नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों और नेताओं पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े रजिस्टर को मेंटेन नहीं किया जा रहा है, जिस कारण निगम को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अब तक प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े रजिस्टर को मेंटेन नहीं किया गया है, जबकि इस संबंध में वर्ष 2002 में ही आदेश पारित हुआ था.
'मिलीभगत से चल रहा खेल'
आम आदमी पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े अधिकारियों की लापरवाही के कारण निगम को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
साल 2002 में ही यह आदेश पारित हुआ था कि निगमों को प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े रजिस्टर को मेंटेन करना होगा, लेकिन 18 साल बीत जाने के बावजूद निगमों द्वारा अब तक प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े रजिस्टर को मेंटेन नहीं किया गया है, जिस कारण निगमों को कई सौ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि इस पूरे खेल में निगम के नेता और अधिकारी शामिल हैं. अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होती है कि प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े अधिकारी प्रत्येक प्रॉपर्टी की सर्वे करें और उसी हिसाब से उन प्रॉपर्टी पर टैक्स लगाएं, लेकिन निगम के अधिकारियों द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही जिस कारण निगम को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
'बेईमानी जानने का नहीं है तरीका'
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि निगम के अधिकारियों द्वारा टैक्स से जुड़ा कोई रजिस्टर मेंटेन नहीं किया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि निगम के अधिकारी और नेता कितनी बेईमानी कर रहे हैं.
ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कई प्रॉपर्टी मालिक निगम को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं और यह सब निगम के अधिकारी और नेता की मिलीभगत से चल रहा है. वैकेंट प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने में भी निगम के अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है जिस कारण प्रॉपर्टी के मालिक आसानी से निगम को चूना लगा रहे हैं.
हैरानी की बात यह है कि भाजपा के तमाम नेता यह दावा करते हैं कि दिल्ली सरकार द्वारा नगर निगम को फंड नहीं दिया जा रहा जबकि हकीकत यह है कि निगम के नेताओं और अधिकारियों की लापरवाही के कारण निगम का खजाना खाली हो रहा है.
'बड़ी संस्थाएं हैं शामिल'
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वेकेंट प्रॉपर्टी टैक्स मामले में दिल्ली के कई बड़ी संस्थाएं शामिल है जो निगम को हर वर्ष चूना लगा रहे हैं. अगर किसी प्रॉपर्टी पर 25 फीसदी से कम निर्माण हुआ है, तो उसे वैकेंट प्रॉपर्टी माना जाता है और उस पर टैक्स वसूला जाता है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई बड़ी संस्थाएं इस नियम का दुरुपयोग कर टैक्स की चोरी कर रही हैं.