नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और इसके आस पास के सटे शहरों में कुत्तों के काटने की समस्या बढ़ गई है. बीते कुछ माह में हुई घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अगर समय रहते इस समस्या पर विचार नहीं किया गया तो इंसान घर के अंदर और सड़कों पर कुत्तों का आतंक होगा. वसंत कुंज, नोएडा और फरीदाबाद में कुत्तों ने बच्चों से लेकर वयस्क तक पर हमला कर दिया. वसंत कुंज में तो कुत्तों के हमले में दो भाईयों की मौत हो गई. इस तरह के मामले अन्य शहरों से भी आए हैं. वहीं, पहली बार कुत्तों की समस्या के निवारण के लिए विचारगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा.
यहां होगा कार्यक्रम का आयोजन
कांस्टीट्यूशन क्लब में पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनो की ‘लोक अभियान की और से एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें ‘कुत्तों के काटने की समस्या का समाधान क्या हो’ इस पर चर्चा की जाएगी. बड़ी संख्या में RWAs एवं अन्य संस्थाएं इसमें भाग लेंगी. गोयल का कहना है कि आवारा कुत्तों कि जनसंख्या पिछले 12 सालों में बहुत बढ़ गयी है.
नसबंदी करने से संख्या कम होगी
एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में 6 करोड़ 40 लाख आवारा कुत्ते हैं. कुत्तों कि मुख्यतः तीन श्रेणियाँ हैं : पालतू कुत्ते (Pet Dogs), सामुदायिक कुत्ते (Community Dogs) तथा आवारा कुत्ते (Stray Dogs). जब हम आवारा कुत्तों कि बात करते हैं तो हमारा मतलब ऐसे कुत्तों से है जिनका कोई मालिक नहीं है. एक बात पर हम सभी लोग सहमत हैं कि आवारा कुत्तों की संख्या बढ़नी नहीं चाहिए. इसका एक ही उपाय है कि इन कुत्तों की ज्यादा से ज्यादा नसबंदी हो. कुत्तों की नसबंदी के काम में भ्रष्टाचार की कई घटनाएँ सामने आई है.कई बार शिकायत करने पर नगर निगम कुत्तों को पकड़ के तो ले जाती है, परंतु जिस NGO को वो इनके नसबंदी करने की जिम्मेदारी देती है, वो कुछ ही कुत्तों का नसबंदी करते हैं जबकि भुगतान सभी कुत्तों का लेते हैं.
विचार गोष्ठी किसी के खिलाफ नहीं
कुत्तों पर आयोजित होने वाली विचार गोष्ठी के आयोजक कहते हैं कि हम सभी लोग पशु प्रेमी हैं. हमारा ध्यान समाधान ढूंढने में है. पशु प्रेमी इस बात को समझें कि यदि ऐसे ही आवारा कुत्तों द्वारा इंसानों को काटने की वारदातें बढ़ती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग कुत्तों से नफरत करने लगेंगे. कुत्ता देखते ही वे डरने लगेंगे. हम चाहते हैं कि इंसानों मे कुत्तों के प्रति प्रेम बना रहे.