पुलिस के अनुसार अर्पित होटल अग्निकांड में यह बात सामने आई है कि उन्होंने इस जगह को गेस्ट हाउस के तौर पर दिखा रखा था. साल 1992 से यहां पर होटल चल रहा है, लेकिन कभी भी निगम ने इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
इस होटल को जिस तरह से बनाया गया उसे देखकर साफ पता लगता है कि इन्होंने नियमों को ताक पर रखकर होटल बनाया था. इसके खिलाफ निगम को कार्रवाई करते हुए उसे सील करना चाहिए था, लेकिन निगम ने कभी भी इस होटल के खिलाफ कड़ा एक्शन नहीं लिया है. इसलिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने निगम से होटल को लेकर जवाब मांगा है.
दिल्ली पुलिस ने कैसे दिया लाइसेंस
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इसकी जांच कर रही है कि अर्पित होटल को दिल्ली पुलिस की तरफ से कैसे लाइसेंस मिला. लाइसेंस के लिए क्या नियम एवं शर्ते होती हैं और किन नियमों का उल्लंघन किया गया. इसमें किसी की मिलीभगत रही या नहीं.
इन सब बातों की जांच की जा रही है. क्राइम ब्रांच ने दिल्ली पुलिस के लाइसेंस विभाग को नोटिस भेजकर इस बारे में पूरी जानकारी मांगी है. इसके अलावा जल बोर्ड एवं बीएसईएस को भी नोटिस भेजकर उनके कनेक्शन संबंधित जानकारी मांगी गई है.
दमकल विभाग की लापरवाही आई सामने
पुलिस के अनुसार इस मामले में दमकल विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है. इस अर्पित होटल को दमकल विभाग की तरफ से एनओसी मिली हुई थी, जबकि आग से निपटने के लिए यहां पर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे. सीढ़ियों पर वुडन वर्क इतना ज्यादा हो रखा था जिसकी वजह से वहां से लोग नीचे नहीं उतर सके.
वहीं एग्जिट वाली सीढ़ियों पर पूरा सामान भरा हुआ था. आग बुझाने के लिए होज पाइप तो लगाई गई थी. लेकिन बताया जाता है कि इसके लिए पानी ही नहीं था. होटल में आग बुझाने के सिलेंडर प्रत्येक फ्लोर पर मौजूद थे, लेकिन इसे चलाना किसी को नहीं आता था. ऐसे में दमकल विभाग ने किस तरह से यह एनओसी दी. उसे लेकर पूछताछ की जा रही है.