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Crime In NCR: फर्जी कंपनियां खोल कर सरकार को चूना लगाने वाले आठ आरोपी गिरफ्तार

नोएडा पुलिस ने फर्जी कंपनियां बनाने वाले एक गिरोह के महिला समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि ये लोग सरकार को प्रति माह करीब करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे थे. अब तक करीब 10 हजार करोड़ रुपए का चूना लगा.

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फर्जी कंपनियां बनाने वाले एक गिरोह
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Published : Jun 1, 2023, 5:52 PM IST

फर्जी कंपनियां बनाने वाले एक गिरोह

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जो फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को करीब 14 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं. इनके पास से पुलिस ने करीब 13 लाख रुपये नकद, मोबाइल फोन, लैपटॉप, सीम कार्ड,व अन्य सामान बरामद किया गया है. पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने एक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि एक समाचार चैनल के संपादक ने कुछ दिन पहले थाना सेक्टर 20 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पैन कार्ड का प्रयोग करके कुछ लोगों ने फर्जी कंपनी खोलने का प्रयास किया है. उन्होंने बताया कि सुमित यादव नामक व्यक्ति ने भी थाना सेक्टर 20 में अपने साथ इस तरह की घटना होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच थाना सेक्टर-20 पुलिस और नोएडा की साइबर सेल कर रही थी. पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक सूचना के आधार पर पुलिस ने अश्वनी पांडे, यासीन सेख, दीपक मुजलानी, विनीता, विशाल सिंह, आकाश सिंह, अतुल सेंगर, राजीव सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि ये लोग इंटरनेट के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का डाटा सर्च करते हैं. इन्होंने करीब 10 लाख लोगों का डाटा अपने लैपटॉप में सुरक्षित कर रखा है. उनमें से यह लोग कॉमन नाम सर्च करते हैं. उसके बाद उस नाम का एक व्यक्ति जो गरीब और कम पढ़ा लिखा होता है, उसको ढूंढते हैं. फिर उस व्यक्ति के पैन कार्ड का फोन नंबर बदलवा कर उसमें अपना फोन नंबर डलवा देते हैं. ताकि फर्म रजिस्ट्रेशन के समय जब ओटीपी आए तो इनके मोबाइल फोन पर आ जाए. फिर उस व्यक्ति के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं.

पुलिस आयुक्त ने बताया कि यासीन शेख फैक्ट्री रजिस्ट्रेशन करवाने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मास्टरमाइंड है. कंपनी रजिस्टर्ड करवाने के बाद वह दीपक मुजलानी को डेढ़ से 2 लाख रुपये में बेच देता है. दीपक मुजलानी उस कंपनी को अन्य लोगों को 8 से 10 लाख रुपये में बेचता है. ये लोग फर्जी बिल जनरेट करके लाखों रुपए की खरीदारी दिखाते हैं तथा जीएसटी का इनपुट लाभ उठा लेते हैं. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि यह लोग फर्जी बिल तैयार कर टैक्स चोरी करने वाले गैंग के लोगों को भी देते हैं.

पुलिस आयुक्त ने बताया कि 2,650 कंपनियां इन लोगों ने अब तक फर्जी तरीके से बनाकर बेचनी स्वीकार की है, जबकि 800 कंपनियां इन्होंने बना ली है, लेकिन उन्हें बेच नहीं पाए हैं. उन्होंने बताया कि ये लोग औसतन एक कंपनी से 5 से 10 करोड की टैक्स चोरी की है. पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी आरोपियों ने किया है. इस मामले में जीएसटी विभाग और अन्य विभाग के लोगों की क्या मिलीभगत है, इसकी भी जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि देश के अन्य एजेंसियों को भी इस खुलासे की सूचना दी जा रही है. आरोपी भारत के विभिन्न प्रांतों में जीएसटी का लाभ उठाने का अपराध कर रहे थे.

ये भी पढ़ें : Crime In NCR: गैंगस्टर एक्ट में आरोपी की करोड़ों की संपत्ति जब्त

फर्जी कंपनियां बनाने वाले एक गिरोह

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जो फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को करीब 14 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं. इनके पास से पुलिस ने करीब 13 लाख रुपये नकद, मोबाइल फोन, लैपटॉप, सीम कार्ड,व अन्य सामान बरामद किया गया है. पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने एक प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि एक समाचार चैनल के संपादक ने कुछ दिन पहले थाना सेक्टर 20 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पैन कार्ड का प्रयोग करके कुछ लोगों ने फर्जी कंपनी खोलने का प्रयास किया है. उन्होंने बताया कि सुमित यादव नामक व्यक्ति ने भी थाना सेक्टर 20 में अपने साथ इस तरह की घटना होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच थाना सेक्टर-20 पुलिस और नोएडा की साइबर सेल कर रही थी. पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक सूचना के आधार पर पुलिस ने अश्वनी पांडे, यासीन सेख, दीपक मुजलानी, विनीता, विशाल सिंह, आकाश सिंह, अतुल सेंगर, राजीव सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि ये लोग इंटरनेट के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का डाटा सर्च करते हैं. इन्होंने करीब 10 लाख लोगों का डाटा अपने लैपटॉप में सुरक्षित कर रखा है. उनमें से यह लोग कॉमन नाम सर्च करते हैं. उसके बाद उस नाम का एक व्यक्ति जो गरीब और कम पढ़ा लिखा होता है, उसको ढूंढते हैं. फिर उस व्यक्ति के पैन कार्ड का फोन नंबर बदलवा कर उसमें अपना फोन नंबर डलवा देते हैं. ताकि फर्म रजिस्ट्रेशन के समय जब ओटीपी आए तो इनके मोबाइल फोन पर आ जाए. फिर उस व्यक्ति के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं.

पुलिस आयुक्त ने बताया कि यासीन शेख फैक्ट्री रजिस्ट्रेशन करवाने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मास्टरमाइंड है. कंपनी रजिस्टर्ड करवाने के बाद वह दीपक मुजलानी को डेढ़ से 2 लाख रुपये में बेच देता है. दीपक मुजलानी उस कंपनी को अन्य लोगों को 8 से 10 लाख रुपये में बेचता है. ये लोग फर्जी बिल जनरेट करके लाखों रुपए की खरीदारी दिखाते हैं तथा जीएसटी का इनपुट लाभ उठा लेते हैं. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि यह लोग फर्जी बिल तैयार कर टैक्स चोरी करने वाले गैंग के लोगों को भी देते हैं.

पुलिस आयुक्त ने बताया कि 2,650 कंपनियां इन लोगों ने अब तक फर्जी तरीके से बनाकर बेचनी स्वीकार की है, जबकि 800 कंपनियां इन्होंने बना ली है, लेकिन उन्हें बेच नहीं पाए हैं. उन्होंने बताया कि ये लोग औसतन एक कंपनी से 5 से 10 करोड की टैक्स चोरी की है. पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी आरोपियों ने किया है. इस मामले में जीएसटी विभाग और अन्य विभाग के लोगों की क्या मिलीभगत है, इसकी भी जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि देश के अन्य एजेंसियों को भी इस खुलासे की सूचना दी जा रही है. आरोपी भारत के विभिन्न प्रांतों में जीएसटी का लाभ उठाने का अपराध कर रहे थे.

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