नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के नवीनीकरण में खर्च हुए 44. 78 करोड़ रुपये में वित्तीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि करोड़ों रुपय के गैर कानूनी खर्च में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बराबर के साझीदार रहे हैं. यह इस बात से साबित होता है कि लगभग ₹45 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कोई भी सार्वजनिक निविदा जारी नहीं की गई.
केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने बड़े घोटाले का किया सृजन: मनोज तिवारी ने कहा कि भवन निर्माण या नवीनीकरण के लिए निविदा जारी की जाती है और नियमों के तहत जिस निर्माण एजेंसी को काम मिलना तय होता, उसे निर्माण का जिम्मा दिया जाता, लेकिन ऐसा न करके केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने एक बड़े घोटाले का सृजन किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि 10 करोड़ से अधिक की किसी भी योजना की सैद्धांतिक मंजूरी के लिए मुख्य अभियंता के अनुमोदन की जरूरत होती है, लेकिन उस प्रक्रिया से बचने के लिए मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार में 10 करोड़ से कम की कई योजनाएं बनाकर निर्माण कार्य पूरा कराया गया, ताकि योजना की मंजूरी के लिए सचिव और मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों तक फाइल भेजी ही न जाए.
केजरीवाल सरकार पर मनोज तिवारी ने कसा तंज: इसीलिए 5 योजनाएं बनाकर 7.92 करोड़ 1.64 करोड़ 9.09 करोड़ 8.68 करो 9.34 करोड़ खर्च कर मुख्यमंत्री आवास का नवीनीकरण किया गया. इस बड़ी वित्तीय अनियमितता की आड़ में हुए घोटाले में शामिल सभी लोगों की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर घोटाले में व्यय की गई राशि उनसे वसूली जाए. उन्होंने तंज कसा कि केजरीवाल सरकार के हर काम में घोटाला है या यूं कहा जाए घोटाले बाजों की सरकार है.
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