नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली एनसीआर क्षेत्र से लग्जरी वाहनों की ऑन डिमांड चोरी करने वाले गद्दू गिरोह का नोएडा पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. यह गाड़ियों चोरी कर पंजाब, जयपुर, हैदराबाद सहित देश के अन्य भाग में सप्लाई करता था. उनके द्वारा अब तक चोरी की 100 से अधिक वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है. नोएडा के थाना सेक्टर 20 व थाना फेज वन पुलिस के संयुक्त प्रयास से वाहन चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया गया. पुलिस ने गैंग के सरगना सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है.
इनके कब्जे से 10 लग्जरी कारें एवं भारी मात्रा में कार चोरी करने के विभिन्न उपकरण, नौ इंजन कंट्रोल मॉज्यूल (ईसीएम) के साथ एक पिस्टल, पांच कारतूस 32 बोर, तीन तमंचा व तीन जिंदा कारतूस 315 बोर बरामद हुआ है. पुलिस ने मौ. इमरान (पुत्र महरबान), मोनू उर्फ जमशेद (पुत्र इकबाल), मौ. फरनाम (पुत्र महरबान), राशिद उर्फ काला (पुत्र शौकीन), मौ. शाहिबजादा (पुत्र मौ. इकबाल), साकिब उर्फ गद्दू (पुत्र समशुद्दीन), रोहित मित्तल (पुत्र धर्मपाल मित्तल) और रंजीत सिंह (पुत्र दर्शन सिंह) को शुक्रवार को सब माल तिराहा सेक्टर 18 से गिरफ्तार किया.
लग्जरी कारों को बनाते थे निशाना: डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि यह अंतरराज्यीय गिरोह कार चोरी करता था, जिसका मास्टर माइंड साकिब उर्फ गद्दू है. यह गिरोह दिल्ली एनसीआर में लग्जरी कार जैसे फॉर्च्यूनर, स्कार्पियो, इनोवा, क्रेटा और बलीनो को निशाना बनाते थे. यह अपराध वह पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं.
तीन चरणों में करते थे वारदात: यह गिरोह मुख्यत: तीन चरणों में एनसीआर क्षेत्र से कारों की चोरी करता था. गिरोह के सदस्य मो. इमरान, मो. फरमान, शाहिबजादा और मोनू उर्फ जमशेद, शाकिब उर्फ गद्दू के लिए काम करते थे, जिन्हें वह कार चोरी करने के उपकरण उपलब्ध कराता था. गैंग के सदस्य मार्केट में आई डिमांड के अनुसार कारों को चोरी करते थे.
ऐसे करते थे चोरी: गद्दू गैंग के सदस्य दिल्ली एनसीआर में रेकी कर असुरक्षित स्थानों पर खड़ी उन कारों को चिह्नित करते थे, जिनकी डिमांड होती थी. इसके बाद कारों की चाबी की प्रोग्रामिंग के एक्सपर्ट फरमान एवं राशिद काला ड्राइवर साइड का शीशा तोड़ देते थे. अगर गाड़ी बटन से स्टार्ट होने वाली रहती थी तो काला एक उपकरण के माध्यम से प्रोग्रामिंग की सहायता से एक चाबी तैयार कर गाड़ी स्टार्ट कर लेता था.
निगरानी को देते थे दो हजार रुपये: इस दौरान गैंग के अन्य सदस्य आस-पास की निगरानी करते थे, ताकि कोई खतरा आने पर वह अन्य चोरों को सावधान कर सकें. इसके बाद वे कार चुराकर बताई गई जगह पर चले जाते थे. इसी तरह वह एक दिन में दो से तीन गाड़ियां चुरा लेते थे और उन्हे किसी अन्य जगह खड़ी कर देते थे. चोरी की कारों की निगरानी करने के लिए वह लड़कों को दो हजार रुपये भी देते थे. फिर परिस्थिति सामान्य होने पर वे गाड़ी को बेच दिया करते थे.
फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचा जाता था: इन चोरी की गाड़ियों को लेने के लिए या तो गद्दू आता था, या फिर वह अपने किसी ड्राइवर को भेजकर उन गाड़ियों के नंबर प्लेट को बदलवाकर ले जाता था. इसके बाद शाकिब चोरी की कारों को उनकी डिमांड के आधार पर उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने अन्य साथी रोहित मित्तल, रंजीत और बप्पा के माध्यम से पंजाब, जयपुर और हैदराबाद जैसे स्थानों पर भेज देता था.
सेकेंड हैंड कारें खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- हमेशा ऑथराइज्ड डीलर से कार खरीदें
- गाड़ी खरीदने से पहले कंपनी के ऑथराइज्ड डीलर से सर्वे कराकर चेक कराएं
- गाड़ी के इतिहास को आरटीओ, बीमा कंपनी के माध्यम से चेक कराएं
- अगर गाड़ी के साथ रिमोट की उपलब्ध न हो तो गाड़ी न खरीदें
- रिमोट की घिसे होने की अवस्था में भी कार न खरीदें
- जीपीएस फिटेड गाड़ियों में इसके चालू होने की जांच कर लें
- गाड़ी खरीदते समय पुष्टि करें की उसकी दो चाबियां हैं कि नहीं
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