नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में 22 सितंबर को होने वाले छात्र संघ चुनाव के लिए ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा शुक्रवार को कर दी. आइसा उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक अपना नामांकन दाखिल कर दिया है और इस चुनाव को लोकतंत्र की पूरी भावना के साथ लड़ने और छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया है. आइसा ने अध्यक्ष के लिए आयशा अहमद खान, उपाध्यक्ष के लिए अनुष्का चौधरी, सचिव के लिए आदित्य प्रताप सिंह और संयुक्त सचिव के लिए अंजलि कुमारी को उम्मीदवार बनाया है.
डूसू चुनाव के लिए क्या है आइसा का एजेंडा
आइसा ने छात्र संघ चुनाव को लेकर अपना एजेंडा भी जारी किया है. न्यू इंटरनल स्कीम वापस लेने की मांग, शुल्क वृद्धि समाप्त करने, एईसी विकल्पों में अंग्रेजी जोड़ने, छात्रों को रियायती मेट्रो पास प्रदान करने और सभी छात्रों के लिए छात्रावास सुनिश्चित करना मुख्य एजेंडा है.
एक नजर में जानिए आइसा के उम्मीदवारों के बारे में
- आयशा अहमद खान पटना की रहने वाली हैं. मिरांडा हाउस कॉलेज की छात्रा हैं. वह एफवाईयूपी के पहले बैच का हिस्सा हैं और उन्हें इस कार्यक्रम का खामियाजा भुगतना पड़ा है.
- आयशा अहमद आईपीसीडब्ल्यू और मिरांडा हाउस में गुंडागर्दी और महिला छात्रों के उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व किया है.
- दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ फैकल्टी की छात्रा अनुष्का चौधरी बहादुरगढ़ की रहने वाली हैं. वह डीयू को फिर से खोलने के आंदोलन में एक अभिन्न भूमिका निभाई और ऐतिहासिक 57 दिवसीय अनिश्चितकालीन हड़ताल का नेतृत्व किया.
- आदित्य प्रताप सिंह ने 2019 में विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और तब से AISA के कार्यकर्ता हैं. उन्होंने डीयू को फिर से खोलने और सीयूईटी प्रवेश में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के आंदोलन में केंद्रीय भूमिका निभाई है.
- मिरांडा हाउस की एक युवा आवाज अंजलि कुमारी प्रथम वर्ष की छात्रा हैं, जिसने विश्वविद्यालय में अपने पहले दिन से ही एफवाईयूपी के अन्याय से लड़ने का संकल्प लिया था.
चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम पर बने जनमत संग्रह
आइसा द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, यह चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं है. डीयू में 4 साल बाद चुनाव हो रहा है और धन और बाहुबल की अभूतपूर्व राजनीति दिख रही है. विश्वविद्यालय में एफवाईयूपी का खामियाजा छात्रों के दो बैच को भुगतना पड़ा है. AISA ने घोषणा की है कि इस चुनाव को FYUP पर जनमत संग्रह बनाया जाना चाहिए. डूसू में एबीवीपी के 4 साल के कार्यकाल में सरकार की नीति और यूनियन की मिलीभगत से छात्रों के अधिकारों पर हिंसक हमला हुआ है. एबीवीपी ने डीयू में बार-बार आइसा कार्यकर्ताओं सहित न्याय के लिए लड़ रहे छात्रों पर हिंसक हमले किए हैं. AISA ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों से एबीवीपी की धन, बाहुबल और हिंसा की राजनीति को हराने का आह्वान किया.
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