नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में दिल्ली सरकार का गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. विशेष रूप से यह पहल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को संज्ञापित करने और विभिन्न चैनलों के माध्यम से सार्वजनिक जागरुकता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राजनीतिक दलों और भारत के चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने पर जोर देता है. यह निर्णय दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1971 और उसके तहत बनाए गए नियमों/विनियमों के गुरुद्वारा चुनावों से संबंधित नहीं है. पारदर्शिता की प्रतिबद्धता के अनुरूप, दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने आवश्यकतानुसार नियमों में संशोधन के लिए निर्देशित किया है.
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गुरुद्वारा चुनाव में भाग लेने के इच्छुक उम्मीदवार को चुनाव आयोग से मिले एक फॉर्म भरना होगा. इस फॉर्म में स्पष्ट रूप से मोटे अक्षरों (बोल्ड) में उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी लंबित आपराधिक मामले के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगा.
- जो उम्मीदवार किसी राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें अपने खिलाफ लंबित किसी भी आपराधिक मामले के बारे में पार्टी को सूचित करना होगा. राजनीतिक दल, जनता तक पहुंच सुनिश्चित करते हुए इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए बाध्य है.
- सार्वजनिक जागरुकता बढ़ाने के लिए उम्मीदवार और राजनीतिक दल दोनों को इलाके के भीतर व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों में एक घोषणा जारी करनी चाहिए. इसके अतिरिक्त उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रदान करना आवश्यक है. जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाताओं को उम्मीदवार की पृष्ठभूमि के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हो.
गुरुद्वारा चुनाव मंत्री राज कुमार आनंद ने कहा कि गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय, इन पारदर्शी उपायों को अमल करने के लिए आवश्यकतानुसार नियमों में संशोधन कर सक्रिय रूप से कदम उठा रहा है. यह सक्रिय दृष्टिकोण लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और मतदाताओं को आवश्यक जानकारी के साथ सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.