नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के आम्रपाली ड्रीम वैली की निर्माणाधीन साइट पर लिफ्ट गिरने के मामले में आठ लोगों की मौत चुकी है, जबकि एक कि हालत गंभीर बनी हुई है. पुलिस की प्राथमिक जांच और मजदूरों से पूछताछ में पता चला है की कंस्ट्रक्शन कंपनी और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) के अधिकारी सुरक्षा के मानकों को दरकिनार कर मजदूरों से कम करा रहे थे. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
दरअसल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में शुक्रवार को जहां हादसा हुआ वह आम्रपाली ड्रीम वैली परियोजना का फेज-2 प्रोजेक्ट है. इसे आम्रपाली ग्रुप ने साल 2010 में लॉन्च किया था. इस परियोजना का काम वर्ष 2015 में रुक गया था, जिसके बाद आम्रपाली ग्रुप नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूलन (एनसीएलटी) गया.
दूसरे फेज में 8,302 फ्लैट बनाए जाने हैं. 2017 में फ्लैट पर कब्जा नहीं मिलने के कारण खरीददार सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए, जिसके बाद नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंसट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) को निगरानी के लिए नियुक्त किया था. इसके बाद एनबीसीसी की ओर से टेंडर जारी किया गया और अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए गिरधारी लाल कंस्ट्रक्शन को जिम्मेदारी दी गई थी.
हादसे में मृत लोगों का शव लेने अस्पताल पहुंचे उनके परिजन बिलख बिलख कर रोने लगे. उन्होंने जिला अस्पताल के डॉक्टरों और प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं. एक मृतक के परिजन ने आरोप लगाया कि घायलों को एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराया गया और उन्हें टेम्पो में अस्पताल लाया गया. वहीं दूसरे परिजन ने आरोप लगाया कि उन्हें डॉक्टरों ने उनके भतीजे से मिलने नहीं दिया.
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हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिजनों को प्रशासन की तरफ से 25-25 लाख रुपए मुआवजा दिया जाने की घोषणा की गई है. यह धनराशि 24 घंटे में उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी. जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बनाया कि इसमें पांच लाख रुपये कोर्ट रिसीवर और 20 लाख रुपये एनबीसीसी की ओर से दिए जाएंगे. वहीं घायलों का इलाज कराया जाएगा, जिसका खर्च एनबीसीसी वहन करेगा.