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अस्पतालों के मैनेजमेंट में बदलाव की सख्त जरूरत है - डॉ निमेष देसाई - Hospital management system

दिल्ली सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. निमेश देसाई का मानना है कि अस्पतालों में खर्च होने वाले मैन पावर, पैसा और संसाधन को बांटने की पद्धति में बदलाव होना चाहिए. ताकि अस्पतालों में आने वाले मरीजों का बेहतर ख्याल रखा जा सके.

Ihabas director Dr Nimesh Desai
इहबास के डायरेक्टर डॉ निमेश देसाई
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Published : Aug 9, 2020, 10:23 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अभी 40 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं. जिसमें एम्स और आईएलबीएस जैसे अस्पताल भी शामिल हैं. जिन्हें चलाने में हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, लेकिन इसके बाद भी अस्पतालों में आने वाला शायद ही कोई मरीज वहां मिलने वाली सुविधाओं से संतुष्ट हो.

इहबास के डायरेक्टर डॉ निमेश देसाई

दिल्ली सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. निमेश देसाई का मानना है कि इसे ठीक करने के लिए अस्पतालों में खर्च होने वाले मैन पावर, पैसा और संसाधन को बांटने की पद्धति में बदलाव होना चाहिए.


'100 साल से भी पुरानी पद्धति पर चल रहे हैं अस्पताल'

दिल्ली ही नहीं बल्कि देश में फिलहाल जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, वो अभी भी सौ साल से भी पुराणी पद्धति पर ही चल रहे हैं. इहबास के डायरेक्टर डॉ निमेश देसाई का कहना है कि पहले मेडिकल साइंस के कम विस्तार की वजह से बहुत सी बीमारियां जानलेवा थीं.

स्थिति खराब हो जाने पर ही इंसान अस्पताल जाता था. सामान्य बीमारियों के लिए वैद्य से दवा लेकर घर पर ही मरीज आराम करता था. इसीलिए तब अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज ही अस्पताल की जिम्मेदारी होते थे. लेकिन मेडिकल साइंस के विस्तार के साथ ही इसमें बदलाव आ गया है. अब अस्पतालों में भर्ती होने वालों से ज्यादा मरीजों की भीड़ ओपीडी में होती है, लेकिन मरीजों के लिए सुविधा न्यूनतम होती है.


बेड के बजाए कुल मरीजों पर हो आंकलन

अस्पतालों में व्यवस्था सुधार को लेकर डॉ. निमेश देसाई का मानना है कि अभी अस्पताल को उसके बेड की संख्या के आधार पर आंका जाता है. जो पूरी तरह से सही नहीं है. क्योंकि वो अस्पताल में आने वाले मरीजों का महज कुछ प्रतिशत ही होता है.

ऐसे में अस्पतालों की क्षमता को बेड के साथ ही ओपीडी संख्या, इमरजेंसी संख्या और कम्युनिटी के कार्यों से जोड़ कर ही देखना चाहिए. तभी अस्पताल की क्षमता का सही आंकलन हो सकता है.



मरीजों की संख्या पर हो संसाधन का बंटवारा

डॉ. देसाई का मानना है कि अस्पतालों में मरीजों को सुविधा देने और अस्पतालों के प्रति मरीजों का विश्वास बढाने के लिए अस्पतालों में खर्च होने वाले मानव संसाधन और बाकी संसाधनों का मरीजों की संख्या के आधार पर बंटवारा होना चाहिए. अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड ज्यादा बड़ी और ज्यादा संसाधन युक्त होने चाहिए. जिसे वर्तमान खर्च में ही सही बंटवारे से किया जा सकता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अभी 40 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं. जिसमें एम्स और आईएलबीएस जैसे अस्पताल भी शामिल हैं. जिन्हें चलाने में हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, लेकिन इसके बाद भी अस्पतालों में आने वाला शायद ही कोई मरीज वहां मिलने वाली सुविधाओं से संतुष्ट हो.

इहबास के डायरेक्टर डॉ निमेश देसाई

दिल्ली सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. निमेश देसाई का मानना है कि इसे ठीक करने के लिए अस्पतालों में खर्च होने वाले मैन पावर, पैसा और संसाधन को बांटने की पद्धति में बदलाव होना चाहिए.


'100 साल से भी पुरानी पद्धति पर चल रहे हैं अस्पताल'

दिल्ली ही नहीं बल्कि देश में फिलहाल जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, वो अभी भी सौ साल से भी पुराणी पद्धति पर ही चल रहे हैं. इहबास के डायरेक्टर डॉ निमेश देसाई का कहना है कि पहले मेडिकल साइंस के कम विस्तार की वजह से बहुत सी बीमारियां जानलेवा थीं.

स्थिति खराब हो जाने पर ही इंसान अस्पताल जाता था. सामान्य बीमारियों के लिए वैद्य से दवा लेकर घर पर ही मरीज आराम करता था. इसीलिए तब अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज ही अस्पताल की जिम्मेदारी होते थे. लेकिन मेडिकल साइंस के विस्तार के साथ ही इसमें बदलाव आ गया है. अब अस्पतालों में भर्ती होने वालों से ज्यादा मरीजों की भीड़ ओपीडी में होती है, लेकिन मरीजों के लिए सुविधा न्यूनतम होती है.


बेड के बजाए कुल मरीजों पर हो आंकलन

अस्पतालों में व्यवस्था सुधार को लेकर डॉ. निमेश देसाई का मानना है कि अभी अस्पताल को उसके बेड की संख्या के आधार पर आंका जाता है. जो पूरी तरह से सही नहीं है. क्योंकि वो अस्पताल में आने वाले मरीजों का महज कुछ प्रतिशत ही होता है.

ऐसे में अस्पतालों की क्षमता को बेड के साथ ही ओपीडी संख्या, इमरजेंसी संख्या और कम्युनिटी के कार्यों से जोड़ कर ही देखना चाहिए. तभी अस्पताल की क्षमता का सही आंकलन हो सकता है.



मरीजों की संख्या पर हो संसाधन का बंटवारा

डॉ. देसाई का मानना है कि अस्पतालों में मरीजों को सुविधा देने और अस्पतालों के प्रति मरीजों का विश्वास बढाने के लिए अस्पतालों में खर्च होने वाले मानव संसाधन और बाकी संसाधनों का मरीजों की संख्या के आधार पर बंटवारा होना चाहिए. अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड ज्यादा बड़ी और ज्यादा संसाधन युक्त होने चाहिए. जिसे वर्तमान खर्च में ही सही बंटवारे से किया जा सकता है.

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