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दिल्ली नगर निगम को डेढ़ लाख करोड़ रुपये दिए जाने के आप के दावे को एमसीडी ने बताया झूठा - आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने दावा किया है कि बीते 15 वर्षों में दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) को 1.5 लाख करोड़ रुपया दिया गया. आम आदमी पार्टी के इस दावे को दिल्ली नगर निगम की तरफ से झूठा बताया गया है.

Delhi Municipal Corporation
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Published : Oct 21, 2022, 11:38 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पिछले 15 सालों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की राशि देने के दावे में अंशमात्र भी सच्चाई नहीं है. दिल्ली नगर निगम को राज्य विधानसभा के अनुमोदन के पश्चात बजट आवंटित किया जाता है, जिसका इस्तेमाल स्वच्छता के अलावा अन्य मदों में भी किया जाता है. इसके संबंध में दिल्ली नगर निगम द्वारा दिल्ली सरकार को उपयोगिता प्रमाणपत्र भी दिया गया था, जिसे दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकार किया गया था, जिससे ये सिद्ध होता है कि फंडों के दुरुपयोग संबंधी सभी आरोप झूठे हैं और ये आरोप सिर्फ निगम की छवि को धूमिल करने के लिए लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप धनराशि उपलब्ध कराने संबंधी आदेशों का भी दिल्ली सरकार ने पालन नहीं किया है.

दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि निगम दिल्ली में 16 स्थानों पर नई सैनिटरी लैंडफिल साइट (New Sanitary Landfill Site) स्थापित कर रहा है. निगम सभी आरोपों को झूठा एवं आधारहीन करार देते हुए सिरे से नकारता है. इन आरोपों के संबंध में निगम स्पष्ट करना चाहता है कि निगम कोई भी नई सेनेटरी लैंडफिल साइट नहीं बना रहा है. बल्कि निगम भलस्वा, गाजीपुर एवं ओखला में स्थित लैंडफिल साइटों को समतल करने की दिशा में भरसक प्रयास कर रहा है. निगम को यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि कुछ स्थानों पर कचरे के ढेर की ऊंचाई 10 से 15 मीटर तक काम कर दी गई है.

ये भी पढ़ें: एमसीडी ने सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ चलाया अभियान, 7 टन एसयूपी हुआ जब्त

लैंडफिल साइट को समतल करने में निगम कोई भी कसर नहीं छोड़ रहा है. निगम ने लैंडफिल साइटों की ऊंचाई को कम करने के लिए 45 ट्रोमेल मशीनों को स्थापित किया है, इनर्ट और निर्माण एवं विध्वंस कचरे को मुफ्त में देने, उद्योगों को रिफ्यूज ड्रिवेन फ्यूल (आरडीएफ) की बिक्री से लेकर नागरिकों को स्रोत पर कचरे के पृथककरण एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए प्रेरित करना जैसे कई उपाय किए गए हैं.

दिल्ली नगर निगम ने तीनों लैंडफिल साइटों से 77 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया है, विभिन्न हितधारकों द्वारा 21 हजार मीट्रिक टन इनर्ट एवं C एवं D कचरा नि:शुल्क उठाया गया है. सीमेंट उद्योग द्वारा प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन आरडीएफ उठाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में कूड़े के पहाड़ पर गरमाई सियासत, जानें आज क्या होगा

तेहखंड स्थित वेस्ट टू एनर्जी संयंत्र के उद्घाटन के साथ ही निगम की कचरा निस्तारण की क्षमता 8 हजार 250 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो जायेगी, जो कि दिल्ली से प्रतिदिन निकलने वाले कूड़े का 75 प्रतिशत है. निकट भविष्य में 175 मीट्रिक टन क्षमता के एमआरएफ स्थापित होने बाद निगम की कचरा निस्तारण की क्षमता का संवर्धन होगा. निगम लगातार कचरा उत्पादन एवं कचरा निष्पादन की खाई को पाटने की दिशा में कार्य कर रहा है. दिल्ली नगर निगम लैंडफिल साइटों को समतल करने का कार्य दो साल की तय समयावधि में पूरा कर लेगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पिछले 15 सालों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की राशि देने के दावे में अंशमात्र भी सच्चाई नहीं है. दिल्ली नगर निगम को राज्य विधानसभा के अनुमोदन के पश्चात बजट आवंटित किया जाता है, जिसका इस्तेमाल स्वच्छता के अलावा अन्य मदों में भी किया जाता है. इसके संबंध में दिल्ली नगर निगम द्वारा दिल्ली सरकार को उपयोगिता प्रमाणपत्र भी दिया गया था, जिसे दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकार किया गया था, जिससे ये सिद्ध होता है कि फंडों के दुरुपयोग संबंधी सभी आरोप झूठे हैं और ये आरोप सिर्फ निगम की छवि को धूमिल करने के लिए लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप धनराशि उपलब्ध कराने संबंधी आदेशों का भी दिल्ली सरकार ने पालन नहीं किया है.

दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं कि निगम दिल्ली में 16 स्थानों पर नई सैनिटरी लैंडफिल साइट (New Sanitary Landfill Site) स्थापित कर रहा है. निगम सभी आरोपों को झूठा एवं आधारहीन करार देते हुए सिरे से नकारता है. इन आरोपों के संबंध में निगम स्पष्ट करना चाहता है कि निगम कोई भी नई सेनेटरी लैंडफिल साइट नहीं बना रहा है. बल्कि निगम भलस्वा, गाजीपुर एवं ओखला में स्थित लैंडफिल साइटों को समतल करने की दिशा में भरसक प्रयास कर रहा है. निगम को यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि कुछ स्थानों पर कचरे के ढेर की ऊंचाई 10 से 15 मीटर तक काम कर दी गई है.

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लैंडफिल साइट को समतल करने में निगम कोई भी कसर नहीं छोड़ रहा है. निगम ने लैंडफिल साइटों की ऊंचाई को कम करने के लिए 45 ट्रोमेल मशीनों को स्थापित किया है, इनर्ट और निर्माण एवं विध्वंस कचरे को मुफ्त में देने, उद्योगों को रिफ्यूज ड्रिवेन फ्यूल (आरडीएफ) की बिक्री से लेकर नागरिकों को स्रोत पर कचरे के पृथककरण एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए प्रेरित करना जैसे कई उपाय किए गए हैं.

दिल्ली नगर निगम ने तीनों लैंडफिल साइटों से 77 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया है, विभिन्न हितधारकों द्वारा 21 हजार मीट्रिक टन इनर्ट एवं C एवं D कचरा नि:शुल्क उठाया गया है. सीमेंट उद्योग द्वारा प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन आरडीएफ उठाया जा रहा है.

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तेहखंड स्थित वेस्ट टू एनर्जी संयंत्र के उद्घाटन के साथ ही निगम की कचरा निस्तारण की क्षमता 8 हजार 250 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो जायेगी, जो कि दिल्ली से प्रतिदिन निकलने वाले कूड़े का 75 प्रतिशत है. निकट भविष्य में 175 मीट्रिक टन क्षमता के एमआरएफ स्थापित होने बाद निगम की कचरा निस्तारण की क्षमता का संवर्धन होगा. निगम लगातार कचरा उत्पादन एवं कचरा निष्पादन की खाई को पाटने की दिशा में कार्य कर रहा है. दिल्ली नगर निगम लैंडफिल साइटों को समतल करने का कार्य दो साल की तय समयावधि में पूरा कर लेगा.

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