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लॉकडाउन में फैक्ट्रियां बंद होने से मजदूर परेशान - मजदूर परेशान

पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर और अजीत नगर में रह रहे प्रवासी मजदूरों का कहना है कि ठेकेदार पैसे नहीं दे रहे हैं. फैक्ट्रियां बंद कर के मालिक चले गए हैं. वहीं अब इनको सरकार की तरफ मदद का इंतजार है, ताकि ये अपने घर जा सकें.

migrant worker facing proble during lockdown
लॉकडाउन में मजदूर परेशान
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Published : May 12, 2020, 12:40 PM IST

नई दिल्लीः लॉकडॉउन के बाद से उन दिहाड़ी मजदूरों पर पहाड़ टूट पड़ा है, जो रोजाना कमा कर अपना घर चलाते हैं. इसमें तमाम को प्रवासी मजदूर भी हैं. जो कि अलग-अलग राज्यों से आकर देश की राजधानी दिल्ली में रहकर अपना परिवार चलाते हैं. लेकिन अचानक लॉकडाउन हो जाने के बाद मानो उनके जीवन में घोर अंधेरा छा गया हो.

लॉकडाउन में मजदूर परेशान

अब ना तो वह इस लॉकडाउन में अपने घरों को जा पा रहे हैं. और ना ही उन्हें यहां पर पर्याप्त राशन या खाना मिल रहा है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर और अजीत नगर जिसे प्रवासी मजदूरों का गढ़ कहा जाता है. यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तराखंड समेत कई अलग-अलग राज्यों से मजदूर आकर रह रहे हैं.

लॉकडाउन 3 में सरकार ने कुछ रियायतें भी दी हैं, लेकिन अभी भी फैक्ट्रियां नहीं खुल रही है. जिसके चलते इन मजदूरों के घरों में खाने को राशन नहीं है. इसके लिए कुछ संस्थाएं आगे आकर मदद भी कर रही हैं. उम्मीद प्रोजेक्ट की तरफ से गांधीनगर और अजीत नगर में मजदूरों को सूखा राशन और खाना दिया जा रहा है.

इन मजदूरों का कहना है कि इन्होंने लॉकडाउन से पहले जिन फैक्ट्री में काम किया था, वहां से भी ठेकेदार उन्हें पैसे नहीं दे रहे हैं. फैक्ट्रियां बंद कर के मालिक चले गए हैं और हमें कोई पैसे नहीं दिए गए हैं. जिसके बाद अब यह प्रवासी मजदूर सरकार की तरफ से इनके घरों तक भेजे जाने की व्यवस्था को लेकर इंतजार कर रहे हैं.

नई दिल्लीः लॉकडॉउन के बाद से उन दिहाड़ी मजदूरों पर पहाड़ टूट पड़ा है, जो रोजाना कमा कर अपना घर चलाते हैं. इसमें तमाम को प्रवासी मजदूर भी हैं. जो कि अलग-अलग राज्यों से आकर देश की राजधानी दिल्ली में रहकर अपना परिवार चलाते हैं. लेकिन अचानक लॉकडाउन हो जाने के बाद मानो उनके जीवन में घोर अंधेरा छा गया हो.

लॉकडाउन में मजदूर परेशान

अब ना तो वह इस लॉकडाउन में अपने घरों को जा पा रहे हैं. और ना ही उन्हें यहां पर पर्याप्त राशन या खाना मिल रहा है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर और अजीत नगर जिसे प्रवासी मजदूरों का गढ़ कहा जाता है. यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तराखंड समेत कई अलग-अलग राज्यों से मजदूर आकर रह रहे हैं.

लॉकडाउन 3 में सरकार ने कुछ रियायतें भी दी हैं, लेकिन अभी भी फैक्ट्रियां नहीं खुल रही है. जिसके चलते इन मजदूरों के घरों में खाने को राशन नहीं है. इसके लिए कुछ संस्थाएं आगे आकर मदद भी कर रही हैं. उम्मीद प्रोजेक्ट की तरफ से गांधीनगर और अजीत नगर में मजदूरों को सूखा राशन और खाना दिया जा रहा है.

इन मजदूरों का कहना है कि इन्होंने लॉकडाउन से पहले जिन फैक्ट्री में काम किया था, वहां से भी ठेकेदार उन्हें पैसे नहीं दे रहे हैं. फैक्ट्रियां बंद कर के मालिक चले गए हैं और हमें कोई पैसे नहीं दिए गए हैं. जिसके बाद अब यह प्रवासी मजदूर सरकार की तरफ से इनके घरों तक भेजे जाने की व्यवस्था को लेकर इंतजार कर रहे हैं.

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