ETV Bharat / state

गाजियाबाद: शादी के बाद अलग हो गए थे पति पत्नी, लोक अदालत ने फिर से बसाया परिवार

गाजियाबाद के राष्ट्रीय लोक अदालत (Ghaziabad Lok Adalat) में शनिवार को सुलह समझौते के आधार पर कुल 2,45,000 मुकदमों का निस्तारण किया गया. लोक अदालत के परिवार न्यायालय में कई पति-पत्नी एक साथ होकर घर वापस लौटेते हैं तो कई अलग रहने का निर्णय लेते हैं.

राष्ट्रीय लोक अदालत
राष्ट्रीय लोक अदालत
author img

By

Published : Nov 13, 2022, 9:32 AM IST

गाजियाबाद: गाजियाबाद के राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को सुलह समझौते के आधार पर कुल 2,45,000 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जनपद न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया. जनपद के न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (गाजियाबाद) जितेंद्र कुमार सिन्हा ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर इसकी शरुआत की.

जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में हुई इस राष्ट्रीय लोक अदालत में वैवाहिक एवं भरण पोषण संबंधी 210 मामलों का निस्तारण परिवार न्यायालय द्वारा सुलह समझौते के आधार पर हुआ. जिसमें वर्ष 2013 का प्राचीनतम पारिवारिक वाद का निस्तारण भी किया गया. मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर से संबंधित कुल 111 मामलों का निस्तारण करते हुए पक्षकारान को लगभग 1,42,75,000 रुपए अदा किए जाने का आदेश पारित किया गया.

सिविल प्रकृति के वादों का निस्तारण भी इसी लोक अदालत में किया गया, जिसमें लघु वाद न्यायालय में वर्ष 2012 का प्राचीनतम वाद सीमा सिंह के प्रयास से निस्तारित किया गया. राजस्व विभाग के 2,10,301 वादों को निस्तारित किया गया. उपभोक्ता फोरम के 23 वादों को निस्तारित कर लगभग 92,45,485 रुपए का जुर्माना वसूला गया. राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न बैंकों के लोन रिकवरी आदि से संबंधित कुल 936 मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें लगभग 10,74,00,000 रुपए की धनराशि वसूली के आदेश पारित किए गए.

गाजियाबाद लोक अदालत

ये भी पढ़ें: MCD Election 2022: BJP ने 232 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, सर्वाधिक टिकट ब्राह्मणों को, 3 मुस्लिम प्रत्याशी

लोक अदालत में परिवार न्यायालय में कई पति-पत्नी एक साथ होकर घर वापस लौटे तो वही कई पति पत्नियों ने अलग रहने का निर्णय लिया. मोदीनगर निवासी प्रवीण कुमार की शादी मार्च 2006 को मोदी नगर निवासी अनु से हुई थी. शादी के बाद से ही दोनों के बीच पारिवारिक विवाद होने लगा, जिसके बाद दोनों अलग रहने लगे. परिवार न्यायालय में पत्नी को घर लाने के लिए मामला दायर किया और मामले में लोक अदालत में पति-पत्नी ने बच्चों की वजह से साथ रहने का निर्णय लिया और दोनों खुशी-खुशी साथ होकर अपने बच्चों के साथ घर लौटे गए.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

गाजियाबाद: गाजियाबाद के राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को सुलह समझौते के आधार पर कुल 2,45,000 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जनपद न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया. जनपद के न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (गाजियाबाद) जितेंद्र कुमार सिन्हा ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर इसकी शरुआत की.

जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में हुई इस राष्ट्रीय लोक अदालत में वैवाहिक एवं भरण पोषण संबंधी 210 मामलों का निस्तारण परिवार न्यायालय द्वारा सुलह समझौते के आधार पर हुआ. जिसमें वर्ष 2013 का प्राचीनतम पारिवारिक वाद का निस्तारण भी किया गया. मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर से संबंधित कुल 111 मामलों का निस्तारण करते हुए पक्षकारान को लगभग 1,42,75,000 रुपए अदा किए जाने का आदेश पारित किया गया.

सिविल प्रकृति के वादों का निस्तारण भी इसी लोक अदालत में किया गया, जिसमें लघु वाद न्यायालय में वर्ष 2012 का प्राचीनतम वाद सीमा सिंह के प्रयास से निस्तारित किया गया. राजस्व विभाग के 2,10,301 वादों को निस्तारित किया गया. उपभोक्ता फोरम के 23 वादों को निस्तारित कर लगभग 92,45,485 रुपए का जुर्माना वसूला गया. राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न बैंकों के लोन रिकवरी आदि से संबंधित कुल 936 मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें लगभग 10,74,00,000 रुपए की धनराशि वसूली के आदेश पारित किए गए.

गाजियाबाद लोक अदालत

ये भी पढ़ें: MCD Election 2022: BJP ने 232 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, सर्वाधिक टिकट ब्राह्मणों को, 3 मुस्लिम प्रत्याशी

लोक अदालत में परिवार न्यायालय में कई पति-पत्नी एक साथ होकर घर वापस लौटे तो वही कई पति पत्नियों ने अलग रहने का निर्णय लिया. मोदीनगर निवासी प्रवीण कुमार की शादी मार्च 2006 को मोदी नगर निवासी अनु से हुई थी. शादी के बाद से ही दोनों के बीच पारिवारिक विवाद होने लगा, जिसके बाद दोनों अलग रहने लगे. परिवार न्यायालय में पत्नी को घर लाने के लिए मामला दायर किया और मामले में लोक अदालत में पति-पत्नी ने बच्चों की वजह से साथ रहने का निर्णय लिया और दोनों खुशी-खुशी साथ होकर अपने बच्चों के साथ घर लौटे गए.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.