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सेवा भाव को सलाम! 54 सालों से चला रहे हैं फ्री ऑटो एंबुलेंस, मदद करते-करते है मौत की ख्वाहिश

घायलों को फर्स्ट-एड देने के साथ वो उन्हें मुफ्त में ही अस्पताल तक छोड़ देते हैं. यहां तक कि किसी ट्रिप पर जाते समय अगर उन्हें रास्ते में कोई घायल मिल जाता है तो वो उससे विनती कर पहले अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

हरजिंदर etv bharat
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Published : Jul 13, 2019, 10:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में यूं तो लाखों ऑटो और ऑटो-चालक हैं, लेकिन इंसानियत के नाम पर लोगों को मुफ्त में सेवाएं देने वाले एकमात्र हरजिंदर ही हैं. 76 साल के हरजिंदर सिंह यहां घायलों की मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचाते हैं. पिछले कई सालों से वो यहां ऑटो-एम्बुलेंस की सेवाएं दे रहे हैं.

ईटीवी भारत की हरजिंदर सिंह से खास बातचीत

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में वार्डन रहे
हरजिंदर सिंह दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के वार्डन रह चुके हैं. वे सिख धर्म की उन सभी सीखों का पालन करते हैं जिनका जिक्र गुरु ग्रंथ साहिब में किया गया है. इन्हीं में से एक 'नर सेवा ही नारायण सेवा' को उन्होंने ऐसे इख्तियार किया है कि 1964 से ऑटो रिक्शा चलाकर सिंह रोजी-रोटी के साथ मानवता को भी सहेजने का काम कर रहे हैं.

76-year-old auto-driver harjinder singh running free auto ambulance in delhi
हरजिंदर सिंह अपनी ऑटो एम्बुलेंस के साथ

पहले फर्स्ट एड फिर अस्पताल
घायलों को फर्स्ट-एड देने के साथ वो उन्हें मुफ्त में ही अस्पताल तक छोड़ देते हैं. यहां तक कि किसी ट्रिप पर जाते समय अगर उन्हें रास्ते में कोई घायल मिल जाता है तो वो सवारी से विनती कर पहले अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

'दान दे देतीं हैं सवारियां'
हरजिंदर बताते हैं कि लोगों की सेवा के लिए समय और धन बचाने के लिए वो एक्स्ट्रा काम जरूर करते हैं. कई बार उनकी गाड़ी में सफर करने वाले यात्री भी उन्हें दान दे देते हैं. जिसके लिए वो कभी ना नहीं कहते. वो बताते हैं कि उनका परिवार उन्हें बहुत मदद करता है. शायद यही कारण है कि वो इतने सालों से ये काम बिना किसी रुकावट के कर पा रहे हैं.

'आज तक एक भी चालान नहीं कटा'
हरजिंदर सिंह बताते हैं कि 50 साल से ज्यादा के वक्त में आजतक उनका कोई चालान नहीं हुआ है. वो सभी नियमों का पालन करते हैं. वह अब ट्रैफिक पुलिस के वार्डन नहीं हैं. लेकिन अगर रास्ते में जाम लगा हुआ देखते हैं तो अपने जेब से सीटी निकाल कर ट्रैफिक कंट्रोल करने लगते हैं. खास बात ये है कि उन्होंने आयुर्वेद का कोर्स किया है और उन्हें कई बीमारियों का इलाज भी आता है. शुगर की बीमारी के लिए वो बिल्कुल मुफ्त दवाएं देते हैं.

'सेवा करते हुए जान जाए'
हरजिंदर भजनपुरा इलाके में अपने बेटे के साथ रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनका एक ही सपना है कि लोगों की सेवा करते-करते उनकी जान जाए. अगले जन्म में भी भगवान उन्हें इस काबिल बनाए कि वो लोगों की मदद कर सकें.

नई दिल्ली: दिल्ली में यूं तो लाखों ऑटो और ऑटो-चालक हैं, लेकिन इंसानियत के नाम पर लोगों को मुफ्त में सेवाएं देने वाले एकमात्र हरजिंदर ही हैं. 76 साल के हरजिंदर सिंह यहां घायलों की मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचाते हैं. पिछले कई सालों से वो यहां ऑटो-एम्बुलेंस की सेवाएं दे रहे हैं.

ईटीवी भारत की हरजिंदर सिंह से खास बातचीत

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में वार्डन रहे
हरजिंदर सिंह दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के वार्डन रह चुके हैं. वे सिख धर्म की उन सभी सीखों का पालन करते हैं जिनका जिक्र गुरु ग्रंथ साहिब में किया गया है. इन्हीं में से एक 'नर सेवा ही नारायण सेवा' को उन्होंने ऐसे इख्तियार किया है कि 1964 से ऑटो रिक्शा चलाकर सिंह रोजी-रोटी के साथ मानवता को भी सहेजने का काम कर रहे हैं.

76-year-old auto-driver harjinder singh running free auto ambulance in delhi
हरजिंदर सिंह अपनी ऑटो एम्बुलेंस के साथ

पहले फर्स्ट एड फिर अस्पताल
घायलों को फर्स्ट-एड देने के साथ वो उन्हें मुफ्त में ही अस्पताल तक छोड़ देते हैं. यहां तक कि किसी ट्रिप पर जाते समय अगर उन्हें रास्ते में कोई घायल मिल जाता है तो वो सवारी से विनती कर पहले अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

'दान दे देतीं हैं सवारियां'
हरजिंदर बताते हैं कि लोगों की सेवा के लिए समय और धन बचाने के लिए वो एक्स्ट्रा काम जरूर करते हैं. कई बार उनकी गाड़ी में सफर करने वाले यात्री भी उन्हें दान दे देते हैं. जिसके लिए वो कभी ना नहीं कहते. वो बताते हैं कि उनका परिवार उन्हें बहुत मदद करता है. शायद यही कारण है कि वो इतने सालों से ये काम बिना किसी रुकावट के कर पा रहे हैं.

'आज तक एक भी चालान नहीं कटा'
हरजिंदर सिंह बताते हैं कि 50 साल से ज्यादा के वक्त में आजतक उनका कोई चालान नहीं हुआ है. वो सभी नियमों का पालन करते हैं. वह अब ट्रैफिक पुलिस के वार्डन नहीं हैं. लेकिन अगर रास्ते में जाम लगा हुआ देखते हैं तो अपने जेब से सीटी निकाल कर ट्रैफिक कंट्रोल करने लगते हैं. खास बात ये है कि उन्होंने आयुर्वेद का कोर्स किया है और उन्हें कई बीमारियों का इलाज भी आता है. शुगर की बीमारी के लिए वो बिल्कुल मुफ्त दवाएं देते हैं.

'सेवा करते हुए जान जाए'
हरजिंदर भजनपुरा इलाके में अपने बेटे के साथ रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनका एक ही सपना है कि लोगों की सेवा करते-करते उनकी जान जाए. अगले जन्म में भी भगवान उन्हें इस काबिल बनाए कि वो लोगों की मदद कर सकें.

Intro:नई दिल्ली:
दिल्ली में यूं तो लाखों ऑटो और ऑटो-चालक है लेकिन इंसानियत के नाम पर लोगों को मुफ्त में सेवाएं देने वाले एकमात्र हरजिंदर ही हैं. 76 साल के हरजिंदर सिंह यहां घायलों की मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचाते हैं. पिछले कई सालों से वो यहां ऑटो-एम्बुलेंस की सेवाएं दे रहे हैं.


Body:दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के वार्डन रह चुके हरजिंदर सिख धर्म की उन सभी सीखों का पालन करते हैं जिनका जिक्र गुरु ग्रंथ साहिब में किया गया है. इसी में से एक 'नर सेवा ही नारायण सेवा' को उन्होंने ऐसे इख्तियार किया है कि 1964 से ऑटो रिक्शा चला सिंह रोजी-रोटी के साथ मानवता को भी बचाने का काम कर रहे हैं. घायलों को फर्स्ट-एड देने के साथ वो उन्हें मुफ्त में ही अस्पताल तक छोड़ते हैं. यहां तक कि अगर किसी ट्रिप पर जाते समय अगर उन्हें रास्ते में कोई घायल मिल जाता है तो वो उससे विनती कर पहले घायल को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

हरजिंदर बताते हैं कि सेवा के लिए समय और धन बचाने के लिए वो एक्स्ट्रा काम जरूर करते हैं. इसी के साथ उनकी गाड़ी में चढ़ने वाले यात्री भी कई बार उन्हें दान दे देते हैं जिसके लिए वो कभी कहते नहीं हैं. वो बताते हैं कि उनका परिवार उन्हें बहुत मदद करता है. शायद यही कारण है कि वो इतने सालों से ये काम बिना किसी रुकावट के कर पा रहे हैं.

सिंह बताते हैं कि 50 साल से ज्यादा के समय में उनका आजतक कोई चालान नहीं हुआ है. वो सभी नियमों का पालन करते हैं. वह अब ट्रैफिक पुलिस के वार्डन नहीं है लेकिन अगर रास्ते में जाम लगा हुआ देखते हैं तो अपना वॉर्डन वाला काम आज भी जरूर करते हैं. खास बात है कि उन्होंने आयुर्वेद का कोर्स किया है और ऐसे में उनके पास कई बीमारियों का इलाज है. इसमें ही शुगर की बीमारी के लिए वो मुफ्त दवाएं देते हैं.




Conclusion:हरजिंदर भजनपुरा इलाके में अपने बेटे के साथ रहते हैं. वो कहते हैं कि उनका सपना है कि अगर यही सेवा करते-करते उनकी जान जाए तो अगले जन्म में भी भगवान उन्हें इस काबिल बनाए की लोगों की मदद कर सकें. वो कहते हैं कि उन्हें खुशी होगी अगर उनकी जान भी किसी के सेवा करते-करते ही जाए.
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