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पिछले जन्म के पापों से मुक्ति दिलाती है उत्पन्ना एकादशी, व्रत कथा के साथ करें ये पाठ

Utpanna Ekadashi 2023: व्रतों में एकादशी व्रत को विशेष माना जाता है. इस दिन व्रत पूजन करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आइए जानके मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी के बारे में...

Utpanna Ekadashi 2023
Utpanna Ekadashi 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2023, 1:03 PM IST

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है. इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार इस एकादशी का व्रत आठ दिसंबर को रखा जाएगा. ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि सतयुग में मुर नामक एक राक्षस हुआ करता था, जिसने अपने पराक्रम से देवलोक पर अधिकार हासिल कर लिया था. इससे सारे देवता देवलोक छोड़कर पृथ्वी पर इधर-उधर विचरण करने लगे.

इसके बाद भगवान इंद्र ने सभी देवताओं के साथ जाकर भगवान विष्णु को अपने दुख का कारण बताया और रक्षा करने को कहा. भगवान विष्णु उस राक्षस से कई वर्षों तक युद्ध करते रहे. युद्ध के दौरान उन्हें निद्रा आ गई, जिससे वह विश्राम करने बदरिकाश्रम चले गए. तब वहां मुर ने आकर उनपर प्रहार करना चाहा, जिसके दौरान भगवान से देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई और उन्होंने युद्ध कर मुर राक्षस का अंत कर दिया.

जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जगे तो उन्होंने पाया कि देवी ने राक्षस का अंत कर दिया है. तब उन्होंने कहा कि एकादशी तिथि के दिन आपकी उत्पत्ति हुई है और जो भी इस दिन मेरे साथ आपकी भी पूजा की जाएगी. इसलिए इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा.

यह भी पढ़ें-Govatsa Dwadashi 2023: संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है गोवत्स द्वादशी का व्रत, जानिए क्या है महत्व

इस बार उत्पन्ना एकादशी आठ दिसंबर को सुबह 5 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत का पारण 9 दिसंबर को किया जाएगा. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से पूर्व जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ गति प्राप्त होती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ एकादशी माता का ध्यान कर पूजन अर्चन करना चाहिए. साथ ही एकदशी व्रत कथा, श्रीसूक्त, लक्ष्मी चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम आदी का पाठ भी करना चाहिए. इस दिन फलाहार करें और हो सके दिन में केवल एक बार ही भोजन करें.

यह भी पढ़ें-आज से शुरू हुआ भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मार्गशीर्ष महीना, जानें पूजा और दान का महत्व

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है. इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार इस एकादशी का व्रत आठ दिसंबर को रखा जाएगा. ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि सतयुग में मुर नामक एक राक्षस हुआ करता था, जिसने अपने पराक्रम से देवलोक पर अधिकार हासिल कर लिया था. इससे सारे देवता देवलोक छोड़कर पृथ्वी पर इधर-उधर विचरण करने लगे.

इसके बाद भगवान इंद्र ने सभी देवताओं के साथ जाकर भगवान विष्णु को अपने दुख का कारण बताया और रक्षा करने को कहा. भगवान विष्णु उस राक्षस से कई वर्षों तक युद्ध करते रहे. युद्ध के दौरान उन्हें निद्रा आ गई, जिससे वह विश्राम करने बदरिकाश्रम चले गए. तब वहां मुर ने आकर उनपर प्रहार करना चाहा, जिसके दौरान भगवान से देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई और उन्होंने युद्ध कर मुर राक्षस का अंत कर दिया.

जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जगे तो उन्होंने पाया कि देवी ने राक्षस का अंत कर दिया है. तब उन्होंने कहा कि एकादशी तिथि के दिन आपकी उत्पत्ति हुई है और जो भी इस दिन मेरे साथ आपकी भी पूजा की जाएगी. इसलिए इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा.

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इस बार उत्पन्ना एकादशी आठ दिसंबर को सुबह 5 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत का पारण 9 दिसंबर को किया जाएगा. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से पूर्व जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ गति प्राप्त होती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ एकादशी माता का ध्यान कर पूजन अर्चन करना चाहिए. साथ ही एकदशी व्रत कथा, श्रीसूक्त, लक्ष्मी चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम आदी का पाठ भी करना चाहिए. इस दिन फलाहार करें और हो सके दिन में केवल एक बार ही भोजन करें.

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