नई दिल्ली: स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में खराब प्रदर्शन के बाद अब पूर्वी दिल्ली नगर निगम इसे सुधारने की कवायद में जुट गया है. इसी सिलसिले में पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने डोर टू डोर कूड़ा उठाने के लिए एक निजी कंपनी को हायर किया है. इस पूरे प्रक्रिया के संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ निगम पार्षद संदीप कपूर से खास बातचीत की जिनके कार्यकाल में इस परियोजना की नींव रखी गई थी.
रैंकिंग सुधारने की है कवायद
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए संदीप कपूर ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण में पूर्वी दिल्ली का नंबर काफी पीछे आया है. इसकी मुख्य वजह यह है कि अभी के समय हमारे यहां जो काम हो रहे हैं वह काफी पुराने तरीके से हो रहे हैं. जो नई वैज्ञानिक पद्धति दूसरे शहरों ने अपनाई है उसे हम अभी तक थोड़े दूर थे. लेकिन अब खुशी की बात है कि इस परियोजना की प्लानिंग खत्म हो चुकी है और हमने कूड़ा उठाने के लिए एक अलग प्लान को लॉन्च किया है.
सूखा और गीला कूड़ा अलग होगा
बता दें कि आने वाले समय में हम सब देखेंगे कि घरों से जो कूड़ा उठाया जाता था, अब हम उसे अलग-अलग उठाएंगे. सूखा कूड़ा अलग और गीला कूड़ा अलग उठाया जाएगा. गीले कूड़े को हम कंपोस्ट प्लांट में भेजेंगे जहां उससे खाद बनाई जाएगी. अभी के समय हमारे 11 कंपोस्ट प्लांट चालू है जहां गीला कूड़ा जाएगा. वही सूखा कूड़ा गाजीपुर लैंडफिल साइट पर डंप किया जाएगा.
बेचे जाएंगे वेस्ट मटेरियल
संदीप कपूर ने कहा कि घरों से कूड़ा उठाने के बाद विभिन्न जगहों पर इन कूड़े को सेग्रिगेट किया जाएगा. प्लास्टिक, कपड़े और अन्य ऐसी चीजें जो बिक सकती हैं उन्हें अलग किया जाएगा. हमारी कोशिश यह है कि कम से कम कूड़े को गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर डंप किया जाए. दिल्ली के तीनों नगर निगमों के अंदर 12 जोन है. 9 जोन में कूड़ा उठाने से लेकर उसे डंप करने तक का काम निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. अब हम भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम के दोनों ओर से कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दे रहे हैं
तीन तरह का कूड़ा उठाती है नगर निगम
कूड़ा उठाने की प्रक्रिया के संबंध में संदीप कपूर ने कहा कि अभी के समय नगर निगम द्वारा तीन तरह का कूड़ा उठाया जाता है. पहला कूड़ा घर से उठाया जाता है. दूसरा कूड़ा सड़कों की साफ-सफाई से और तीसरा नाले के कचरे के रूप में हमारे कर्मचारी उठाते हैं. निजी कंपनी के आ जाने के बाद भी हमारे कर्मचारी पुराने तरीके से ही अपना काम करते रहेंगे और कूड़े को इकट्ठा करेंगे. कूड़े को इकट्ठा करने के बाद जो प्राइवेट कंपनी है वह इस कूड़े को उठाएगी.
कूड़े को करेगी सेग्रिगेट
कंपनी अपने सभी संसाधनों का प्रयोग कर पूरे कूड़े को सेग्रिगेट करेगी. उसी के हिसाब से उस कूड़े का निस्तारण किया जाएगा. ढलाव घर का मैनेजमेंट भी इसी कंपनी की जिम्मेदारी होगी. ढलाव घर में जो दिनभर कूड़ा पड़ा रहता था, अब वह नहीं होगा. एक बार जो कूड़ा उठ गया वह दोबारा जमीन पर नहीं गिरेगा. बड़े-बड़े बीन के जरिए कूड़े को कंपैक्ट ट्रकों के माध्यम से लैंडफिल साइट तक ले जाया जाएगा. अगर यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रही तो आने वाले 1 साल के अंदर पूर्वी दिल्ली नगर निगम ढलाव मुक्त हो जाएगा.
नहीं लगेगा कोई शुल्क
इस नई तकनीकी के लिए उपभोक्ताओं पर लगाए जाने वाले शुल्क के संबंध में संदीप कपूर ने कहा कि हम किसी भी उपभोक्ता पर किसी प्रकार का नया शुल्क नहीं लगा रहे. इसके लिए हम फंड की व्यवस्था कर रहे हैं. हमें 50 से 60 करोड़ रुपय प्रति साल अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होगी. जो लोग इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतना पैसा खर्च करने के बाद हमें क्या मिलेगा मैं उसे बताना चाहता हूं कि हमें मिलेगा कूड़े से छुटकारा, ढलाव घर से छुटकारा.