नई दिल्ली/गाजियाबाद: कंजेक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू के बाद अब अस्पतालों की ओपीडी में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में इजाफा होना शुरू हो गया है. जिला एमएमजी और संयुक्त अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से एक तिहाई मरीज वायरल बुखार के हैं. खास कर कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, बच्चे और बुजुर्गों को वायरल बुखार चपेट में ले रहा है.
बढ़ रहे वायरल फीवर की मरीज: जिला एमएमजी अस्पताल के चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट मनोज चतुर्वेदी के मुताबिक अस्पताल में वायरल फीवर, खांसी-जुकाम, गले में खराश आदि के मरीजों में इजाफा हुआ है. ओपीडी में एक तिहाई मरीज वायरल फीवर के हैं. जिन मरीजों को भर्ती करने की आवश्यक्ता है उनको अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. अस्पताल में चिकित्सकों को निर्देशित किया गया है कि वायरल फीवर के जो भी मरीज ओपीडी में आएं, उनकी मलेरिया, डेंगू और टाइफाइड की जांच कराई जाए. जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाए. अस्पताल में वायरल फीवर के तकरीबन दर्जन भर मरीज भर्ती हैं.
अतिरिक्त वार्ड तैयार: सीएमएस मनोज चतुर्वेदी के मुताबिक वायरल फीवर के मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर रखते हुए अस्पताल में 15 बेड का अतिरिक्त वार्ड बनाया गया है. जिसमें केवल वायरल फीवर के मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है.
खुद से ना लें दवाई: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ब्रजपाल सिंह त्यागी के मुताबिक बुखार होने पर एहतियात बरतना बेहद जरूरी है. बुखार आने पर घरेलू उपचार करने से बचें. घरेलू उपचार खतरनाक साबित हो सकता है. साथ ही चिकित्सक से परामर्श के बिना खुद से किसी भी प्रकार की दवाई का सेवन करने से बचें. वायरल बुखार को नजरंदाज करना या हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है. वायरल बुखार को अनदेखा करने पर फेफड़े के इंफेक्शन (इससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है), एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन आना), पेरिकार्डिटिस का खतरा बढ़ जाता है.
क्या है वायरल फीवर: मौसम में बदलाव के कारण वायरल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. वायरल इन्फेक्शन से तेज बुखार हो सकता है. जिससे की शरीर का तापमान बढ़ जाता है.
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