नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासन राव ने उर्दू साहित्यकार शम्सुर्रहमान फारुकी के चित्र पर फूल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सचिव के श्रीनिवासन राव ने फारुकी साहब को याद करते हुए कहा कि उन्होंने उर्दू ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं को एक अलग पहचान दिलाई थी.
वह उर्दू में मशहूर आलोचक और लेखक रहे और अलग-अलग साहित्य की रचना की. उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है. साथ ही फारुकी साहब को सरस्वती सम्मान भी प्राप्त है और उनका 'कई चांद थे सरे आसमां' नामक उपन्यास काफी चर्चित हुआ था.
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श्रद्धांजलि सभा में फारूकी साहब की बेटी और उर्दू की प्रोफेसर मेहर अफशां फारुकी भी शामिल हुईं. जिन्होंने कहा कि हमारे पास उनके जीवन के हर एक पल की यादें हैं, हम उन्हें हमेशा अपनी स्मृति में बसाए रखेंगे.
इसके साथ ही अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष गोपीचंद नारंग ने कहा कि फारूकी के बिना उर्दू अदब अधूरा है, उनका लिखा हुआ पीढ़ियों तक साथ रहेगा. हिंदी के प्रख्यात आलोचक और कवि राजेंद्र कुमार ने कहा कि वह इलाहाबाद का फक्र है, वह अदब और तहजीब के सच्चे नुमाइंदे थे और उन्होंने अपनी कलम की गरिमा हमेशा बनाए रखी.