नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत एक सब-इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है. इस सब-इंस्पेक्टर की तैनाती मसूरी थाने में थी. बताया जा रहा है कि एक केस की जांच को लेकर एक व्यक्ति से दरोगा ने रिश्वत की मांग की थी, जिसका ऑडियो क्लिप अधिकारियों के पास पहुंच गया था. दरोगा पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है.
प्राथमिक तौर पर आरोपों में सच्चाई
मामला गाजियाबाद के मसूरी इलाके का है. उपनिरीक्षक रणविजय प्रताप सिंह पर आरोप है कि वह एक मामले की विवेचना कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने एक व्यक्ति से रिश्वत की मांग की, जिससे संबंधित ऑडियो क्लिप अधिकारियों को भेजा गया. मामले में प्राथमिक तौर पर सत्यता पाए जाने पर दरोगा रणविजय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा थाना मसूरी पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है. आरोपी दारोगा के खिलाफ विभागीय जांच भी सुनिश्चित की गई है.
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
गाजियाबाद में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश अधिकारियों की तरफ से की जा रही है, लेकिन इस बीच भ्रष्टाचार पर भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है. अगर कोई भी भ्रष्टाचार करेगा तो उसको बख्शा नहीं जाएगा. दरोगा को सस्पेंड करने के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों ने एक कठोर मैसेज भी महकमे को दिया है. जाहिर है दरोगा ने पुलिस की छवि को धूमिल किया है. लेकिन शुरुआती सत्यता पाए जाने पर ही दरोगा के खिलाफ कार्रवाई एक नजीर है जिससे आगे कोई पुलिसकर्मी इस तरह की हरकत ना करे.
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