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मिशन 2020: चेहरों की तलाश में AAP, पुराने के साथ-साथ नए भी लड़ सकते हैं चुनाव

कुछ महीनों बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है और आम आदमी पार्टी इन चेहरों पर बड़ा दांव खेल सकती है. इनमें सिर्फ छोटे नेताओं को नहीं बल्कि बड़े नेताओं को भी मौका मिल सकता है.

नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है AAP
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Published : Oct 22, 2019, 8:13 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 11:44 PM IST

नई दिल्ली: चंद महीनों बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवारों पर अंतिम मुहर की प्रक्रिया में है. 67 सीटें जीतकर 2015 में सरकार बनाने वाली पार्टी को अभी सिर्फ 3 सीटों के लिए ही उम्मीदवार की तलाश नहीं है, बल्कि उन बागी विधायकों के सीटों के लिए भी नए चेहरे तलाशे जा रहे हैं, जिन्होंने बीते 5 सालों में आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ दिया. साथ ही कुछ मौजूदा विधायक जिनके टिकट काटे जाने हैं, उनकी सीट पर भी नए प्रत्याशी ढूंढे जा रहे हैं.

नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है AAP

मई 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर अपनी तरफ से मजबूत कैंडिडेट उतारा था. इनमें पार्टी के कई नामी चेहरे भी थे. लोकसभा चुनाव में तो उन्हें जीत नहीं मिल सकी, लेकिन अब उन्हें विधानसभा चुनाव में आजमाया जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि आम आदमी पार्टी अपने सातों लोकसभा प्रत्याशियों को विधानसभा के मैदान में उतारने की कोशिश में है.

ये नेता उतर चुके हैं मैदान में!
इन्हें इनकी लोकसभा से संबंधित विधानसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ाया जा सकता है. इनमें से कई ने तो अपने क्षेत्र में दौरे भी शुरू कर दिए हैं. जैसे उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ चुके दिलीप पांडेय अपने क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं. तिमारपुर में इन दिनों उनकी खासी मौजूदगी देखी जा सकती है. वहीं पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ चुकी आतिशी की भी लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है. माना जा रहा है कि गांधीनगर से, जहां से विधायक अनिल वाजपेयी भाजपा में शामिल हो गए, वहां से पार्टी आतिशी को उतार सकती है. वहीं राघव चड्ढा भी दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं.

मजबूत नेताओं पर पार्टी की नजर
इनके अलावा बाकी उम्मीदवार भी अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. इनके अलावा पार्टी हाल के दिनों में दूसरे दलों से आए नेताओं पर भी भरोसा जता सकती है. बीते कुछ समय में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए नेताओं पर गौर करें, तो आम आदमी पार्टी में कुछ ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जिनकी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ है और पार्टी इन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है.

धनवंती चंदेला पर दांव खेल सकती है 'आप'
बता दें कि अगस्त महीने में आम आदमी पार्टी में धनवंती चंदेला शामिल हुई थीं. कांग्रेस की नेता रहीं धनवंती चंदेला राजौरी गार्डन क्षेत्र से तीन बार पार्षद रह चुकी हैं. वहीं, उनके पति दयानंद चंदेला 2018 से 2013 तक कांग्रेस के विधायक भी रहे हैं. 2015 में इस सीट से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता था, लेकिन पार्टी विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा देने के बाद यहां हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई. उस समय धनवंती चंदेला की बहू मीनाक्षी चंदेला ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रही थीं. चंदेला परिवार की राजौरी गार्डन में मजबूत पकड़ है और माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी है इस बार धनवंती चंदेला पर दांव लगा सकती है.

चांदनी चौक पर फंसा है मामला
हालांकि, चांदनी चौक में इस बार आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहां से विधायक रहीं अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी से बागी रूप अख्तियार किया था और कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. इसी सीट से कांग्रेस के विधायक रहे प्रह्लाद सिंह साहनी बीते दिनों आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. खुद अरविंद केजरीवाल ने उन्हें शामिल कराया था. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रह्लाद सिंह साहनी इस बार चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं.

इन्हें भी मिल सकता है मौका
बसपा से भाजपा और फिर भाजपा से बीते हफ्ते आम आदमी पार्टी में आए चौधरी सुरेंद्र कुमार की गोकलपुरी में मजबूत पकड़ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहे थे. माना जा रहा है कि गोकलपुरी से आम आदमी पार्टी मौजूदा विधायक फतेह सिंह के बदले सुरेंद्र कुमार का चुनाव कर सकती है.

कपिल मिश्रा की इनसे हो सकती है टक्कर
इधर, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले दुर्गेश पाठक इन दिनों करावल नगर में खूब कैंपेन और काम कर रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने करावल नगर से उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी है. ऐसे में तय है कि कपिल मिश्रा की जगह उन्हें उतारा जा सकता है.

आने वाले दिनों में भी अन्य दलों के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले हैं और उनमें से कई पर उन सीटों से आम आदमी पार्टी दांव खेल सकती है, जहां पर पार्टी के पास उम्मीदवार नहीं हैं या फिर जहां के विधायक 2020 की लड़ाई के मद्देनजर कमजोर दिख रहे हैं.

नई दिल्ली: चंद महीनों बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवारों पर अंतिम मुहर की प्रक्रिया में है. 67 सीटें जीतकर 2015 में सरकार बनाने वाली पार्टी को अभी सिर्फ 3 सीटों के लिए ही उम्मीदवार की तलाश नहीं है, बल्कि उन बागी विधायकों के सीटों के लिए भी नए चेहरे तलाशे जा रहे हैं, जिन्होंने बीते 5 सालों में आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ दिया. साथ ही कुछ मौजूदा विधायक जिनके टिकट काटे जाने हैं, उनकी सीट पर भी नए प्रत्याशी ढूंढे जा रहे हैं.

नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है AAP

मई 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर अपनी तरफ से मजबूत कैंडिडेट उतारा था. इनमें पार्टी के कई नामी चेहरे भी थे. लोकसभा चुनाव में तो उन्हें जीत नहीं मिल सकी, लेकिन अब उन्हें विधानसभा चुनाव में आजमाया जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि आम आदमी पार्टी अपने सातों लोकसभा प्रत्याशियों को विधानसभा के मैदान में उतारने की कोशिश में है.

ये नेता उतर चुके हैं मैदान में!
इन्हें इनकी लोकसभा से संबंधित विधानसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ाया जा सकता है. इनमें से कई ने तो अपने क्षेत्र में दौरे भी शुरू कर दिए हैं. जैसे उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ चुके दिलीप पांडेय अपने क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं. तिमारपुर में इन दिनों उनकी खासी मौजूदगी देखी जा सकती है. वहीं पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ चुकी आतिशी की भी लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है. माना जा रहा है कि गांधीनगर से, जहां से विधायक अनिल वाजपेयी भाजपा में शामिल हो गए, वहां से पार्टी आतिशी को उतार सकती है. वहीं राघव चड्ढा भी दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं.

मजबूत नेताओं पर पार्टी की नजर
इनके अलावा बाकी उम्मीदवार भी अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. इनके अलावा पार्टी हाल के दिनों में दूसरे दलों से आए नेताओं पर भी भरोसा जता सकती है. बीते कुछ समय में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए नेताओं पर गौर करें, तो आम आदमी पार्टी में कुछ ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जिनकी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ है और पार्टी इन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है.

धनवंती चंदेला पर दांव खेल सकती है 'आप'
बता दें कि अगस्त महीने में आम आदमी पार्टी में धनवंती चंदेला शामिल हुई थीं. कांग्रेस की नेता रहीं धनवंती चंदेला राजौरी गार्डन क्षेत्र से तीन बार पार्षद रह चुकी हैं. वहीं, उनके पति दयानंद चंदेला 2018 से 2013 तक कांग्रेस के विधायक भी रहे हैं. 2015 में इस सीट से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता था, लेकिन पार्टी विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा देने के बाद यहां हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई. उस समय धनवंती चंदेला की बहू मीनाक्षी चंदेला ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रही थीं. चंदेला परिवार की राजौरी गार्डन में मजबूत पकड़ है और माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी है इस बार धनवंती चंदेला पर दांव लगा सकती है.

चांदनी चौक पर फंसा है मामला
हालांकि, चांदनी चौक में इस बार आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहां से विधायक रहीं अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी से बागी रूप अख्तियार किया था और कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. इसी सीट से कांग्रेस के विधायक रहे प्रह्लाद सिंह साहनी बीते दिनों आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. खुद अरविंद केजरीवाल ने उन्हें शामिल कराया था. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रह्लाद सिंह साहनी इस बार चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं.

इन्हें भी मिल सकता है मौका
बसपा से भाजपा और फिर भाजपा से बीते हफ्ते आम आदमी पार्टी में आए चौधरी सुरेंद्र कुमार की गोकलपुरी में मजबूत पकड़ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहे थे. माना जा रहा है कि गोकलपुरी से आम आदमी पार्टी मौजूदा विधायक फतेह सिंह के बदले सुरेंद्र कुमार का चुनाव कर सकती है.

कपिल मिश्रा की इनसे हो सकती है टक्कर
इधर, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले दुर्गेश पाठक इन दिनों करावल नगर में खूब कैंपेन और काम कर रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने करावल नगर से उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी है. ऐसे में तय है कि कपिल मिश्रा की जगह उन्हें उतारा जा सकता है.

आने वाले दिनों में भी अन्य दलों के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले हैं और उनमें से कई पर उन सीटों से आम आदमी पार्टी दांव खेल सकती है, जहां पर पार्टी के पास उम्मीदवार नहीं हैं या फिर जहां के विधायक 2020 की लड़ाई के मद्देनजर कमजोर दिख रहे हैं.

Intro:चंद महीनों बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवारों पर अंतिम मुहर की प्रक्रिया में है. 67 सीटें जीतकर 2015 में सरकार बनाने वाली पार्टी को अभी सिर्फ 3 सीटों के लिए ही उम्मीदवार की तलाश नहीं है, बल्कि उन बागी विधायकों के सीटों के लिए भी नए चेहरे तलाशे जा रहे हैं, जिन्होंने बीते 5 सालों में आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ दिया और साथ ही कुछ मौजूदा विधायक जिनके टिकट काटे जाने हैं, उनकी सीट पर भी नए प्रत्याशी ढूंढे जा रहे हैं.


Body:नई दिल्ली: मई 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर अपनी तरफ से मजबूत कैंडिडेट उतारा था. इनमें पार्टी के कई नामी चेहरे भी थे. लोकसभा चुनाव में तो उन्हें जीत नहीं मिल सकी, लेकिन अब उन्हें विधानसभा चुनाव में आजमाया जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि आम आदमी पार्टी अपने सातों लोकसभा प्रत्याशियों को विधानसभा के मैदान में उतारने की कोशिश में है.

इन्हें इनकी लोकसभा से संबंधित विधानसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ाया जा सकता है. इनमें से कई ने तो अपने क्षेत्र में दौरे भी शुरू कर दिए हैं. जैसे उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ चुके दिलीप पांडेय अपने क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं. तिमारपुर में इन दिनों उनकी खासी मौजूदगी देखी जा सकती है. वहीं पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ चुकी आतिशी की भी लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है. माना जा रहा है कि गांधीनगर से, जहां से विधायक अनिल वाजपेयी भाजपा में शामिल हो गए, वहां से पार्टी आतिशी को उतार सकती है. वहीं राघव चड्ढा भी दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं.

इनके अलावा बाकी उम्मीदवार भी अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. इनके अलावा पार्टी हाल के दिनों में दूसरे दलों से आए नेताओं पर भी भरोसा जता सकती है. बीते कुछ समय में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए नेताओं पर गौर करें, तो आम आदमी पार्टी में कुछ ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जिनकी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ है और पार्टी इन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है.

अगस्त महीने में आम आदमी पार्टी में धनवंती चंदेला शामिल हुई थीं. कांग्रेस की नेता रहीं धनवंती चंदेला राजौरी गार्डन क्षेत्र से तीन बार पार्षद रह चुकी हैं. वहीं, उनके पति दयानंद चंदेला 2018 से 2013 तक कांग्रेस के विधायक भी रहे. 2015 में इस सीट से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता था, लेकिन पार्टी विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा देने के बाद यहां हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई. उस समय धनवंती चंदेला की बहू मीनाक्षी चंदेला ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रही थीं. चंदेला परिवार की राजौरी गार्डन में मजबूत पकड़ है और माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी है इस बार धनवंती चंदेला पर दांव लगा सकती है.

चांदनी चौक में इस बार आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहां से विधायक रहीं अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी से बागी रूप अख्तियार किया था और कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. इसी सीट से कांग्रेस के विधायक रहे प्रह्लाद सिंह साहनी बीते दिनों आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. खुद अरविंद केजरीवाल ने उन्हें शामिल कराया था. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रह्लाद सिंह साहनी इसबार चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं.

बसपा से भाजपा और फिर भाजपा से बीते हफ्ते आम आदमी पार्टी में आए चौधरी सुरेंद्र कुमार की गोकलपुरी में मजबूत पकड़ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहे थे. माना जा रहा है कि गोकलपुरी से आम आदमी पार्टी मौजूदा विधायक फतेह सिंह के बदले सुरेंद्र कुमार का चुनाव कर सकती है.

इधर, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले दुर्गेश पाठक इन दिनों करावल नगर में खूब कैम्पेन और काम कर रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने करावल नगर से उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी है. ऐसे में तय है कि कपिल मिश्रा की जगह उन्हें उतारा जा सकता है.


Conclusion:आने वाले दिनों में भी अन्य दलों के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले हैं और उनमें से कई पर उन सीटों से आम आदमी पार्टी दांव खेल सकती है, जहां पर पार्टी के पास उम्मीदवार नहीं हैं या फिर जहां के विधायक 2020 की लड़ाई के मद्देनजर कमजोर दिख रहे हैं.
Last Updated : Oct 22, 2019, 11:44 PM IST
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