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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान सिस्टम लागू होने से शहर में छा जाएगा अँधेरा: नोफेमा

नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन ने कहा है कि अगर 1 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान सिस्टम लागू कर दिया गया तो शहर में अँधेरा छा जाएगा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 28, 2023, 4:00 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: 1 अक्टूबर से नोएडा और गाजियाबाद सहित पूरे एनसीआर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लग जाएगा. बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हर साल की तरह इस बार ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू किया जाएगा. केवल सौर या पीएनजी ईंधन से चलने वाले जनरेटर्स को चलाने की अनुमति होगी. लोगों का कहना है कि ग्रेप लागू होने से लाइट चली जाने पर शहर अंधेरे में डूब जाएगा.

दरअसल, गौतम बुद्ध नगर में 1 अक्टूबर से बंद होने वाले डीजल जनरेटर को लेकर लोगों में निराशा है क्योंकि गौतम बुद्ध नगर में अभी भी अधिकांश जनरेटर पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट नहीं कराए गए हैं. इससे बिजली चली जाने पर उद्योगों को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा वहीं हाई राइज सोसाइटियों में रहने वाले लोगों को बिना बिजली के अंधेरे में रहना पड़ेगा क्योंकि 70 से ज्यादा सोसाइटियों में पावर बैकअप डीजल जनरेटर के जरिए है.

ये भी पढ़ें: ग्रेटर नोएडाः प्रदूषण के कारण AQI 400 के पार, प्राधिकरण ने निर्माण कार्य पर लगाई पूर्ण रोक

नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि एनजीटी को इस बारे में एक बार और सोचना चाहिए क्योंकि सभी सोसाइटियों में बहुत कम समय के लिए जनरेटर चलते हैं. यहां पर जनरेटर बिल्डरों ने अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) को हैंडओवर कर दिए हैं. ऐसे में डीजल जनरेटर को बदलकर पीएनजी संचालित करने में मोटा खर्च करना होगा.

इसका पूरा भर एओए पर आएगा और वह उसे लोगों पर डालेगा. ग्रेप नियम इंडस्ट्री, कारखाने व मैरिज होम पर लागू होना चाहिए क्योंकि वहां पर ज्यादातर समय के लिए जनरेटर का प्रयोग किया जाता है. सोसाइटी में कुछ समय के लिए लाइट जाती है, उसी समय जनरेटर का प्रयोग किया जाता है तो यहां पर इसमें छूट मिलनी चाहिए.

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पंचशील ग्रीन निवासी दीपांकर कुमार ने बताया कि एनजीटी का यह तुगलकी की फरमान है. एनजीटी को लगता है कि भारत एक डेवलप कंट्री है, जहां पर हमेशा लाइट आती रहती है. लेकिन नोएडा व ग्रेटर नोएडा में कुछ ना कुछ फॉल्ट होते रहते हैं, जिसके चलते लाइट में कट लगते हैं. डीजल जनरेटरों पर ग्रेप के द्वारा रोक लग जाने से लाइट चली जाने पर सोसायटी की लिस्ट और कॉमन एरिया में अंधेरा हो जाएगा.

जिससे वहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. यदि डीजल संचालित जनरेटर को बंद करना है तो ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट को लागू करना होगा. जहां पर सोसायटी की लिफ्ट व कॉमन एरिया की लाइट सोलर पैनल द्वारा चलाई जाए जिससे लाइट चली जाने पर लिफ्ट और कॉमन एरिया में रोशनी बनी रहे और लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो.

बता दें कि गौतम बुद्ध नगर में लगभग 12 से 14 हजार उद्योग धंधे चलते हैं. इसके अलावा सोसाइटीज और निजी संस्थान हैं. जिले में लगभग 40 हजार के करीब जनरेटर हैं जिनमें से अब तक करीब 4 हजार ही पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट हो सके हैं. जिनमें इंडस्ट्री के 1500 जनरेटर शामिल हैं.

इस स्थिति में यदि जनरेटर बंद हो गए तो जिले के उद्यमियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा. इसका सबसे ज्यादा असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा जहां छोटे उद्योगों में 50 से 100 श्रमिक काम करते हैं. यदि इकाई बंद होती है तो श्रमिकों के कार्य पर इसका प्रभाव पड़ेगा. वहीं हाई राइज सोसाइटी में लाइट चले जाने पर लोगों को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: Diesel Generator Ban: 1 अक्टूबर से दिल्ली एनसीआर में बैन होंगे डीजल जनरेटर, हरियाणा के उद्योगपतियों ने की राहत की मांग


नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: 1 अक्टूबर से नोएडा और गाजियाबाद सहित पूरे एनसीआर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लग जाएगा. बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हर साल की तरह इस बार ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू किया जाएगा. केवल सौर या पीएनजी ईंधन से चलने वाले जनरेटर्स को चलाने की अनुमति होगी. लोगों का कहना है कि ग्रेप लागू होने से लाइट चली जाने पर शहर अंधेरे में डूब जाएगा.

दरअसल, गौतम बुद्ध नगर में 1 अक्टूबर से बंद होने वाले डीजल जनरेटर को लेकर लोगों में निराशा है क्योंकि गौतम बुद्ध नगर में अभी भी अधिकांश जनरेटर पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट नहीं कराए गए हैं. इससे बिजली चली जाने पर उद्योगों को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा वहीं हाई राइज सोसाइटियों में रहने वाले लोगों को बिना बिजली के अंधेरे में रहना पड़ेगा क्योंकि 70 से ज्यादा सोसाइटियों में पावर बैकअप डीजल जनरेटर के जरिए है.

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नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि एनजीटी को इस बारे में एक बार और सोचना चाहिए क्योंकि सभी सोसाइटियों में बहुत कम समय के लिए जनरेटर चलते हैं. यहां पर जनरेटर बिल्डरों ने अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) को हैंडओवर कर दिए हैं. ऐसे में डीजल जनरेटर को बदलकर पीएनजी संचालित करने में मोटा खर्च करना होगा.

इसका पूरा भर एओए पर आएगा और वह उसे लोगों पर डालेगा. ग्रेप नियम इंडस्ट्री, कारखाने व मैरिज होम पर लागू होना चाहिए क्योंकि वहां पर ज्यादातर समय के लिए जनरेटर का प्रयोग किया जाता है. सोसाइटी में कुछ समय के लिए लाइट जाती है, उसी समय जनरेटर का प्रयोग किया जाता है तो यहां पर इसमें छूट मिलनी चाहिए.

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पंचशील ग्रीन निवासी दीपांकर कुमार ने बताया कि एनजीटी का यह तुगलकी की फरमान है. एनजीटी को लगता है कि भारत एक डेवलप कंट्री है, जहां पर हमेशा लाइट आती रहती है. लेकिन नोएडा व ग्रेटर नोएडा में कुछ ना कुछ फॉल्ट होते रहते हैं, जिसके चलते लाइट में कट लगते हैं. डीजल जनरेटरों पर ग्रेप के द्वारा रोक लग जाने से लाइट चली जाने पर सोसायटी की लिस्ट और कॉमन एरिया में अंधेरा हो जाएगा.

जिससे वहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. यदि डीजल संचालित जनरेटर को बंद करना है तो ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट को लागू करना होगा. जहां पर सोसायटी की लिफ्ट व कॉमन एरिया की लाइट सोलर पैनल द्वारा चलाई जाए जिससे लाइट चली जाने पर लिफ्ट और कॉमन एरिया में रोशनी बनी रहे और लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो.

बता दें कि गौतम बुद्ध नगर में लगभग 12 से 14 हजार उद्योग धंधे चलते हैं. इसके अलावा सोसाइटीज और निजी संस्थान हैं. जिले में लगभग 40 हजार के करीब जनरेटर हैं जिनमें से अब तक करीब 4 हजार ही पीएनजी फ्यूल में कन्वर्ट हो सके हैं. जिनमें इंडस्ट्री के 1500 जनरेटर शामिल हैं.

इस स्थिति में यदि जनरेटर बंद हो गए तो जिले के उद्यमियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा. इसका सबसे ज्यादा असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा जहां छोटे उद्योगों में 50 से 100 श्रमिक काम करते हैं. यदि इकाई बंद होती है तो श्रमिकों के कार्य पर इसका प्रभाव पड़ेगा. वहीं हाई राइज सोसाइटी में लाइट चले जाने पर लोगों को अंधेरे में रहने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

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