्त हो जाती थी, वहीं अब पूरे दिन काम करने के बाद बड़ी मुश्किल से 50 रुपये मिल पाते हैं. इसका बड़ा कारण यह है कि बाजार में अब काम नहीं रहा. मंदी के चलते सब कुछ बिखर सा गया है. घर में रहने वाले बाकी लोगों की भी नौकरियां नहीं है.

प्राइवेट क्षेत्र पूरे तरीके से खराब हो गया है. अपना कामकाज करने वाले लोग भी परेशान है, क्योंकि कोरोना की वजह से काफी लंबे समय तक दुकानों को बंद रखना पड़ा. परिवार में 15-16 लोग होने के बावजूद भी महज तीन लोगों के हिसाब से राशन मिलता है, क्योंकि राशन कार्ड में 3 लोगों का नाम दर्ज है. राशन कार्ड में परिवार के अन्य सदस्यों का नाम नहीं चढ़ाया जा रहा है. ज्यादातर घरों में यही हालात है. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के पास राशन कार्ड भी नहीं है और सरकार पीने का साफ पानी भी मुहैया नहीं करा रही है.

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घरेलू उद्योग के क्षेत्र से जुड़े एक और व्यक्ति ने ईटीवी से बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि पहले बाजार में लोहे, स्टील और एलुमिनियम की शीट कटिंग का काम काफी ज्यादा था. लेकिन, बीते 2 साल से यह काम पूरी तरीके से खत्म होता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि कोरोना के चलते माल की सप्लाई में काफी ज्यादा कमी आई है और लोग खरीददारी भी कम कर रहे हैं. इसकी वजह से बाजार में काम नहीं है. पहले जहां 7 लोगों की जरूरत होती थी और उन्हें रोजगार मिलता था, वहीं अब बड़ी मुश्किल से थोड़ा बहुत काम निकलता है और उसके हिसाब से दो ही लोगों की जरूरत पड़ती है. इसके चलते मजबूरन 5 लोगों को काम से हटाना पड़ा.

Last Updated : Jul 26, 2021, 2:11 PM IST
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