नई दिल्ली: साल 2015 के विधानसभा चुनाव के पहले आम आदमी पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली में प्रदूषण कम करने के मुद्दे को शामिल किया था. प्रदूषण कम करने के प्रयास को लेकर पिछले 5 सालों से दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा लेकिन दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं हुआ. दिल्ली सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल लगभग पूरा कर चुकी है और दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है.
'फंड नहीं दे रही दिल्ली सरकार'
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर नियंत्रित करने की जिम्मेदारी एमसीडी और दिल्ली सरकार दोनों की होती है. लेकिन एमसीडी के नेताओं और अधिकारियों का हमेशा से ये आरोप रहा है कि दिल्ली सरकार उन्हें फंड मुहैया नहीं करा रही. जिस कारण प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जो अत्याधुनिक मशीनों की जरूरत पड़ती है. वो निगम नहीं खरीद पा रही. जो कुछ मशीनें उनके पास उपलब्ध है, उसी के सहारे दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है.
'MCD नहीं दे रही ध्यान'
अगर बात दिल्ली सरकार की करें तो दिल्ली सरकार की ओर से हमेशा से दिल्ली के नगर निगमों पर ये आरोप लगाया जाता है कि दिल्ली सरकार की ओर से उन्हें फंड का आवंटन किया जाता है. लेकिन निगम बीजेपी शासित होने के कारण निगम के अधिकारी और नेता प्रदूषण के मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिस कारण दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित नहीं किया जा सका है.
आरोप-प्रत्यारोप के बीच परेशान दिल्ली की जनता
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से ना सिर्फ बच्चों को बल्कि बूढ़े लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इसके समाधान के बजाय दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच सालों भर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा. फंड की कमी, दिल्ली सरकार का सहयोग ना मिलना सहित कई मुद्दों पर जहां एमसीडी ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए. तो वहीं दिल्ली सरकार ने भी एमसीडी को इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि एमसीडी और दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए क्या प्रयास करती है और दिल्ली की जनता कब खुली हवा में सांस ले पाती है.