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Attack On Principal Case: आप विधायक व उनकी पत्नी को 30 मई को सजा सुनाएगा कोर्ट

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Published : May 27, 2023, 11:47 AM IST

Updated : May 27, 2023, 12:07 PM IST

एक सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या के साथ मारपीट मामले में सीलमपुर से आप विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम को दोषी ठहराया गया है. इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 30 मई की तारीख तय की है.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम को जीनत महल स्थित सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या पर हमला करने के मामले में कोर्ट 30 मई को फैसला सुनाएगा. पुलिस द्वारा सौंपी गई सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट का अवलोकन करने के लिए कोर्ट ने शुक्रवार को मामले में आगे की तारीख तय की है

बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट में पुलिस द्वारा सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट न सौंपे जाने के चलते दो बार सजा सुनाने पर फैसला टल चुका है. इससे पहले एक बार 19 मई और दूसरी बार 24 मई को कोर्ट ने सजा सुनाने की तारीख तय की थी. एसीएमएम हरजीत सिंह जसपाल के कोर्ट ने 29 अप्रैल को दोनों को दोषी ठहराया था. साथ ही तीन मई तक कोर्ट के आदेश को लेकर शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा था.

मामला वर्ष 2009 का है. आप विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा पर आरोप था कि उन्होंने जीनत महल स्थित स्कूल की प्रधानाचार्या रजिया सुल्तान को मारा ही नहीं बल्कि जान से मारने की धमकी देते हुए अपशब्द कहे. साथ ही उन्हें ड्यूटी करने से भी रोका. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों ने एक समान मकसद से सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या के साथ हाथापाई की. सरकारी अधिकारी के कामकाज में न केवल बाधा डाली बल्कि उसे चोट भी पहुंचाई. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353, 506 और 34 के तहत दोनों को दोषी माना है. आसमा पर धारा 332 के तहत भी अपराध सिद्ध हुआ है. बता दें कि मामले में घटना के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. चश्मदीद गवाहों में से एक ने भी बयान दर्ज नहीं कराया. इसमें कोई मेडिको लीगल केस यानी एमएलसी भी नहीं थी. यह घटना चार फरवरी 2009 को हुई और इस मामले में केस एक दिन बाद पांच फरवरी को दर्ज कराया गया था.

सात साल तक की सजा का प्रावधान
कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता राजीव तोमर ने बताया कि धारा 353 सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना और 506 जान से मारने की धमकी देने के मामले में अलग-अलग सजा का प्रावधान है. 353 में तीन साल से लेकर अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है, जबकि 506 में भी दो साल तक की सजा होने का प्रावधान है. अगर कोर्ट अब्दुल रहमान को दो साल से अधिक की सजा सुनाता है तो उनकी विधायकी जाना तय है. बता दें कि अब्दुल रहमान आम आदमी पार्टी के पार्षद रहते हुए वर्ष 2020 में विधायक चुने गए थे. उसके बाद उन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया था. रहमान की पत्नी आसमा भी निगम पार्षद रह चुकी हैं.

ये भी पढ़ेंः New Jobs : इस कंपनी में हजारों नौकरी, उत्कृष्ट प्रतिभाओं के लिए भर्ती बंद नहीं

विधायकी गई तो होगा उप-चुनाव
दो साल या इससे अधिक की सजा होने पर विधायक अब्दुल रहमान की विधायकी जाना तय है. ऐसे में सीलमपुर की जनता को उप-चुनाव का सामना करना पड़ेगा. नियमानुसार सीट खाली होने के छह महीने के अंदर निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने होते हैं.

ये भी पढ़ेंः Cylinder Explodes in Noida: खाना बनाते समय छोटा सिलेंडर फटा, 6 लोग झुलसे, 2 की हालत गंभीर

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा बेगम को जीनत महल स्थित सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या पर हमला करने के मामले में कोर्ट 30 मई को फैसला सुनाएगा. पुलिस द्वारा सौंपी गई सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट का अवलोकन करने के लिए कोर्ट ने शुक्रवार को मामले में आगे की तारीख तय की है

बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट में पुलिस द्वारा सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट न सौंपे जाने के चलते दो बार सजा सुनाने पर फैसला टल चुका है. इससे पहले एक बार 19 मई और दूसरी बार 24 मई को कोर्ट ने सजा सुनाने की तारीख तय की थी. एसीएमएम हरजीत सिंह जसपाल के कोर्ट ने 29 अप्रैल को दोनों को दोषी ठहराया था. साथ ही तीन मई तक कोर्ट के आदेश को लेकर शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा था.

मामला वर्ष 2009 का है. आप विधायक अब्दुल रहमान और उनकी पत्नी आसमा पर आरोप था कि उन्होंने जीनत महल स्थित स्कूल की प्रधानाचार्या रजिया सुल्तान को मारा ही नहीं बल्कि जान से मारने की धमकी देते हुए अपशब्द कहे. साथ ही उन्हें ड्यूटी करने से भी रोका. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों ने एक समान मकसद से सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्या के साथ हाथापाई की. सरकारी अधिकारी के कामकाज में न केवल बाधा डाली बल्कि उसे चोट भी पहुंचाई. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 353, 506 और 34 के तहत दोनों को दोषी माना है. आसमा पर धारा 332 के तहत भी अपराध सिद्ध हुआ है. बता दें कि मामले में घटना के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज हुई थी. चश्मदीद गवाहों में से एक ने भी बयान दर्ज नहीं कराया. इसमें कोई मेडिको लीगल केस यानी एमएलसी भी नहीं थी. यह घटना चार फरवरी 2009 को हुई और इस मामले में केस एक दिन बाद पांच फरवरी को दर्ज कराया गया था.

सात साल तक की सजा का प्रावधान
कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता राजीव तोमर ने बताया कि धारा 353 सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना और 506 जान से मारने की धमकी देने के मामले में अलग-अलग सजा का प्रावधान है. 353 में तीन साल से लेकर अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है, जबकि 506 में भी दो साल तक की सजा होने का प्रावधान है. अगर कोर्ट अब्दुल रहमान को दो साल से अधिक की सजा सुनाता है तो उनकी विधायकी जाना तय है. बता दें कि अब्दुल रहमान आम आदमी पार्टी के पार्षद रहते हुए वर्ष 2020 में विधायक चुने गए थे. उसके बाद उन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया था. रहमान की पत्नी आसमा भी निगम पार्षद रह चुकी हैं.

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विधायकी गई तो होगा उप-चुनाव
दो साल या इससे अधिक की सजा होने पर विधायक अब्दुल रहमान की विधायकी जाना तय है. ऐसे में सीलमपुर की जनता को उप-चुनाव का सामना करना पड़ेगा. नियमानुसार सीट खाली होने के छह महीने के अंदर निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने होते हैं.

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Last Updated : May 27, 2023, 12:07 PM IST
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