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कैदियों को वकील से मिलने का प्रावधान खत्म करने के खिलाफ याचिका पर जवाब तलब

याचिका वकील अजीत पी सिंह ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील लव कुमार अग्रवाल ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को वकील से कानूनी सलाह लेने की इजाजत मिलनी चाहिए.

delhi high court
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Published : Jun 15, 2020, 6:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की वजह से कैदियों को उनकी पसंद के वकील से कानूनी सलाह लेने का प्रावधान खत्म करने के दिल्ली सरकार के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिका पर जवाब तलब
संविधान की धारा 21 का उल्लंघन

याचिका वकील अजीत पी सिंह ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील लव कुमार अग्रवाल ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को उनकी पसंद के वकील से कानूनी सलाह लेने की इजाजत मिलनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के जेल महानिदेशक का सर्कुलर संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करता है.



तिहाड़ जेल अपने मुवक्किल से मिलने गया था

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पिछले 8 जून को तिहाड़ जेल अपने मुवक्किल से मिलने गया था. उसे अपने मुवक्किल की जमानत याचिका के संबंध में तैयारी के लिए बातें करनी थी. वहां तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि कैदियों को अपने वकीलों से बात करने की मनाही है. जेल प्रशासन के इसी आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की वजह से कैदियों को उनकी पसंद के वकील से कानूनी सलाह लेने का प्रावधान खत्म करने के दिल्ली सरकार के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

याचिका पर जवाब तलब
संविधान की धारा 21 का उल्लंघन

याचिका वकील अजीत पी सिंह ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील लव कुमार अग्रवाल ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को उनकी पसंद के वकील से कानूनी सलाह लेने की इजाजत मिलनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के जेल महानिदेशक का सर्कुलर संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करता है.



तिहाड़ जेल अपने मुवक्किल से मिलने गया था

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पिछले 8 जून को तिहाड़ जेल अपने मुवक्किल से मिलने गया था. उसे अपने मुवक्किल की जमानत याचिका के संबंध में तैयारी के लिए बातें करनी थी. वहां तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि कैदियों को अपने वकीलों से बात करने की मनाही है. जेल प्रशासन के इसी आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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