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कैदी बना राइटर, जेल में रहते हुए लिख डाली किताब, जानिए शकील की दर्द भरी कहानी - कैदी ने जेल से लिखी किताब

Prisoner Become a writer In Ghaziabad: गाजियाबाद के शकील अमीरुद्दीन ने जेल में रहते हुए किताब लिख डाली. इंडिया विजन फाउंडेशन ने उसके किताब लिखने के सपनों को दिया नया पंख.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 3, 2024, 4:12 PM IST

कैदी बना राइटर

नई दिल्ली: इंसानी जज्बे को सलाम करने के लिए किसी ने दो लाइनें बहुत सही लिखी हैं कि 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत.' गाजियाबाद के शकील अमीरुद्दीन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. कम उम्र में ही उनके भाग्य ने दगा दे दिया और उसे 307 के जुर्म में 11 साल तक जेल में सजा काटी. लेकिन जेल की सलाखों के पीछे भी शकील ने जिंदगी जीने का जज्बा नहीं छोड़ा. अपनी जिंदगी के बेशकीमती 11 साल शकील ने जेल की सजा काटने में गुजार दिये. उसके जज्बे और हौसले ने जेल में रहते हुए भी उसकी प्रतिभा को निखार कर एक लेखक बना दिया.

चौथी क्लास तक पढ़े शकील के लिए किताब लिखना आसान नहीं था. लेकिन कहते हैं ना हार तब होती है जब हार मान लिया जाता है...जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है. शकील ने भी पढ़ाई करने की ठानी. और इस सब में उसका साथ दिया इंडिया विजन फाउंडेशन ने, यह फाउंडेशन करीब 30 साल पुराना गैर-लाभकारी संगठन है. जो जेल के कैदियों के पुनर्वास और पुन:एकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसकी स्थापना भारत पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी डॉ. किरण बेदी ने की थी. फाउंडेशन जेल में बंद व्यक्तियों के जीवन को बदलने, समाज में सफल पुनर्एकीकरण की दिशा में उनकी यात्रा में सहायता करने की दिशा में अथक प्रयास कर रहा है.

शकील ने इग्नू से ह्यूमन राइट्स समेत विभिन्न वर्गों में डिप्लोमा सर्टिफिकेट हासिल किया. वे बताते हैं कि 2018 में उन्होंने किताब लिखना शुरू किया. किताब में उन्होंने तकरीबन 120 कविताएं लिखी हैं. साथ ही जेल तक पहुंचाने का सफर और जेल में उनका वक्त कैसे बीता इसके बारे में विस्तार से लिखा है. शकील द्वारा लिखी गई कविताओं को जेल में बंद अन्य बंदियों और अधिकारियों ने भी खूब सराहा, जिसने शकील का हौसला बढ़ाया. शकील की ख्वाहिश थी कि जब वह जेल से रहा हूं तो अपनी कहानी और कविताओं को किताब की शक्ल देकर लोगों के बीच पहुंचाएं. 2022 में जेल से रिहा होने के बाद शकील ने इंडिया विजन फाउंडेशन के सहयोग से अपनी किताब प्रकाशित की.

शकील बताते हैं कि जेल से रिहा होने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है. इलाके में होने वाले छोटे कार्यक्रमों में उन्हें कविताएं सुनने के लिए बुलाया जाता है. लोग खूब प्यार देते हैं. शकील कहते हैं कि जेल में न सिर्फ प्यार मिला, बल्कि जिंदगी जीने की एक नई दिशा भी मिली है. फिलहाल शकील मेरठ में अपने परिवार के साथ रहते हैं और ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का पेट भरते हैं.

कैदी बना राइटर

नई दिल्ली: इंसानी जज्बे को सलाम करने के लिए किसी ने दो लाइनें बहुत सही लिखी हैं कि 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत.' गाजियाबाद के शकील अमीरुद्दीन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. कम उम्र में ही उनके भाग्य ने दगा दे दिया और उसे 307 के जुर्म में 11 साल तक जेल में सजा काटी. लेकिन जेल की सलाखों के पीछे भी शकील ने जिंदगी जीने का जज्बा नहीं छोड़ा. अपनी जिंदगी के बेशकीमती 11 साल शकील ने जेल की सजा काटने में गुजार दिये. उसके जज्बे और हौसले ने जेल में रहते हुए भी उसकी प्रतिभा को निखार कर एक लेखक बना दिया.

चौथी क्लास तक पढ़े शकील के लिए किताब लिखना आसान नहीं था. लेकिन कहते हैं ना हार तब होती है जब हार मान लिया जाता है...जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है. शकील ने भी पढ़ाई करने की ठानी. और इस सब में उसका साथ दिया इंडिया विजन फाउंडेशन ने, यह फाउंडेशन करीब 30 साल पुराना गैर-लाभकारी संगठन है. जो जेल के कैदियों के पुनर्वास और पुन:एकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसकी स्थापना भारत पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी डॉ. किरण बेदी ने की थी. फाउंडेशन जेल में बंद व्यक्तियों के जीवन को बदलने, समाज में सफल पुनर्एकीकरण की दिशा में उनकी यात्रा में सहायता करने की दिशा में अथक प्रयास कर रहा है.

शकील ने इग्नू से ह्यूमन राइट्स समेत विभिन्न वर्गों में डिप्लोमा सर्टिफिकेट हासिल किया. वे बताते हैं कि 2018 में उन्होंने किताब लिखना शुरू किया. किताब में उन्होंने तकरीबन 120 कविताएं लिखी हैं. साथ ही जेल तक पहुंचाने का सफर और जेल में उनका वक्त कैसे बीता इसके बारे में विस्तार से लिखा है. शकील द्वारा लिखी गई कविताओं को जेल में बंद अन्य बंदियों और अधिकारियों ने भी खूब सराहा, जिसने शकील का हौसला बढ़ाया. शकील की ख्वाहिश थी कि जब वह जेल से रहा हूं तो अपनी कहानी और कविताओं को किताब की शक्ल देकर लोगों के बीच पहुंचाएं. 2022 में जेल से रिहा होने के बाद शकील ने इंडिया विजन फाउंडेशन के सहयोग से अपनी किताब प्रकाशित की.

शकील बताते हैं कि जेल से रिहा होने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है. इलाके में होने वाले छोटे कार्यक्रमों में उन्हें कविताएं सुनने के लिए बुलाया जाता है. लोग खूब प्यार देते हैं. शकील कहते हैं कि जेल में न सिर्फ प्यार मिला, बल्कि जिंदगी जीने की एक नई दिशा भी मिली है. फिलहाल शकील मेरठ में अपने परिवार के साथ रहते हैं और ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का पेट भरते हैं.

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