नई दिल्ली: 1,100 दिनों से निराहार, सिर्फ नर्मदा नदी का जल पीकर जीवन यापन करने वाले महाराज अवधूत दादा गुरु की नौ दिवसीय दिल्ली से मथुरा तक की यमुना सेवा पद यात्रा पूरी हो गई. 28 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच चली पद यात्रा व 6 नवंबर की गोवर्धन परिक्रमा के बाद बुधवार को वह दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को मीडिया से साझा किया और कहा कि यमुना जी को निर्मल करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.
दादा गुरु जी ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता के दौरान यमुना नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि दिल्ली में आने पर दम घुटने लगा है. सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इस वजह से वह ज्यादा तेज नहीं बोल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने के लिए सरकार जो काम कर रही उसमें तेजी लानी होगी. साथ ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे तभी आसपास के वातावरण को स्वच्छ रख पाएंगे.
दादा गुरु ने कहा कि पहले हमारे आसपास का वातावरण हरा भरा रहता था. नदियों में पानी था. अब नदियां सूख रही है, कई प्रदूषित हो गई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना नदी का हाल देखकर बहुत चिंतित हूं. किस प्रकार से यमुना नदी प्रदूषित हो गई है. सरकार से मांग है कि इसके लिए जरूरी और ठोस कदम उठाए, ताकि यह निर्मल बन सके.
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बता दें, नर्मदा मिशन के संस्थापक अवधूत दादा गुरु ने बीते 1,100 दिनों ने अन्न व फल का एक तिनका भी नहीं लिया है. वह पूरी तरह से निराहार हैं. दादा गुरु दिन भर में अल्प मात्रा में सिर्फ नर्मदा नदी के जल का सेवन कर रहे हैं. दादा गुरु का मकसद प्रकृति, पर्यावरण, नदियों, जल, मिट्टी के संरक्षण व संवर्धन करना है. उनकी यात्रा दुनिया भर में पहली ऐसी यात्रा है, जिसके केंद्र में प्रकृति संरक्षण है. इस बीच उन्होंने करीब ढाई लाख किमी की अनेक प्रांतों की पदयात्रा की है. 3200 किमी की नर्मदा सेवा परिक्रमा भी की है. तीन बार रक्त दान कर विज्ञान को भी चुनौती दी है. दादा गुरु के नाम अभी तक कई वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं.