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Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवे दिन ऐसे करें मां स्कंदमाता का पूजन, इस मंत्र का करें जाप - मां स्कंदमाता का पूजन

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है. इस दिन माता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस कैसे करें पूजा और किन मंत्रों का करें जाप.. Shardiya Navratri 2023, Pujan vidhi and mantra of Devi Skandmata, Maa Skandmata Aarti.

Shardiya Navratri 2023
Shardiya Navratri 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2023, 6:48 PM IST

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ मां भगवती का पूजन का शुरू हो गया है. इस दौरान घर में कलश रखे जाने के साथ विभिन्न जगहों पर पंडाल में भी मां भगवती की मूर्ती स्थापित कर उनका पूजन-अर्चन किया जाता है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता के पूजन-अर्चन का विधान है. इस बार यह दिन 19 अक्टूबर को किया जाएगा.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि स्कंद, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का नाम है. इसलिए मां को स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है. जब तारकासुर राक्षस का अत्याचार अपने चरम पर पहुंच गया, तो माता पार्वती ने भगवान कार्तिकेय को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया, जिसके बाद उन्होंने तारकासुर का वध किया था. शास्त्रों के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और उन्हें युद्ध का देवता भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है.

पूजन विधि: सुबह उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. अगर कलश स्थापित किया है तो मां भगवती का ध्यान करें. इसके बाद माता का पुष्प, रोली आदि से श्रृंगार कर उन्हें नैवेद्य और मिष्ठान आदि का भोग लगाएं. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि ऐसा करना संभव न हो तो दुर्गा चालीसा का पाठ कर आरती करें और परिवारजनों में प्रसाद वितरण करें. अगर कलश स्थापित नहीं किया है तो माता की प्रतिमा का भी पूजन कर सकते हैं. इससे भक्त को सुख, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है.

मां स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥

यह भी पढ़ें-Aarti Darshan of Mata Kalka :नवरात्रि के चौथे दिन का माता कालका के आरती दर्शन

यह भी पढ़ें-Navratri में माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए रोजाना 30 हजार से अधिक लोग जा रहे कटरा, चल रही लंबी वेटिंग

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ मां भगवती का पूजन का शुरू हो गया है. इस दौरान घर में कलश रखे जाने के साथ विभिन्न जगहों पर पंडाल में भी मां भगवती की मूर्ती स्थापित कर उनका पूजन-अर्चन किया जाता है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता के पूजन-अर्चन का विधान है. इस बार यह दिन 19 अक्टूबर को किया जाएगा.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि स्कंद, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का नाम है. इसलिए मां को स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है. जब तारकासुर राक्षस का अत्याचार अपने चरम पर पहुंच गया, तो माता पार्वती ने भगवान कार्तिकेय को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण दिया, जिसके बाद उन्होंने तारकासुर का वध किया था. शास्त्रों के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और उन्हें युद्ध का देवता भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है.

पूजन विधि: सुबह उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. अगर कलश स्थापित किया है तो मां भगवती का ध्यान करें. इसके बाद माता का पुष्प, रोली आदि से श्रृंगार कर उन्हें नैवेद्य और मिष्ठान आदि का भोग लगाएं. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि ऐसा करना संभव न हो तो दुर्गा चालीसा का पाठ कर आरती करें और परिवारजनों में प्रसाद वितरण करें. अगर कलश स्थापित नहीं किया है तो माता की प्रतिमा का भी पूजन कर सकते हैं. इससे भक्त को सुख, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है.

मां स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

मां स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥

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