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त्रिलोकपुरी में खुले नाले में कचरे का निस्तारण न होने पर एनजीटी नाराज - एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट

पहले की सुनवाई के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नाले में से कचरा हटा दिया गया है. सूअरों के बाड़े को हटाने का मामला हाईकोर्ट में केस होने की वजह से लंबित है. नाले को पीडब्ल्यूडी दोबारा बना रही है. निगम के कहा कि वो नाले की लगातार सफाई कर रही है और कोई बीमारी न फैले इसके लिए चॉक पावडर का छिड़काव किया जा रहा है.

NGT angry over waste disposal in drain
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
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Published : Dec 3, 2019, 8:59 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में धर्मशीला अस्पताल के आसपास खुले नाले में ठोस कचरे का निस्तारण नहीं होने पर असंतोष जाहिर किया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि उस नाले में कोई कचरा न डाला जाए. एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि वो नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करे और उसकी रिपोर्ट एक महीने के अंदर दाखिल करे.

बता दें कि एनजीटी अपने जांच में पाया है कि नाले के पास कोई सीवेज पंपिंग स्टेशन कार्यशील नहीं है. इलाके के पास एक बूचड़खाने से निकलने वाले अनट्रीटेड सीवरेज के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी से कहा कि उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और वाटर एक्ट की धारा 33ए के तहत किभी भी प्रदूषणकारी पदार्थ को नाले में बहने नहीं देना चाहिए.

रोकना के लिए कदम उठाना चाहिए
पहले की सुनवाई के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नाले में से कचरा हटा दिया गया है. सूअरों के बाड़े को हटाने का मामला हाईकोर्ट में केस होने की वजह से लंबित है. नाले को पीडब्ल्यूडी दोबारा बना रही है. निगम के कहा कि वो नाले की लगातार सफाई कर रही है और कोई बीमारी न फैले इसके लिए चॉक पावडर का छिड़काव किया जा रहा है. निर्माण कार्यों के मलबे को डालने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

याचिका सुरेंदर पाल वर्मा ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अनाधिकृत बूचड़खाने से आने वाले कचरे को डालने की वजह से खुला नाला प्रूदषित हो रहा है. उस नाले में कचरों को डंप किया जाता है. जिसकी वजह से धर्मशीला अस्पताल के आस पास रहनेवाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में धर्मशीला अस्पताल के आसपास खुले नाले में ठोस कचरे का निस्तारण नहीं होने पर असंतोष जाहिर किया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि उस नाले में कोई कचरा न डाला जाए. एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि वो नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करे और उसकी रिपोर्ट एक महीने के अंदर दाखिल करे.

बता दें कि एनजीटी अपने जांच में पाया है कि नाले के पास कोई सीवेज पंपिंग स्टेशन कार्यशील नहीं है. इलाके के पास एक बूचड़खाने से निकलने वाले अनट्रीटेड सीवरेज के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी से कहा कि उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और वाटर एक्ट की धारा 33ए के तहत किभी भी प्रदूषणकारी पदार्थ को नाले में बहने नहीं देना चाहिए.

रोकना के लिए कदम उठाना चाहिए
पहले की सुनवाई के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नाले में से कचरा हटा दिया गया है. सूअरों के बाड़े को हटाने का मामला हाईकोर्ट में केस होने की वजह से लंबित है. नाले को पीडब्ल्यूडी दोबारा बना रही है. निगम के कहा कि वो नाले की लगातार सफाई कर रही है और कोई बीमारी न फैले इसके लिए चॉक पावडर का छिड़काव किया जा रहा है. निर्माण कार्यों के मलबे को डालने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

याचिका सुरेंदर पाल वर्मा ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अनाधिकृत बूचड़खाने से आने वाले कचरे को डालने की वजह से खुला नाला प्रूदषित हो रहा है. उस नाले में कचरों को डंप किया जाता है. जिसकी वजह से धर्मशीला अस्पताल के आस पास रहनेवाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है.

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नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में धर्मशीला अस्पताल के आसपास खुले नाले में ठोस कचरे का निस्तारण नहीं होने पर असंतोष जाहिर किया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि उस नाले में कोई कचरा न डाला जाए। एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया कि वो नियमों का उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करे और उसकी रिपोर्ट एक महीने के अंदर दाखिल करे।



Body:एनजीटी ने पाया कि नाले के पास कोई सीवेज पंपिंग स्टेशन कार्यशील नहीं है। इलाके के पास एक बूचड़खाने से निकलने वाले अनट्रिटेड सीवेज के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी से कहा कि उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और वाटर एक्ट की धारा 33ए के तहत किभी भी प्रदूषणकारी पदार्थ को नाले में बहने से रोकना के लिए कदम उठाना चाहिए।
पहले की सुनवाई के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नाले में से कचरा हटा दिया गया है। सूअरों के बाड़े को हटाने का मामला हाईकोर्ट में केस होने की वजह से लंबित है। नाले को पीडब्ल्यूडी दोबारा बना रही है। निगम के कहा कि वो नाले की लगातार सफाई कर रही है और कोई बीमारी न फैले इसके लिए चॉक पावडर का छिड़काव किया जा रहा है। निर्माण कार्यों के मलबे को डालने की अनुमति नहीं दी जा रही है।



Conclusion:याचिका सुरेंदर पाल वर्मा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अनाधिकृत बूचड़खाने से आने वाले कचरे को डालने की वजह से खुला नाला प्रूदषित हो रहा है। उस नाले में कचरों को डंप किया जाता है जिसकी वजह से धर्मशीला अस्पताल के आस पास रहनेवाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है।
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