नई दिल्ली/गाजियाबाद: फरवरी में कई प्रमुख व्रत त्योहार हैं. फरवरी की शुरुआत होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी आरंभ हो जाएगा. (Festivals in February 2023) पहला व्रत जया एकादशी और भीष्म द्वादशी है, जो 1 फरवरी को पड़ रहा है. इसके अलावा इस महीने कई प्रमुख व्रत और त्योहार आएंगे. आइए बताते हैं कि प्रमुख व्रत-त्योहार और उनके महत्व.
1 फरवरी 2023 (बुधवार) - जया एकादशी और भीष्म द्वादशी: माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2023) कहा जाता है. जया एकादशी 1 फरवरी (बुधवार) को मनाई जाएगी. जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त जया एकादशी का व्रत रखता है, उस व्यक्ति पर भूत-प्रेत और पिशाचों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भीष्म द्वादशी (Bheeshm Dwadshi) कहते हैं. इस साल 1 फरवरी (बुधवार) भीष्म द्वादशी का व्रत रखा जाएगा. भीष्म द्वादशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. दरअसल एक फरवरी को एकादशी और द्वादशी दोनों तिथियां पड़ रही हैं, इसलिए इस दिन दोनों व्रतों का पालन किया जाएगा.
2 फरवरी 2023 (गुरुवार) - प्रदोष व्रत: प्रत्येक वर्ष में प्रदोष व्रत 24 बार आता है, जिसे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम व्रत माना जाता है. माघ माह के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष (Guru Pradosh Vrat 2023) व्रत कहते हैं, जिसे करने से भक्तों को आर्थिक उन्नति का फल मिलता है. पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की आराधना से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
5 फरवरी 2023 (रविवार) - माघ पूर्णिमा, गुरु रविदास जयंती, ललिता जयंती: माघ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. माघ पूर्णीमा (Magh Purnima 2023) पर गंगा स्नान करने से पाप नष्ट हो जाने और पुण्यफल के प्राप्ति होने की मान्यता है. इस दिन दान करने से देवता प्रसन्न होते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर देवता धरती पर आते हैं. इस दिन स्नान के बाद दान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
9 फरवरी 2023 (गुरुवार)- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: फाल्गुन माह की चतुर्थी तिथि द्विजप्रिय संकटी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023) कहते हैं. संकष्टी चतुर्थी 9 फरवरी 2023 (गुरुवार) को है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से माता गौरी और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. नियत दिन गणेश जी की पूजा, व्रत, कथा और आरती करके भोग लगाया जाता है.
12 फरवरी 2023 (रविवार)- यशोदा जयंती: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यशोदा जयंती (Yashoda Jayanti 202) मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि मैया यशोदा की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
13 फरवरी 2023 (सोमवार) - कुंभ संक्रांति, शबरी जयंती, कालाष्टमी: सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं, जिस राशि में सूर्य ग्रह प्रवेश करते हैं उसी राशि की संक्रांति होती है. 13 फरवरी (सोमवार) को कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2023) है.
14 फरवरी 2023 (मंगलवार)-जानकी जयंती: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती (Janki Jayanti 2023) मनाई जाती है. 14 फरवरी (मंगलवार) को जानकी जयंती मनाई जाएगी. जानकी जयंती के दिन सीता मैया की जन्म राजा जनक और रानी सुनयना के यहां हुआ था.
16 फरवरी 2023 (गुरुवार) - विजया एकादशी: सनातन धर्म में विजया एकादशी व्रत (Vijya Ekadashi Vrat 2023) का विशेष महत्व है. विजया एकादशी व्रत को विधि पूर्वक करने से शक्तिशाली शत्रुओं की पराजय होती है. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. विजया एकादशी व्रत और पूजा विधि के कुछ खास नियम हैं, जो एकादशी तिथि से एक दिन पहले शुरू हो जाते हैं.
18 फरवरी 2023 (शनिवार) - महाशिवरात्रि, प्रदोष, शनि प्रदोष व्रत: हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivrati 2023) पर्व बेहद ही खास माना जाता है. इस दिन रात्रि में शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं. रात्रि में जो लोग उनका पूजन अर्चन करते हैं उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है. इस खास दिन शिव तांडव स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है. शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण ने अपने आराध्य शिव के लिए की थी.
20 फरवरी 2023 (सोमवार) - सोमवती अमावस्या: सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) का विशेष महत्व है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस बार सोमवती अमावस्या 20 फ़रवरी को मनाई जाएगी. सोमवती अमावस्या भगवान शिव को समर्पित है. माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसके जीवन में कोई समस्या नहीं आती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
21 फरवरी 2023 (मंगलवार) - फुलेरा दूज, रामकृष्ण जयंती: फाल्गुन माह की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2023) के रूप में मनाया जाता है. इस बार फुलेरा दूज 21 फरवरी (मंगलवार) को मनाई जाएगी. फुलेरा दूज होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन से होली के पर्व की तैयारियां आरंभ हो जाती हैं.
25 फरवरी 2023 (शनिवार)- स्कंद षष्ठी व्रत: भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा आराधना के लिए स्कंद षष्ठी व्रत (Skand Shashthi 2023) रखा जाता है. कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है. इस व्रत को रखने वाले लोग क्रोध और अहंकार से मुक्त हो जाते हैं. मान्यता है कि स्कंद षष्ठी तिथि के दिन उपवास रखने और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
27 फरवरी 2023 - होलाष्टक शुरू: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक (Holashtak 2023) लग जाता है. यानी होलिका दहन के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक लगेगा.
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