कमेटी ने कहा है कि इन कलाकारों के जरिये ये संदेश प्रचारित करना चाहिए कि लोग बिना पेंट वाली केवल चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तियों का ही प्रयोग करें. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यमुना नदी की सफाई की निगरानी के लिए जुलाई 2018 में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में दिल्ली की पूर्व सचिव शैलजा चंद्रा एवं विशेषज्ञ सदस्य बी एस सजवान शामिल हैं.
ताप्ती नदी में मूर्ति विसर्जन की इजाजत नहीं
समिति ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि अधिकारियों को मूर्ति विसर्जन के लिए विभिन्न इलाकों में कृत्रिम तालाब एवं गढ्ढे बनाने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए. कमेटी ने सुझाव दिया है कि मूर्तियों की अधिकतम लंबाई तीन फुट तक सीमित कर दी जानी चाहिए. कमेटी ने ये सुझाव गुजरात के सूरत को ध्यान में रखते हुए दिया जिसने ताप्ती नदी में किसी भी तरह के मूर्ति विसर्जन की इजाजत न देकर हाल ही में एक उदाहरण स्थापित किया है.
सूरत में मूर्ति विसर्जन के दौरान ताप्ती नदी के आसपास 4 हजार सीसीटीवी कैमरे और 8 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी. सूरत में लोगों में जागरुकता फैलाकर 60 हजार मूर्तियों को गढ्ढे खोदकर विसर्जित किया गया था. कमेटी ने दिल्ली और एनसीआर के अधिकारियों को सूरत के इस वाक्या से सीखने की सलाह दी है.