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Shardiya Navratri 2023: इस मंत्र से करें माता चंद्रघंटा को प्रसन्न, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त व आरती - know about pujan vidhi of devi chandraghanta

नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि जो उन्हें प्रसन्न कर लेता है, शत्रु उसका कोई अहित नहीं कर पाते. आइए जानते हैं माता की पूजन विधि व मंत्र..

Shardiya Navratri 2023
Shardiya Navratri 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 16, 2023, 9:12 PM IST

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ हर तरफ मां भगवती की आराधना शुरू हो चुकी है. नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा के पूजन-अर्चन का विधान है. ऐसी मान्यता है कि माता चंद्रघंटा की आराधना करने से भक्त को जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और शत्रु उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सकते.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र सुशोभित है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. माता का वाहन सिंह है और वह हाथ में कमंडल, पुष्प, गदा, त्रिशूल, तलवार, धनुष, बाण आदि धारण करती हैं. माता चंद्रघंटा की पूजा में लगाए जाने वाले भोग में दूध की प्रधानता होनी चाहिए. मंगलवार को सुबह 11:43 बजे से 12:29 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.

मां चंद्रघंटा के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

मां चंद्रघंटा का बीजमंत्र

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

पूजन विधि: माता चंद्रघंटा की पूजा करने से पहले उनका आह्वान करें. अगर घर में कलश स्थापित किया है, तो पुष्प, कुमकुम आदि से श्रृंगार करके उन्हें नैवेद्य, खीर का भोग लगाएं. अगर व्रती को प्रसाद खाना है तो खीर की जगह दूध से बने मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं. इसके बाद धूप-दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि ऐसा संभव न हो तो दुर्गा चालिसा का पाठ करें और ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप कर आरती करें. अंत में मां से प्रार्थना कर प्रसाद वितरण करें.

मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।

चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रहूं महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

यह भी पढ़ें-October 2023 Vrat And Festival List: जीवित्पुत्रिका व्रत से लेकर नवरात्रि और दशहरा तक व्रत-त्योहारों की लिस्ट

यह भी पढ़ें-Ramlila in Delhi: दिल्ली में आज इन स्थानों पर किया जाएगा रामलीला का मंचन, जानें क्या होगा खास

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ हर तरफ मां भगवती की आराधना शुरू हो चुकी है. नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा के पूजन-अर्चन का विधान है. ऐसी मान्यता है कि माता चंद्रघंटा की आराधना करने से भक्त को जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और शत्रु उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सकते.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र सुशोभित है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. माता का वाहन सिंह है और वह हाथ में कमंडल, पुष्प, गदा, त्रिशूल, तलवार, धनुष, बाण आदि धारण करती हैं. माता चंद्रघंटा की पूजा में लगाए जाने वाले भोग में दूध की प्रधानता होनी चाहिए. मंगलवार को सुबह 11:43 बजे से 12:29 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.

मां चंद्रघंटा के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

मां चंद्रघंटा का बीजमंत्र

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

पूजन विधि: माता चंद्रघंटा की पूजा करने से पहले उनका आह्वान करें. अगर घर में कलश स्थापित किया है, तो पुष्प, कुमकुम आदि से श्रृंगार करके उन्हें नैवेद्य, खीर का भोग लगाएं. अगर व्रती को प्रसाद खाना है तो खीर की जगह दूध से बने मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं. इसके बाद धूप-दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि ऐसा संभव न हो तो दुर्गा चालिसा का पाठ करें और ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप कर आरती करें. अंत में मां से प्रार्थना कर प्रसाद वितरण करें.

मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।

चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रहूं महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

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