नई दिल्ली/नोएडाः राष्ट्रीय राजधानी से लगे नोएडा को हाईटेक शहर कहा जाता है और सरकार से लेकर शासन-प्रशासन तक यहां पर लोगों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती है. अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो हर जगह सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. दिसंबर के अंत में हाड़ कंपा देनेवाली ठंड पड़ती है. ऐसे में यहां लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को मजबूर होते देखे गए हैं. उन्हें शासन प्रशासन की कोई मदद उन तक नहीं मिल पाई है. ऐसा ही कुछ नोएडा के सेक्टर 21ए स्टेडियम के पास फुटपाथ पर देखने को मिला, जहां राजस्थान से दिहाड़ी मजदूरी करने आए कुछ परिवार खुले आसमान के नीचे आग जलाकर किसी तरह से रात बिताने को मजबूर हैं. उनके पास किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची है. (Rajasthan family forced to live under open sky)
राजस्थान से रोजी-रोटी की तलाश में करीब एक दर्जन परिवार पिछले 3 महीने से नोएडा में आकर रह रहा है और वह किसी तरह से दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इस कड़ाके की सर्दी में उन्हें रहने का कोई ठिकाना नहीं है, जिसके चलते वह नोएडा के सेक्टर 21ए स्थित स्टेडियम के बाहर बने फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत की टीम जब इस ठिठुरती हुई ठंड में उनका हाल जानने पहुंची तो देखा कि जुगाड़ से उन्होंने अलाव जलाकर उसके सहारे खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं.
उनसे जब प्रशासन और शासन की मदद के संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसी प्रकार की कोई मदद किसी भी तरफ से नहीं मिली है. दिन में दिहाड़ी मजदूरी करके 3 से 4 सौ रुपये कमा लेते हैं, जिससे परिवार का भरण पोषण हो जाता है. रहने के संबंध में उन्होंने बताया कि ना ही कोई रैन बसेरे की व्यवस्था है और ना ही इस कंपकंपा देने वाली सर्दी से निपटने के लिए किसी प्रकार की अलाव की व्यवस्था है, जिसके चलते मजबूरी में जुगाड़ से किसी तरह से खुले आसमान के नीचे रात गुजारते हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने जब राजस्थान से आए परिवार के सदस्य ममता और सीमा से बात की तो उनका कहना था कि रोजी-रोटी की तलाश में हम लोग यहां आए हैं और पिछले तीन महीने से नोएडा में दिहाड़ी मजदूरी करके बच्चों का भरण पोषण कर रहे हैं. उनका कहना है कि जहां के हम रहने वाले हैं, वहां भी हमारे पास कोई आमदनी के स्रोत नहीं है, जिसके चलते हम यहां आकर दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं. पर ठिठुरा देने वाली ठंड में जैसे-तैसे आग का जुगाड़ करके फुटपाथ पर हम लोग रहते हैं.
प्रशासन और शासन के साथ ही किसी भी तरफ से किसी प्रकार की कोई ठंड से निपटने के लिए मदद अब तक नहीं मिली है. छोटे बच्चों को ठंड न लगे, इसके लिए अपने पास जो भी गर्म कपड़े हैं. उसमें बच्चों को लपेटकर रखते हैं ताकि उन्हें ठंड से बचाया जा सके. ज्यादा ठंड लगने पर आग जलाकर उसके सहारे खुले आसमान के नीचे किसी तरह से रात गुजार लेते हैं. ममता और सीमा ने बताया कि राशन और गर्म कपड़ों की जरूरत हमें जरूर है पर मदद कहीं से कोई नहीं मिली है.