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ग्रेटर नोएडाः प्रशासन के करोड़ों खर्च के बावजूद तालाबों में बारिश का पानी नही हो रहा संचय, लगातार घट रहा जल स्तर

ग्रेटर नोएडा के 88 ग्राम पंचायतों में बारिश जल के संचय के लिए प्रशासन ने करोड़ों रुपये खर्च कर तालाब का निर्माण कराया, लेकिन इसमें जल संचय की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. वहीं अब बारिश का पानी ऐसे ही बह जाएगा.

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Published : Jul 1, 2023, 7:50 AM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा में घटते जल स्तर और बारिश के जल को संचय करने के लिए गांवों में तालाबों का जीर्णोद्धार कराया. ताकि बारिश के जल को इकट्ठा किया जा सके और घटते जल स्तर पर रोक लगाई जा सके. जिला प्रशासन, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के द्वारा ग्रेटर नोएडा में सैकड़ों तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है और जल संचय करने के लिए व्यवस्था की जा रही है, ताकि घटते जल स्तर को रोका जा सके.

दरअसल, ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में 88 ग्राम पंचायतें हैं. बाकी गांवों में ग्राम पंचायतों को खत्म कर दिया गया है. उन गांवो में प्राधिकरण विकास कार्य कर रहा है. ग्राम पंचायतों के तालाबों में बारिश के जल को संचय करने के लिए उनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है. प्रशासन की तरफ से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. 88 गांवों के सौ से ज्यादा तालाबों का प्रशासन के द्वारा सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है. मानकों के अनुसार इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की व्यवस्था बनाने का उद्देश्य था, लेकिन अभी भी ज्यादातर तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

ग्रेटर नोएडा में लगातार जल स्तर गिरता जा रहा है. जल स्तर के संकट को देखते हुए प्रशासन व प्राधिकरण के द्वारा गांव में तालाबों की खुदाई की गई और उनका सौंदर्यीकरण कराया गया. इसके साथ ही यह भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी कि गांव से जो बारिश का पानी आता है, उसको इन तालाबों में जमा किया जाए. इसके लिए प्रशासन, प्राधिकरण और सीएसआर माध्यम से इन तालाबों पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन उसके बाद भी इन तालाबों में सौंदर्यीकरण हो जाने के बाद भी बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. इससे यह पानी अभी भी गंदे नालों में ही बह रहा है और जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः Water logging: 2 दिन की बारिश से सूरजपुर कलेक्ट्रेट बना तालाब, प्राधिकरण व प्रशासन की खुली पोल

गांवों में तालाबों का सौंदर्यीकरण के साथ अमृत सरोवर योजना के तहत भी तालाबों को शामिल किया गया. इस योजना में इन तालाबों का सौंदर्यीकरण कराने और इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था के मानक तय किए गए थे. प्रशासन प्राधिकरण के द्वारा इन तालाबों का सौंदर्यीकरण तो कराया जा रहा है, लेकिन उनमें बारिश के जल को इकट्टा (जमा) करने की व्यवस्था नहीं की गई है. अधिकारी तालाबों का सौंदर्य करण कर खानापूर्ति कर रहे हैं. मानसून आने वाला है और जल्द ही मानसून की बारिश से भी शुरू हो जाएंगे, लेकिन अभी तक अधिकांश तालाबों का कार्य पूरा नहीं हुआ है और जिन तालाबों का कार्य पूरा हो चुका है, उनमें भी बारिश के जल को संचय करने की व्यवस्था नहीं की गई है. इससे घटते जल स्तर को रोकना बड़ा मुश्किल हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः नोएडा में फायर विभाग ने किया कार्यशाला का आयोजन, ऑनलाइन एनओसी के बारे में दी जानकरी

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा में घटते जल स्तर और बारिश के जल को संचय करने के लिए गांवों में तालाबों का जीर्णोद्धार कराया. ताकि बारिश के जल को इकट्ठा किया जा सके और घटते जल स्तर पर रोक लगाई जा सके. जिला प्रशासन, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के द्वारा ग्रेटर नोएडा में सैकड़ों तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है और जल संचय करने के लिए व्यवस्था की जा रही है, ताकि घटते जल स्तर को रोका जा सके.

दरअसल, ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में 88 ग्राम पंचायतें हैं. बाकी गांवों में ग्राम पंचायतों को खत्म कर दिया गया है. उन गांवो में प्राधिकरण विकास कार्य कर रहा है. ग्राम पंचायतों के तालाबों में बारिश के जल को संचय करने के लिए उनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है. प्रशासन की तरफ से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. 88 गांवों के सौ से ज्यादा तालाबों का प्रशासन के द्वारा सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है. मानकों के अनुसार इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की व्यवस्था बनाने का उद्देश्य था, लेकिन अभी भी ज्यादातर तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

ग्रेटर नोएडा में लगातार जल स्तर गिरता जा रहा है. जल स्तर के संकट को देखते हुए प्रशासन व प्राधिकरण के द्वारा गांव में तालाबों की खुदाई की गई और उनका सौंदर्यीकरण कराया गया. इसके साथ ही यह भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी कि गांव से जो बारिश का पानी आता है, उसको इन तालाबों में जमा किया जाए. इसके लिए प्रशासन, प्राधिकरण और सीएसआर माध्यम से इन तालाबों पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन उसके बाद भी इन तालाबों में सौंदर्यीकरण हो जाने के बाद भी बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. इससे यह पानी अभी भी गंदे नालों में ही बह रहा है और जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है.

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गांवों में तालाबों का सौंदर्यीकरण के साथ अमृत सरोवर योजना के तहत भी तालाबों को शामिल किया गया. इस योजना में इन तालाबों का सौंदर्यीकरण कराने और इन तालाबों में बारिश के जल को संचय करने की उचित व्यवस्था के मानक तय किए गए थे. प्रशासन प्राधिकरण के द्वारा इन तालाबों का सौंदर्यीकरण तो कराया जा रहा है, लेकिन उनमें बारिश के जल को इकट्टा (जमा) करने की व्यवस्था नहीं की गई है. अधिकारी तालाबों का सौंदर्य करण कर खानापूर्ति कर रहे हैं. मानसून आने वाला है और जल्द ही मानसून की बारिश से भी शुरू हो जाएंगे, लेकिन अभी तक अधिकांश तालाबों का कार्य पूरा नहीं हुआ है और जिन तालाबों का कार्य पूरा हो चुका है, उनमें भी बारिश के जल को संचय करने की व्यवस्था नहीं की गई है. इससे घटते जल स्तर को रोकना बड़ा मुश्किल हो रहा है.

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