दिल्ली/गाजियाबाद: बदलते वक्त के साथ खेती और किसानी की तकनीकें भी लगातार बदल रही हैं. नई-नई तकनीक के जरिए कम लागत और कम मेहनत से फसल की बेहतर पैदावार की जा रही है. तकनीक खेती में ड्रोन मील का पत्थर साबित होंगे. ड्रोन की मदद से पैसे और समय की बचत कर फसलों पर उत्तम क्वालिटी का नैनो यूरिया समेत अन्य दवाइयों का छिड़काव किया जा सकेगा.
30 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की थी. आने वाले सालों में सरकार 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर 15 हजार महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को ड्रोन मुहैया कराएगी.
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IFFCO में उप महाप्रबंधक के पद पर तैनात हरीश कुमार के मुताबिक सामान्य तौर पर एक एकड़ फसल पर छिड़काव के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों से तकरीबन सवा सौ लीटर पानी खर्च होता है. जबकि ड्रोन से महज 10 लीटर पानी में एक एकड़ खेत पर छिड़काव होता है. सामान्य मशीन भारी मात्रा में पानी का छिड़काव करती है जबकि ड्रोन कोहरे के रूप में छिड़काव करता है. सामान्य मशीन की तुलना में ड्रोन से किया गया छिड़काव फसलों के लिए काफी फायदेमंद होता है क्योंकि ड्रोन से किया गया छिड़काव फसल के पत्तों पर आसानी से एब्जॉर्ब हो पाता है.
5 घंटे का काम 5 मिनट में होगा: हरीश कुमार के मुताबिक सामान्य मशीन से एक फसल पर दवा का छिड़काव करने में तकरीबन 5 घंटे का वक्त लगता है. वहीं ड्रोन के माध्यम से महज 7 मिनट में यह काम पूरा हो जाता है. ड्रोन तकनीक से छिड़काव करने में दो तरह का फायदा मिलता है. पहला समय और दूसरा बेहतर क्वालिटी का छिड़काव. ड्रोन की टंकी में कितना पानी भरा जा सकता है इसके आधार पर ड्रोन की कीमत तय होती है. सामान्य तौर पर इनकी कीमत 6 लाख से 12 लाख के बीच होती है.
दी जाएंगी ट्रेनिंग: हरीश कुमार के मुताबिक हर कोई इस ड्रोन को संचालित नहीं कर सकेगा. ड्रोन को चलाने के लिए हाईस्कूल पास होना आवश्यक है. साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट भी होना जरूरी है. नो फ्लाइंग जोन में ड्रोन को उड़ाना प्रतिबंधित है. ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
किसान समझ रहे नई तकनीक: जिला कृषि अधिकारी विकास कुमार के मुताबिक विकसित भारत संकल्प यात्रा के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम में ड्रोन का कार्यक्रम भी रखा गया है. कार्यक्रम के दौरान किसानों को फसल पर ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव करके दिखाया जाता है. जिससे किसान इस नई तकनीक के बारे में समझ सकें. किसानों को समझाया जा रहा है कि किस तरह से पारंपरिक छिड़काव की तुलना में ड्रोन से किया गया छिड़काव फसलों के लिए फायदेमंद है. यूरिया का प्रयोग कम करते हुए नैनो यूरिया के इस्तेमाल को लेकर किसानों को जानाकारी दी जा रही है.
धरातल पर उतरेगी योजना: विकास कुमार ने बताया कि किसान इस नई तकनीक को समझने को लेकर काफी उत्सुक दिख रहे हैं. विभाग द्वारा किसानों को न सिर्फ इस नई तकनीक के बारे में समझाया जा रहा है बल्कि किसानों के जो भी डाउट्स हैं उनको भी क्लियर किया जा रहा है. खेतों में छिड़काव करने के लिए जब ड्रोन उड़ाया जाता है तो बड़ी संख्या में किसान इसे देखने के लिए पहुंचते हैं. जहां विभागीय अधिकारियों द्वारा इस तकनीक की बारीकी के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी जा रही है. जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक सरकार से गाइडलाइन मिलने के बाद ड्रोन दीदी योजना को धरातल पर उतरने की कवायद शुरू की जाएगी.
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