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नोएडाः चाइल्ड पीजीआई के डॉक्टर और स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप, बच्ची की मौत के बाद परिजनों का हंगामा - Child PGI accused of negligence for death of child

नोएडा के सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई पर लापरवाही की वजह से एक बच्ची की मौत का आरोप लगा है. मृतक बच्ची के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. परिजनों का कहना है कि जब अस्पताल में बच्ची को लाया तो वह जिंदा थी लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उसकी मौत हो गई. पुलिस मौके पर पहुंचकर परिजनों को शांत कराया.

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Published : Mar 12, 2023, 7:07 PM IST

मृतक बच्ची के दादा बद्री नारायण जानकारी देते हुए

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में डॉक्टर और स्टाफ लापरवाही के चलते 10 महीने की बच्ची की मौत हो गई. बच्ची के परिजनों ने इस मौत के लिए डॉक्टर और स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया. परिजनों ने डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया. परिजनों की मांग थी कि डॉक्टर और स्टाफ पर कार्रवाई की जाए. हंगामे की सूचना मिलते ही कोतवाली सेक्टर 20 पुलिस मौके पर पहुंच गई और परिजनों को समझाकर मामले को शांत कराया.

नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में अपने 10 महीने की बच्ची वैदिक की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. न्यू अशोक नगर के बद्री पासवान का कहना है कि उनकी 10 माह की पोती की तबीयत शनिवार को खराब हो गई थी, तो उसे इलाज के लिए नोएडा के सेक्टर 30 चाइल्ड पीजीआई में लाए थे. जहां डॉक्टर उमेश रेड्डी ने उसका ट्रीटमेंट किया और कहा कि अगर तबीयत ज्यादा खराब हो तो बच्ची को लेकर आ जाना. रात को 1 बजे जब बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब मैं उसे लेकर यहां आया. लेकिन हॉस्पिटल में एडमिट ना करके एक टीका लगाकर घर भेज दिया और कहा कि जब तबीयत ज्यादा खराब हो तब सुबह आना.

बद्री पासवान का कहना है कि सुबह 10 बजे बच्ची को लेकर जब मैं यहा आया तब बच्ची की हालत बहुत सीरियस थी और उसे लगातार उल्टी हो रही थी. रिसेप्शन पर बोला गया कि आपका 24 नंबर है और अभी 10 नंबर चल रहा है. उसके बाद ही डॉक्टर देखेंगे, लेकिन बच्ची की तबीयत लगातार बिगड़ती गई. जब ज्यादा बिगड़ गई, तब बच्ची को आनन-फानन में अस्पताल में एडमिट कराया गया. बच्ची जिंदा थी. उसने बेड पर भी उल्टी की.

ये भी पढे़ंः रोहिणी फायरिंग मामला: प्रॉपर्टी डीलर को निशाना बनाकर चलाई गोली का शिकार हुआ उसका दोस्त

उन्होंने बताया कि बच्ची को ईसीजी लगाया गया, लेकिन थोड़ी देर बाद बच्ची की मौत हो गई. मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई और बच्ची की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चा ब्रॉड डेड लाया गया. अब डॉक्टर दबाव बना रहे हैं कि रिपोर्ट पर साइन करके बच्ची की बॉडी को ले जाए. अब हम चाहते हैं कि डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई हो, जिससे वे किसी बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार न कर सके, जिससे उसे अपनों से बिछड़ना पड़े.

ये भी पढ़ेंः नोएडा: निठारी से गुमशुदा हुई 3 बच्चियों को पुलिस ने किया बरामद

मृतक बच्ची के दादा बद्री नारायण जानकारी देते हुए

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में डॉक्टर और स्टाफ लापरवाही के चलते 10 महीने की बच्ची की मौत हो गई. बच्ची के परिजनों ने इस मौत के लिए डॉक्टर और स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया. परिजनों ने डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया. परिजनों की मांग थी कि डॉक्टर और स्टाफ पर कार्रवाई की जाए. हंगामे की सूचना मिलते ही कोतवाली सेक्टर 20 पुलिस मौके पर पहुंच गई और परिजनों को समझाकर मामले को शांत कराया.

नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में अपने 10 महीने की बच्ची वैदिक की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. न्यू अशोक नगर के बद्री पासवान का कहना है कि उनकी 10 माह की पोती की तबीयत शनिवार को खराब हो गई थी, तो उसे इलाज के लिए नोएडा के सेक्टर 30 चाइल्ड पीजीआई में लाए थे. जहां डॉक्टर उमेश रेड्डी ने उसका ट्रीटमेंट किया और कहा कि अगर तबीयत ज्यादा खराब हो तो बच्ची को लेकर आ जाना. रात को 1 बजे जब बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब मैं उसे लेकर यहां आया. लेकिन हॉस्पिटल में एडमिट ना करके एक टीका लगाकर घर भेज दिया और कहा कि जब तबीयत ज्यादा खराब हो तब सुबह आना.

बद्री पासवान का कहना है कि सुबह 10 बजे बच्ची को लेकर जब मैं यहा आया तब बच्ची की हालत बहुत सीरियस थी और उसे लगातार उल्टी हो रही थी. रिसेप्शन पर बोला गया कि आपका 24 नंबर है और अभी 10 नंबर चल रहा है. उसके बाद ही डॉक्टर देखेंगे, लेकिन बच्ची की तबीयत लगातार बिगड़ती गई. जब ज्यादा बिगड़ गई, तब बच्ची को आनन-फानन में अस्पताल में एडमिट कराया गया. बच्ची जिंदा थी. उसने बेड पर भी उल्टी की.

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उन्होंने बताया कि बच्ची को ईसीजी लगाया गया, लेकिन थोड़ी देर बाद बच्ची की मौत हो गई. मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई और बच्ची की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चा ब्रॉड डेड लाया गया. अब डॉक्टर दबाव बना रहे हैं कि रिपोर्ट पर साइन करके बच्ची की बॉडी को ले जाए. अब हम चाहते हैं कि डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई हो, जिससे वे किसी बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार न कर सके, जिससे उसे अपनों से बिछड़ना पड़े.

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