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Maharally At Ramlila Maidan: अध्यादेश के बहाने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में AAP, जानें पूरा मामला

आम आदमी पार्टी ने 11 जून को अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करने का ऐलान किया है. इसका मुख्य मकसद गैर बीजेपी दलों को एकसाथ लाकर राज्यसभा में अध्यादेश को रोकना है. इसी बीच रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की.

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शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में आप
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Published : May 22, 2023, 4:13 PM IST

नई दिल्ली: सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी आम लोगों के साथ-साथ विपक्षी दलों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में जुट है. चुनाव जीतने और सरकार बनाने के लंबे समय बाद AAP दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 11 जून को महारैली करने का ऐलान किया है. सोमवार को AAP के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने इसकी पुष्टि कर दी, जिसके बाद अब पार्टी अपने मंच पर अन्य राजनीतिक दलों को लाने की तैयारी में भी जुट गई है.

रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मिलने पहुंचे थे, तब केजरीवाल ने उनके साथ खुलकर अपनी मंशा जाहिर की. उन्होंने कहा था कि गैर राजग विपक्ष को एकजुट कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को राज्यसभा में पारित नहीं होने देना हमारा लक्ष्य है. उन्होंने बताया था कि राज्यसभा में अध्यादेश को पारित नहीं होने देने के लिए वह सभी गैर बीजेपी दलों के अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे. इसकी शुरुआत कल यानी मंगलवार से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ होने वाली मुलाकात से केजरीवाल करेंगे.

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सीएम नीतीश और केजरीवाल की रविवार को मुलाकात हुई थी.

रामलीला मैदान में 11 जून को आम आदमी पार्टी के द्वारा आयोजित होने वाली महारैली का मकसद दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दिखाना तो है ही, लेकिन इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी गैर बीजेपी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करने भी चाहती है. केजरीवाल मानते हैं कि इस अध्यादेश को पास कराने के लिए जब संसद में लाया जाएगा तब राज्यसभा में अगर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर इसका विरोध करते हैं तो यह अध्यादेश पास नहीं हो पाएगा. इसके बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में संदेश जाएगा कि 2024 में बीजेपी की सरकार हार रही है. रामलीला मैदान में होने वाली रैली में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब के भी लोगों को बुलाकर आम आदमी पार्टी शक्ति प्रदर्शन करेगी.

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रामलीला मैदान में तैयारी

अध्यादेश को लेकर संसद में सदस्यों की संख्या :

सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है. जिसके बाद अब दिल्ली सरकार में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग लेकर अंतिम फैसला करने का अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है. अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की दोनों सदनों से मंजूरी अनिवार्य होता है. यह अध्यादेश जब संसद में लाया जाएगा तो लोकसभा में बीजेपी को पूर्ण मत होने से वह लोकसभा में आसानी से पास हो जाएगा.

आम आदमी पार्टी का मानना है कि राज्यसभा में बीजेपी के अगुवाई वाले राजग को बहुमत हासिल नहीं है. ऐसे में राज्यसभा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों से समान दूरी अपनाने की नीति पर चल रहे वाईएसआरसीपी और बीजद पार्टी की भूमिका अहम हो जाएगी. राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, राजग के पास 109 सदस्य हैं यह संख्या बल बहुमत से 14 कम है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का मानना है कि गैर बीजेपी सभी राजनीतिक दल एकजुट हो जाए तो अध्यादेश पारित नहीं हो सकता है. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और सीएए जैसे कई अहम मौकों पर गैर बीजेपी राजनीतिक दल जो विरोध कर रहे थे उन्होंने वोटिंग के दौरान मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

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रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई थी आप

रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई थी आप :

आम आदमी पार्टी का उदय अगस्त 2011 में रामलीला मैदान में आयोजित अन्ना आंदोलन के बाद ही हुआ था. जनलोकपाल को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे के अनशन में तब गैर सरकारी संस्था चलाने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके साथी शामिल हुए थे. इस आंदोलन में अन्ना समेत टीम केजरीवाल ने मौजूदा केंद्र की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला था. उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इससे लोगों में आक्रोश भरा. इसके करीब 1 साल बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी बनाने का ऐलान किया. पार्टी ने दिल्ली की विधानसभा चुनाव लड़ा और उसके बाद से लगातार जीतती आयी है.

ये भी पढ़ें : Maharally against Modi: मोदी के खिलाफ गरजेंगे केजरीवाल, 11 जून को रामलीला मैदान में होगी महारैली

नई दिल्ली: सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी आम लोगों के साथ-साथ विपक्षी दलों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश में जुट है. चुनाव जीतने और सरकार बनाने के लंबे समय बाद AAP दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 11 जून को महारैली करने का ऐलान किया है. सोमवार को AAP के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने इसकी पुष्टि कर दी, जिसके बाद अब पार्टी अपने मंच पर अन्य राजनीतिक दलों को लाने की तैयारी में भी जुट गई है.

रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मिलने पहुंचे थे, तब केजरीवाल ने उनके साथ खुलकर अपनी मंशा जाहिर की. उन्होंने कहा था कि गैर राजग विपक्ष को एकजुट कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को राज्यसभा में पारित नहीं होने देना हमारा लक्ष्य है. उन्होंने बताया था कि राज्यसभा में अध्यादेश को पारित नहीं होने देने के लिए वह सभी गैर बीजेपी दलों के अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे. इसकी शुरुआत कल यानी मंगलवार से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ होने वाली मुलाकात से केजरीवाल करेंगे.

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सीएम नीतीश और केजरीवाल की रविवार को मुलाकात हुई थी.

रामलीला मैदान में 11 जून को आम आदमी पार्टी के द्वारा आयोजित होने वाली महारैली का मकसद दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दिखाना तो है ही, लेकिन इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी गैर बीजेपी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करने भी चाहती है. केजरीवाल मानते हैं कि इस अध्यादेश को पास कराने के लिए जब संसद में लाया जाएगा तब राज्यसभा में अगर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर इसका विरोध करते हैं तो यह अध्यादेश पास नहीं हो पाएगा. इसके बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में संदेश जाएगा कि 2024 में बीजेपी की सरकार हार रही है. रामलीला मैदान में होने वाली रैली में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब के भी लोगों को बुलाकर आम आदमी पार्टी शक्ति प्रदर्शन करेगी.

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रामलीला मैदान में तैयारी

अध्यादेश को लेकर संसद में सदस्यों की संख्या :

सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है. जिसके बाद अब दिल्ली सरकार में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग लेकर अंतिम फैसला करने का अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है. अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की दोनों सदनों से मंजूरी अनिवार्य होता है. यह अध्यादेश जब संसद में लाया जाएगा तो लोकसभा में बीजेपी को पूर्ण मत होने से वह लोकसभा में आसानी से पास हो जाएगा.

आम आदमी पार्टी का मानना है कि राज्यसभा में बीजेपी के अगुवाई वाले राजग को बहुमत हासिल नहीं है. ऐसे में राज्यसभा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों से समान दूरी अपनाने की नीति पर चल रहे वाईएसआरसीपी और बीजद पार्टी की भूमिका अहम हो जाएगी. राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, राजग के पास 109 सदस्य हैं यह संख्या बल बहुमत से 14 कम है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का मानना है कि गैर बीजेपी सभी राजनीतिक दल एकजुट हो जाए तो अध्यादेश पारित नहीं हो सकता है. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और सीएए जैसे कई अहम मौकों पर गैर बीजेपी राजनीतिक दल जो विरोध कर रहे थे उन्होंने वोटिंग के दौरान मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

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रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई थी आप

रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के बाद अस्तित्व में आई थी आप :

आम आदमी पार्टी का उदय अगस्त 2011 में रामलीला मैदान में आयोजित अन्ना आंदोलन के बाद ही हुआ था. जनलोकपाल को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे के अनशन में तब गैर सरकारी संस्था चलाने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके साथी शामिल हुए थे. इस आंदोलन में अन्ना समेत टीम केजरीवाल ने मौजूदा केंद्र की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला था. उनके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इससे लोगों में आक्रोश भरा. इसके करीब 1 साल बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी बनाने का ऐलान किया. पार्टी ने दिल्ली की विधानसभा चुनाव लड़ा और उसके बाद से लगातार जीतती आयी है.

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