नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के एक ड्राफ्ट को गलत बताया है. दरअसल पूर्वी राज्यों के लिए आम आदमी पार्टी के इंचार्ज राजेश शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग ने असम में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर परिसीमन का मसौदा प्रकाशित किया है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि न ही इसमें असम की बढ़ती जनसंख्या और न ही वहां की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने कहा कि 20 जून को चुनाव आयोग ने असम के लिए एक परिसीमन ड्राफ्ट प्रकाशित किया था. इसमें जिस तरह से लोकसभा और विधानसभा के लिए सीमा निर्धारित की गई है वह पूरी तरह से विसंगतिपूर्ण है और विभिन्न जातियों के अधिकारों को ध्यान में नहीं रखा गया है.
कब कब हुआ परिसीमन: राजेश शर्मा ने कहा कि असम में पहला परिसीमन सन् 1976 में किया गया, जो सन् 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया गया था. उस वक्त वहां की जनसंख्या 1 करोड़ 46 लाख थी. इसके बाद 2001 और 2011 में जनगणना हुई, लेकिन 2021 में किन्हीं कारणों जनगणना नहीं हो पाई. असम में जो ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया है, उसके लिए चुनाव आयोग ने जनगणना 2001 की ली है. आज असम की जनसंख्या बढ़कर 3 करोड़ 60 लाख हो गई है.
लोगों के अधिकारों का हनन: उन्होंने कहा कि इस परिसीमन में चुनाव आयोग ने लोकसभा की 14 और विधानसभा की 126 सीटें रखी है, लेकिन विधानसभा और लोकसभा की बाउंड्री को बदलना या उसकी सीमा का निर्धारण करना हमें गलत लगता है. जब भी परिसीमन का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाता है तो बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखा जाता है, लेकिन इसमें ऐसा नहीं किया गया है. यह चुनाव आयोग द्वारा असम के लोगों के और जातियों के अधिकारों का हनन है.
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दूर की जाएं कमियां: इतना ही नहीं, कहीं-कहीं तो एक ही गांव को अलग अलग विधानसभाओं में बांट दिया है, जिसके चलते आज पूरे असम में आंदोलन हो रहा है. राजेश शर्मा ने कहा कि हमने परिसीमन की खामियों को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. इसमें हमने कहा है कि साथ ही या तो ये कमियां दूर की जाएं, या फिर 2026 में होने वाले पूरे देश में परिसीमन एक साथ करें.
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