नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि का बहुत महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान विष्णु का व्रत पूजन करने का विधान है, जिससे वे जल्द प्रसन्न होते हैं. अश्विन मास में पड़ने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी पितृपक्ष में पड़ती है, इसलिए इसे बेहद खास माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि इस एकादशी को शुभ फलदाई है. इस दिन व्रत रखने से पिछली सात पीढ़ियां तर जाती हैं और पूर्वजों के नाम से दान आदि करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इंदिरा एकादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने और गरीबों को अन्न, वस्त्र दान भी किया जाता है.
पूजन विधि: इंदिरा एकादशी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. यदि पवित्र नदी में स्नान करना संभव हो तो वहां स्नान करें, अन्यथा घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पीले वस्त्र पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा का जलाभिषेक कर उन्हें पुष्प अर्पित करें और मिष्ठान का भोग लगाएं. बाद में एकादशी व्रत की कथा पढ़कर विष्णु चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की आरती कर प्रसाद वितरण करें.
शुभ मुहूर्त: एकादशी तिथि नौ अक्टूबर, सोमवार दोपहर 12:36 बजे लग जाएगी, जो 10 अक्टूबर, मंगलवार 3:08 बजे समाप्त होगी. इसके बाद द्वादशी लग जाएगी. हालांकि, उदयातिथि में होने के कारण इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी. द्वादशी तिथि के साथ पड़ने वाली एकादशी को बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 03:03 बजे से लेकर 04:30 बजे तक रहेगा. वहीं, व्रत का पारण 11 अक्टूबर 2023 सुबह 6:19 बजे से लेकर 8:39 बजे तक किया जा सकेगा.
जरूर करें ये काम: इंदिरा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं समय का अभाव है तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः के साथ श्री सूक्त का पाठ करें. इससे भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा मिलती है.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- तामसिक भोजन का सेवन न करें.
- किसी प्रकार का न नशा न करें
- ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- अपशब्द का प्रयोग न करें.
Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी मान्यता की पुष्टि नहीं करता. खबर में दी गई जानकारी का प्रयोग करने से पहले संबंध विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.
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