नई दिल्ली: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा का पूजन-अर्चन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही दुखों से मुक्ति और घर में संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि इस बार संकष्टी चतुर्थी दो अक्टूबर को है. चतुर्थी तिथि सुबह 5:06 बजे से लग जाएगी, जो तीन अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 3:41 बजे समाप्त होगी. इस दिन भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा करनी चाहिए. पूजन के समय आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
- ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
- ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लीं हीं श्रीं गं गणपतये
- वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा
ऐसे करे पूजा: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन कर मंदिर की सफाई करें. इसके बाद संकष्टी चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणपति की प्रतिमा का जलाभिषेक करें. इसके बाद उन्हें पुष्प एवं दूर्वा अर्पित करें और लड्डू या मोदक का भोग लगाएं. याद रखें कि भगवान श्री गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय है, इसलिए पूजा में उसका इस्ते अवश्य करें. फिर गणपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें और आरती करें. इसके बाद प्रसाद वितरण करें.
Disclaimer: खबर केवल जानकारी के लिए है. इसमें दी गई विधि व अन्य किसी जानकारी की ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है. इसलिए किसी भी विधि को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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